विज्ञान

बढ़ते तापमान से मेंटल हेल्थ पर पड़ता है बुरा असर, स्टडी में हुआ खुलासा

Subhi
20 July 2022 2:15 AM GMT
बढ़ते तापमान से मेंटल हेल्थ पर पड़ता है बुरा असर, स्टडी में हुआ खुलासा
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बदलते मौसम का असर सबसे ज्यादा उस व्यक्ति पर पड़ता है, जो पहले से ही बीमारियों का सामना करते आ रहे हैं, जैसे- बारिश आने पर लोगों को इन्फेंक्शन फैलने लगता है, गर्मी के कारण घमोरियां और खुजली होने लगती है

बदलते मौसम का असर सबसे ज्यादा उस व्यक्ति पर पड़ता है, जो पहले से ही बीमारियों का सामना करते आ रहे हैं, जैसे- बारिश आने पर लोगों को इन्फेंक्शन फैलने लगता है, गर्मी के कारण घमोरियां और खुजली होने लगती है और ठंड आने के कारण अस्थमा वाले मरीजों की समस्या दोगुनी तेजी से बढ़ जाती है. इस स्थिति में इंसान मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर होने लगता है, इसलिए आपको अक्सर कहा जाता है कि गर्मियों के समय में सिर को ढ़क कर चलें, क्योंकि गर्मी में अधिक तापमान के कारण इंसान को पानी की कमी (Dehydration) और (Delirium) बेहोशी छाने लागती है, जिसका असर सीधे आपके मस्तिष्क पर पड़ता है. तो आइए जानते हैं एक स्टडी के मुताबिक हीटवेव हमारे मष्तिस्क को कैसे हानि पहुंचाता है.

ये कहता है अध्ययन

हाल ही में एक स्टडी के मुताबिक पता चला है कि किसी भी जगह पर सामान्य तापमान से अगर 5% प्रतिशत तापमान उपर चला जाता है, तो अस्पतालों में आपातकालीन कक्ष लगभग 10% प्रतिशत तक भर जाते हैं, जिसमे मानसिक रोगों से पीड़ित, डिप्रेशन वाले मरीज, सामान्य चिंता करने वाले और गुस्सा करने वाले लोग शामिल हैं. इस अध्ययन में ऐसा कहा गया है, कि बढ़ते तापमान का असर ऐसे लोगों पर ज्यादा पड़ता है और बढ़ते तापमान के कारण लोग आत्महत्या करने की भी कोशिश करते हैं, अनुमानित तौर पर प्रत्येक एक डिग्री सेल्सियस तापमान के बढ़ने पर लगभग 2.2% प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मौतों में बढ़ोतरी होती है. और साथ ही (Humidity) हुमिडीटी के कारण भी आत्महत्या की घटनायें अधिक होती है.

आर्द्रता और तापमान

दोनों प्रकार के इंसान जलवायु परिवर्तन के आधार पर बदल रहे हैं, द्विध्रुवीय विकार (Bipolar Disorder) वाले लोग, यह एक मानसिक बीमारी है.जिसमे इंसान कभी खुश रहता है, तो कभी कभी खुशी के वक्त ही उदास हो जाता है. सामान्य तौर पर देखा जाए तो इसे मूड स्विंग की बीमारी भी कह सकते हैं. बीमारी की यह स्थिति खुद के नुकसान का कारण बनती है, जिसके वजह से ऐसे लोगों को मानसिक बदलाव और आत्महत्या के बारें में सोचने के कारण अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है.

धुंधली सोच और अक्रामक व्यवहार

गर्मी में तापमान के वजह से मानसिक रूप से स्वस्थ और मानसिक बिमारियों से जूझ रहे लोग लोगों के सोचने और तर्क वाले लोगों पर बढ़ते तापमान का बुरा असर पड़ता है. अनुसंधान से पता चलता है कि मुश्किल कामों को करने के लिए मस्तिष्क का सही रहना सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन गर्मी में तनाव बढ़ जाने के कारण ऐसा कर पाना मुश्किल होता है.

बोस्टन यूनिवर्सिटी के छात्रों पर परिक्षण

बोस्टन यूनिवर्सिटी के छात्रों पर अध्ययन किया गया, जिसमे कुछ छात्रों को हीटवेव के दौरान बिना एयर कंडीशनिंग वाले कमरों रखा गया, और देखा गया की गर्मी के तापमान(extreme heat) के वजह से लोग अच्छे से नहीं सोच पाते, और उनके साथियों की तुलना में 13 प्रतिशत खराब प्रदर्शन किया गया था, ऐसे में वो चिड़चिड़ापन के शिकार हो जाते हैं. और उनका गुस्सा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है. और वो हिंसक हो जाते हैं, जिसका पुख्ता साबुत मौजूद है. साथ ही यह अनुमान लगाया गया की 2090 तक विश्व के स्तर पर 5% होने वाले अपराध का कारण तापमान हो सकता है. साथ ही कहा गया की गर्मी का मौसम चिंता को बढ़ा सकता है.

जलवायु परिवर्तन पर होगा काम

यूके(UK) में शामिल 60% प्रतिशत युवाओ ने कहा की वो जलवायु परिवर्तन को लेकर बेहद चिंतित हैं, और उनमे से 45% युवाओं ने कहा की बदलने तापमान उनके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, और यही सबसे महत्वपूर्ण सबूत है, तो ऐसे में हमें आने वाले पीढ़ियों के लिए जलवायु परिवर्तन पर काम करना चाहिए.

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