विज्ञान

कितना विशेष है वैज्ञानिकों का खोजा गया नया ब्लैकहोल

Subhi
20 July 2022 5:13 AM GMT
कितना विशेष है वैज्ञानिकों का खोजा गया नया ब्लैकहोल
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इन दिनों ब्रह्माण्ड में किसी नए ब्लैक होल की खोज कोई अनोखी बात नहीं है. लेकिन अगर यह ब्लैक होल दूसरों से हटकर तो जरूर अनोखी बात हो सकती है.

इन दिनों ब्रह्माण्ड में किसी नए ब्लैक होल की खोज कोई अनोखी बात नहीं है. लेकिन अगर यह ब्लैक होल दूसरों से हटकर तो जरूर अनोखी बात हो सकती है. ऐसा ही हुआ जब खगोलविदों को मिल्की वे में एक ऐसा ब्लैक होल खोजा जो सुसुप्त (Dormant) Black Hole) है और ऐसा लगता है कि वह किसी मरते हुए तारे के विस्फोट के बिना ही पैदा हुआ था. वैज्ञानिक इस अजीब से ब्लैक होल को "भूसे में सुई" (Needle in the Haystack) कह रहे हैं. वैज्ञानिकों को इस ब्लैकहोल के बारे में धुंधले एक्स रे विकिरण (X Ray quiet) से पता चला है, जबकि आमौतर पर ब्लैक होल के पास से शक्तिशाली और चमकीली एक्स रे विकिरणें निकला करती हैं.

धुंधली एक्स रे के इशारे

तेजी से और चमकीली एक्सरे विकिरणों का दिखने से पता चलता है कि ब्लैक होल अपने आसपास का पदार्थ कितनी तेजी से निगल रहा है जिसकी वजह उसके बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने यह पाया कि यह ब्लैक होल सुपरनोवा जैसे तारकीय विस्फोट की वजह से पैदा ही नहीं हो पाया होगा.

कैसे बनते हैं ब्लैक होल

ब्लैक होल के बारे में माना जाता है कि तारे के मरते समय हुए सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेषों के सिकुड़ने से अतिअसामान्य घनत्व वाले पिंड में बदलने से बनता है. इसका गुरुत्व इतना ज्यादा होता है कि उसके प्रभाव से प्रकाश तक बाहर नहीं छूट पाता और वह उसे भी अंदर खींच लेता है. और उसके आसपास की गतिविधियों के कारण पैदा हुए तीव्र प्रकाश से ही उसकी उपस्थिति का पता चलता है.

एक अलग ही ब्लैक होल

लेकिन यह ब्लैक होल अलग है. इसका भार हमारे सूर्य से केवल 9 गुना ज्यादा है. इसके टेरेनटुला नेब्युला इलाके के विशाल मैगेलैनिक बादल गैसेक्सी में खोजा गया है जो पृथ्वी से एक लाख 60 हजार प्रकाशवर्ष दूर स्थिति है. इसके साथ एक बहुत ही चमकीला गर्म नीला तारा भी है जो सूर्य से 25 गुना बड़ा है और दोनों एक दूसरे का चक्कर लगाते हुए एक द्विज तंत्र बना रहे हैं.

भूसे में से सुई

इस द्विज तंत्र का नाम VFTS 243 और वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्लैक होल का साथी तारा भी देर सबेर ब्लैक होल बन जाएगा और दोनों का एक दूसरे में विलय भी हो जाएगा. नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और एम्सटरडैम यूनिवर्सिटी में खगोलविज्ञान में रिसर्च फैलो तोमर शेनार ने बताया कि इस तरह के पिंडों को खोजना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम होता है और 'हमने भूसे में से सुई खोजने' का काम किया है.

दशकों से चल रही थी खोज

इस अध्ययन के सहलेखक करीम अल बादरी ने बताया है कि यह इस तरह का पहला पिंड है जिसे खगोलविद दशकों से खोज रहे थे. शोधकर्ताओं ने यूरोपीयन साउदर्न वेधशाला के चिली स्थित वेरी लार्ज टेलीस्कोप से छह साल तक किए गए अवलोकनों का उपयोग किया और फिर इस तरह के पिंड को खोजने में सफलता हासिल की.

बिना सुपरनोवा विस्फोट के

ब्लैक होल कई तरह के होते हैं यह जो ब्लैक होल खोजा गया है वह तारकीय भार का ब्लैक होल होता है जो किसी एक विशाल तारे का जीवन खत्म होने के बाद बचे अवशेषों को सिमटने से बनता है, अब चूंकि ऐसे ब्लैक होल को देखने मुश्किल होता है शोधकर्ताओं ने इसके लिए द्विज तारों के तंत्रों को देखना शुरू किया जिनमें से एक तंत्र के एक चमकीला तारा तो दिखा, लेकिन दूसरा तारा नहीं दिखा. इस मामले में वैज्ञानिकों को लगता है कि सूर्य से 20 गुना भारी तारे का कुछ पदार्थ अंतरिक्ष में चला गया होगा और बिना विस्फोट के ही ब्लैक होल में तब्दील हो गया होगा.

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें यह बाद तारों की सटीक वृत्ताकार कक्षा से पता चली क्योंकि लग विस्फोट हुआ होता तो कक्षा वृत्ताकार नहीं रह पाती. वहीं ब्लैक होल बहुतज्यादा पदार्थ निगलने के लिए भी जाने जाते हैं, लेकिन ऐसा तभी हो पाता है जब उनके आसपास कुछ निगलने लायक हो. सामान्यतः ऐसा वे पास के दूसरे तारे से पदार्थ निगलते हैं. लेकिन सुसुप्त ब्लैक होल तंत्र में साथी इतनी पास नहीं होता है कि ब्लैक होल के पास पदार्थ जमा हो सके. बल्कि पास में जो भी पदार्थ होता है वह सीधा ही ब्लैक होल मे चला जाता है.


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