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- मीनपंख से विकसित हुआ...
क्या मानव शरीर का इतिहास मछलियों से भी जुड़ा है. यह सवाल भले ही अटपटा सा लगे, लेकिन पिछली सदी से ही कई वैज्ञानिक यह जानने का प्रयास कर रहे थे कि क्या शुरुआती रीढ़दार जानवरों में एक पूरी सांसों के लिए छिद्र वाली यानि श्वास रंध्र (spiracle) मीनपंख (Gills) जरूर मौजूद रही होगी. रीढ़धारियों (Vertebrates) में श्वासरंध्र उनके विकासक्रम में एक अनसुलझे रहस्य की तरह रही जिसकी पड़ताल वैज्ञानिक एक सदी के ज्यादा समय से कर रहे हैं. लेकिन अब चीन में मिले एक नए जीवाश्म अध्ययन ने खुलासा किया है कि मानव का मध्य कान Middle Ear of Man) का विकास मछलियों के मीनपंख से ही हुआ है.
मध्य कान की हड्डियां
मानव का मध्य कान में तीन कंपन हड्डियां होती हैं. जो ध्वनि कंपनों को आंतरिक कान तक पहुंचती हैं जहां से तंत्रिकाएं मस्तिष्क तक ध्वनि संवेदनाएं पहुंचा कर हमें सुनने का अहसास देती हैं. अब चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के इंस्टीट्यूट ऑफ वर्टिबरेट पेलिएन्टोलॉजी एंड पेलियोएंथ्रोपोलॉजी (IVPP) के वैज्ञानिकों और उनके साथियों ने इस रहस्य से संबंधित संकेत चीन में गेलेयास्पिड जीवाश्म में पाए हैं.
करोड़ों साल पहले के जीवाश्म
इस अध्ययन के नतीजे फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में पिछले महीने ही प्रकाशित हुए हैं. शोध के प्रथम लेखक और प्रोफेसर गाई झुइकुन के मुताबिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पिछले 20 सालों में 43.8 करोड़ साल पुरना शुयू मछली का 3डी ब्रेनकेस जीवाश्म और 41.9 करोड़ साल पुरानी गेलास्पिड मछलीका जीवाश्म मिला जिसके पहले ब्रैंकिल चैंबर में गिल के तुतु पूरी तरह संरक्षित थे.
कहां मिले थे ये
ये जीवाश्म चीन के झेजियांग प्रांत के चांगजिंग और यूनान प्रांत के क्यूजिंग इलाकों में मिले थे. गाइ ने बताया कि इन जीवाश्मों से पहले शरीरविज्ञान संबंधी और जीवाश्म संबंधी प्रमाण मिले हैं जिसमें मछली की गिल से एक रीढदार श्वासरंध्र निकला हुआ पाया गया है.
शुयू मछली के कपाल के हिस्से
शोधकर्ताओं ने शुरू के मस्तिष्ट के ढांचो का निर्माण किया जिसमें शुयू मछली के कपाल की शरीर रंचना की विस्तार से खुलासा हो सका. इस उंगली के सिरे के आकार की खोपड़ी में पांच मस्तिष्क भागों, संवेदी अंग और खोपड़ी की तंत्रिकाएं एवं खोपड़ी में खून की नसें शामिल थीं.
मछली वाले पूर्वजों से
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के शिक्षाविद झू मिन ने बताया कि मानव के बहुत सी अहम संरचनाएं हमारे मछली वाले पूर्वजों से मिलते हैं जिसमें दांत, जबड़ा, मध्य कान आदि शामिल हैं. जीवाश्मविज्ञिकों का मुख्य कार्य इंसान से मछियों तक की उद्भव जंजीर में गायब अहम कड़ियों को खोजना है. शुयू मछली को इस शृंखला में इसी तरह की कड़ी मानी जाती है जैसे कि आर्कोयोप्टेरिक्स, ईकथायोस्टेगा और टिक्टालिक को माना जाता है.
श्वासरंध्र का कार्य
श्वासरंध्र (spiracle) कुछ मछलियों में हर आंख के पीछे एक छेद होता है जो मुंह में जाकर खुलता है. शार्क और सभी रे में यह श्वासरंध्र पानी को मुंह से मींनपंखों तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. श्वासरंध्र प्रायः जीव के शीर्ष पर लगा होता है जिससे जानवर तब भी सांस ले पाता है जब वह अवसादों में दबा होता है.
बाद में मछलियों के श्वासरंध्र से सांस लेने की प्रक्रिया गैर मछलियों में नाक और मुंह से लेने की प्रक्रिया से बदल गई शुरुआती चौपायों में इसका उपयोग श्वसन के लिए हो ता रहा है. और वे आवाज को पहचानने में सक्षम नहीं थे. ,लेकिन बाद में आधुनिक चौपायों को कान वे सुनने वाले अंग में बदल गए जिससे ध्वनि मस्तिष्क में पहुंच सके. यह क्रिया आज के मानवों के विकसित होने तक कायम है.