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मेंढक पर अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि उसके झाग में होती हैं खास विशेषताएं
![मेंढक पर अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि उसके झाग में होती हैं खास विशेषताएं मेंढक पर अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि उसके झाग में होती हैं खास विशेषताएं](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/09/11/1291661-kukj.gif)
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हाल ही में रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में दावा किया गया है कि उभयचरों के चमड़ी (Amphibian Skin) को सिंथेटिक झागों (Synthetic Foams) के विकल्प के तौर पर उपयोग हो सकता है. सिम्थसनियन मैग्जीन के मुताबिक सिंथेटिक झागों का उपचार प्रक्रिया नुकसानदायक हो सकती है. वैज्ञानिकों का विश्वास है कि प्राकृतिक चमड़े में ऐसी विशेषताएं होती हैं जो कटी या जली त्वचा (Skin) के पास पनपने वाले बैक्टीरिया की वृद्धि को रोक सकती हैं.
मेढकों का झाग (Frog Foam) वह पदार्थ होता है जो उभयचरों के मिलाप के दौरान बनता है. इस झाग को नर टुंगारा मेंढक से निकाला जाता है. यह झाग नर मेंढक के वीर्य (Frog Sperm) का मिश्रण होता है जो मादा के द्वारा निकले प्रोटीन की सूप मिला होता है. यह पड़ताल सुझाती है कि इस झाग का आवरण निषेचित होने वाले अंडों को जल्दी से सूखने से रोकता है जो उसे शिकारी जीवों , पराबैंगनी विकिरणों, चरम तापमान और हानिकारक बैक्टीरिया (Bacteria) से होने वाला नुकसान से बचाता है.
यह प्रोजेक्ट सिंथेटिक झाग (Synthetic Foam) के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. इसे ग्लासगो की स्ट्रैथक्लाइड यूनिवर्सिटी में माइक्रोबिअल बायोकैमिस्ट पॉल होस्किसोन और फार्मास्यूटिकल इंजीनियर दिमित्रोस लैम्प्रोऊ ने साल 2014 में शुरू किया था. बताया गया था कि होसकिसोन ने पाया कि मेंढक के झाग (Frog Foam) में बैक्टीरिया (Bacteria) कोलोनाइजेशन को रोकने की क्षमता है. उन्होंने बताया कि यह खोज लोगों को एक ऐसी सुरक्षित और अच्छी दवा देगी जिसे बिना किसी बीमारी के डर के लगाया जा सकेगा.
सिंथेटिक झाग (Synthetic Foam) वैसे तो बहुत तरह के उपलब्ध हैं, लेकिन इनके इलाज में उपयोग में लाने से कई तरह के जोखिम होते हैं. अध्ययन में बताया गया कि सिंथेटिक फोम वाली बहुत सारी दवाएं लगाने के कुछ ही घंटों में बेकार हो जाती हैं. इसके अलावा इन फोम को लगाने पर बार बार जख्म की पटट्टी खोलनी पड़ती है जिससे त्वचा पर संक्रमण (Infection) का खतरा और बढ़ जाता है. शोध ने चेताया कि बहुते से संथेटिक फोम संक्रमण का कारण बन जाते हैं और रोगी की त्वचा (Skin) में जलन भी पैदा कर देते हैं.
मेंढक के झाग (Frog Foam) को इलाज के लिए उपयोग में लाने की कई चुनौतियां हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि झाग से जानवर बहुत खराब वातावरण में अपने अंडों की रक्षा एक हफ्ते तक कर सकते हैं जो मिलाप के दौरान निलकता है. शोध में बताया गया है कि इस तरह का झाग केवल मेंढक (Frog) ही नहीं निकालते हैं बल्कि स्पिटलबग इंसेक्टस और सियामीज फाइटिंग मछलियां भी इस तरहके झाग निकला सकती हैं.