विज्ञान

Paralyzed चूहों को दो ही हफ्तों में वैज्ञानिकों ने चलाकर दिखाया, जानिए कैसे

Gulabi
25 Jan 2021 2:21 PM GMT
Paralyzed चूहों को दो ही हफ्तों में वैज्ञानिकों ने चलाकर दिखाया, जानिए कैसे
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इंसानी दिमाग के ज्यादातर रोग आज भी लाइलाज हैं और हमारे शोधकर्ता मस्तिष्क पर गहन शोधकर उनका इलाज तलाश रहे हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इंसानी दिमाग (Human Brain) के ज्यादातर रोग आज भी लाइलाज हैं और हमारे शोधकर्ता मस्तिष्क पर गहन शोधकर उनका इलाज तलाश रहे हैं. लकवे (Paralysis) की स्थिति से निजात पाने की दिशा में जर्मनी (Germany) के वैज्ञानिकों को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई हैं. उन्होंने चूहों (Mice) को लकवाग्रस्त कर उनके इलाज के दो सप्ताह बाद ही उन्हें चलाकर (Walk) दिखाया है. मस्तिष्क (Brain) और रीढ़ (Spine) के इलाजों के लिहाज से यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.


न्यूरल लिंक का फिर से बनाना हुआ संभव
शोधकर्ताओं के मुताबिक उनके इलाज से चूहे एक न्यूरल लिंक बनाने में सफल रहे जो अभी तक स्तनपायी जीवों में सुधार के योग्य नहीं माना जाती थी. इसके लिए वैज्ञानिकों ने चूहों के दिमाग में एक डिजाइनर प्रोटीन डाला. इस सफलता ने रीढ़ की चोटों की वजह से पैदा होने वाले लकवों के इलाज को मुमकिन बनाने की बड़ी उम्मीद जगाई है.

रीढ़ की दुर्घटना से ज्यादा आती हैं ऐसी समस्याएं
आमतौर पर दुर्घटना या तीव्र शारिरिक गतिविधि के कारण रीढ़ की चोटें इंसानों के शरीर में लकवा पैदा कर उन्हें जीवन भर के लिए अक्षम कर देती हैं. यहां तक कि स्थिति यह है कि इंसान के लिए रीढ़ की चोटें जानलेवा साबित हो सकती हैं. बहुत बार दिमाग और मांसपेशियों के बीच जानकारी ले जाने वाली तंत्रिका तंतु वापस विकसित नहीं हो पाती हैं जिसे लकवे की स्थिति बन जाती है.
चूहों (Mice) के दिमाग की कार्यप्रणाली इंसानों से काफी मिलती है इसीलिए उन पर ऐसे प्रयोग होते हैं
ऐसे मिली सफलता
जर्मनी के बोकूम की रू यूनिव्रसिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने चूहों की लकवाग्रस्त कोशिकाओं में उत्तेजना पैदा करने में सफलता पाई है. इसके लिए शोधकर्ताओं ने क डिजाइनर प्रोटीन का उपयोग किया जिससे वे उन कोशिकाओं में उत्तेजना (Simulation) देने में कामयाब रहे जो दिमाग तक जानकारी पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होती है
प्रोटीन ने दिलाए बढ़िया नतीजे
इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ता डाइटमार फिशर ने रायटर को बताया कि उनके इस अध्ययन में सबसे विशेष बात यह थी कि प्रोटीन का केवल तंत्रिका कोशिकाओं में उत्तेजना पैदा करने के लिए ही उपयोग नहीं हुआ, बल्कि यह दिमाग में आगे भी जाने में सफल रहा. इससे छोटी ही दखलंदाजी से शोधकर्ता बड़ी संख्या में कोशिकाओं को फिर से पैदा होने के लिए उत्तेजना पैदा कर सके. यही वजह रही है कि चूहे फिर से चलने फिरने लगे.
शोधकर्ताओं ने लकवाग्रस्त (Paralytic) तंत्रिका कोशिकाओं (Neural cells) में उत्तेजना पैदा करने सफलता हासिल की. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)


कैसे काम किया इंजेक्शन ने
इस पड़ताल के नतीजे नेचर कम्यूनिकेशन्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. चूहों को जब इलाज दिया गया तो उसके दो से तीन हफ्ते में ही वे चलने लगे और वैज्ञानिकों को नतीजे मिल गए. इन्जेक्शन लगने से जेनेटिक जानकारी थी दिमाग में गई जिससे हाइपर इंटरल्यूकिन-6 प्रोटीन पैदा हो गया. फिलहाल टीम इलाज को बेहतर करने पर काम कर रही है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें अभी अपनी पद्धति को सुअर, कुत्तों या प्राइमेट जैसे बड़े स्तनपायी जीवों पर काम करते हुए देखना है. यदि यह वहां भी काम कर जाती है दो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह इंसानों के लिए भी सुरक्षित है. लेकिन इसमें अभी काफी साल लगेंगे.


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