विज्ञान

अंतरिक्ष में अहम मिशन: NASA ने उठाया ये कदम

jantaserishta.com
20 July 2022 11:08 AM GMT
अंतरिक्ष में अहम मिशन: NASA ने उठाया ये कदम
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC

नई दिल्ली: हर साल, तेज हवाओं के जरिए 1 अरब मीट्रिक टन से ज्यादा धूल और रेत वायुमंडल में जाती है. वैज्ञानिक जानते हैं कि धूल पर्यावरण और जलवायु को प्रभावित करती है, लेकिन उनके पास फिलहाल यह तय करने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि इनसे क्या प्रभाव पड़ते हैं या भविष्य में क्या हो सकता है.

इसके लिए, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर स्पेसएक्स (SpaceX) ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया गया है. इसके जरिए NASA का अर्थ सरफेस मिनरल डस्ट सोर्स इन्वेस्टिगेशन (EMIT) उपकरण भेजा गया है, जो इस मामले में वैज्ञानिकों की मदद करेगा. EMIT के अत्याधुनिक इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर को दक्षिणी कैलिफोर्निया में एजेंसी की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने बनाया है. यह स्पेक्ट्रोमीटर एक साल के दौरान दुनिया भर में एक अरब से ज्यादा धूल के कणों को मापेगा.
अंतरिक्ष में जाकर EMIT काफी अहम काम करने वाला है. यह पृथ्वी के शुष्क इलाकों से खनिज धूल के कंपोज़शन की पहचान करेगा. रेगिस्तानी इलाकों से सबसे ज्यादा मिनरल डस्ट पैदा होती है, जो वायुमंडल में जाती है. अंतरिक्ष स्टेशन से EMIT दुनिया के मिनरल डस्ट के स्रोतों का नक्शा बनाएगा. इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर से पहली बार विश्व स्तर पर धूल के स्रोतों के रंग और संरचना के बारे में पता लगेगा. इससे डेटा वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि हर इलाके पर किस तरह की धूल हावी है और जलवायु पर इसका क्या असर होगा.
EMIT यह भी पता लगाएगा कि धूल ग्रह को गर्म करती है या ठंडा. अभी यह पता नहीं चला है कि धूल पृथ्वी को ठंडा करती है या गर्म. ऐसा इसलिए, क्योंकि वातावरण में धूल के कणों के अलग-अलग गुण होते हैं. कुछ कण गहरे लाल रंग के हो सकते हैं, जबकि कुछ सफेद. ये रंग अहम होते हैं क्योंकि इससे पता चलता है कि धूल गहरे रंग के कणों की तरह, सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित करेगी या नहीं.
इसके अलावा इससे पता लगेगा कि धूल पृथ्वी की विभिन्न प्रक्रियाओं पर क्या प्रभाव डालती है. धूल के कण अलग-अलग रंग के होते हैं, क्योंकि वे विभिन्न पदार्थों से बने होते हैं. जैसे गहरे लाल रंग के कण लोहे से बनते हैं. EMIT10 तरह के धूल के कणों के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगा, जिनमें आयरन ऑक्साइड, क्ले और कार्बोनेट शामिल हैं. इस डेटा के साथ, वैज्ञानिक सटीक रूप से यह आकलन कर पाएंगे कि अलग-अलग ईकोसिस्टम और प्रोसेस में धूल का क्या प्रभाव पड़ता है.
इस डेटा से जलवायु मॉडल की एक्यूरेसी में सुधार होगा. इतना ही नहीं इससे वैज्ञानिक यह अनुमान लगा पाएंगे कि आने वाले समय में जलवायु परिदृश्य, हमारे वातावरण में धूल के टाइप और मात्रा को कैसे प्रभावित करेंगे.
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