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![प्रेग्नेंसी में टीका लगाना कितना सुरक्षित? प्रेग्नेंसी में टीका लगाना कितना सुरक्षित?](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/05/15/1057641-bg.webp)
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प्रेग्नेंसी में कोरोना का टीका
अपनी गर्भावस्था के 25वें हफ्ते में 35 वर्षीय आन्या डब्ल्यू के पास अगर और स्पष्ट मेडिकल सलाह होती तो वो कोविड-19 के खिलाफ टीका लगा चुकी होतीं. वैसे तो वो खुद एक डॉक्टर हैं और तमाम मुद्दों से बखूबी वाकिफ हैं. वे कहती हैं, "जर्मन सोसायटी फॉर गाइनेकोलॉजी एंड ओब्स्टेट्रिक्स और टीकाकरण की स्टैंटर्ड कमेटी, अगर गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने की स्पष्ट सिफारिश करें, और अगर कोविड-19 टीकाकरण को वायरस से संक्रमण की तुलना में एक कमतर जोखिम की तरह माना गया, तो मैं टीका लगा लूंगी. दूसरे देशों मे इस बाबत दी जा रही सलाहो पर भी मेरी नजर है. अमेरिका में महीनों से गर्भवती औरतों को टीका लगाया जा रहा है."
अमेरिका के अतिरिक्त, ब्रिटेन और बेल्जियम जैसे देशों ने भी गर्भवतियों को टीके की सिफारिश कर दी है. उन्हें प्राथमिकता के आधार पर टीके लग रहे हैं. लेकिन जर्मनी मे टीकाकरण की स्थायी समिति (स्टाइको) ने इस बारे में अभी तक सिफारिश नहीं दी है, न तो गर्भावस्था में या नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के समय.
डाटा की कमी से होती देर
इसी साल अप्रैल में स्टाइको ने गर्भावस्था में टीकाकरण न कराने का सिफारिश की थी. उसका कहना था कि सिर्फ उन्हें ही टीका लगाया जाना चाहिए जो कोविड-19 के गंभीर रूप से पीड़ित मरीज हैं. लेकिन तमाम जोखिमों से जुड़ी पूरी जांच पड़ताल और व्यक्ति को पूरी तरह सूचित कर देने के बाद टीका लगाया जा सकता है. बुनियादी रूप से इसका मतलब ये हुआ है कि टीका सिर्फ अकेले, अपवाद वाले मामलों में ही लग सकता है और व्यक्ति के अपने जोखिम पर. स्टाइको का कहना है कि उसके पास टीके की आम सिफारिश के लिए पर्याप्त डाटा नहीं है क्योंकि बहुत कम गर्भवती महिलाएं क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा बनती हैं.
यानी कमेटी ने मां बनने वाली महिलाओं को टीका लगाने के लिए मना नहीं किया है, सिर्फ इतना ही कहा है कि वो गर्भ धारण करने वाले हर व्यक्ति के लिए इसकी सिफारिश नहीं कर सकती है. ये 'के लिए नहीं' का मामला है न कि 'के खिलाफ' का. लेकिन ठीक यही बात है जो मांओं को भ्रम में डाल रही है.
गाइनेकोलॉजिस्ट चाहते हैं तेज टीकाकरण
इंटेसिव केयर से जुड़े पेशेवर और गाइनेकोलॉजिस्ट दबाव बना रहे हैं. जर्मनी में 11 विशेषज्ञ संगठनों के एक समूह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए एक पेपर प्रकाशित किया है. जिसमें कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 का ज्यादा गंभीर खतरा है और एमआरएनए वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर अब पर्याप्त भरोसेमंद डाटा आ चुका है. स्टीफान क्लूगे भी ऐसा ही मानते हैं. वो हैम्बुर्ग-एपेनडोर्फ के यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (यूकेई) के प्रमुख हैं.
क्लूगे कहते है कि इंटेसिव केयर में गर्भवती महिलों में कोविड मामलों की बढोत्तरी देखी जा रही है. डीपीए समाचार एजेंसी से उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताहों में पांच ऐसे मामले आ चुके हैं. क्लूगे कहते हैं, "ये मामले खासतौर पर चिंताजनक हैं. हमें जर्मनी में गर्भवती महिलाओं को टीका लगाना शुरू करना होगा."
गर्भावस्था में ज्यादा गंभीर मामले
सितंबर 2020 से गर्भवती महिलाएं हाईरिस्क वाले वर्ग में हैं. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन ने 190 अध्ययनों के डाटा की समीक्षा की जिसमें 68 हजार महिलाएं शामिल थीं. नतीजे असंदिग्ध थेः गर्भवती महिलाओं में पांच गुना मामले बगैर किसी लक्षण वाले थे लेकिन संक्रमण के बाद उन्हें इंटेन्सिव केयर या कृत्रिम श्वसन की जरूरत होगी, इसका जोखिम दोगुना था.
कोविड-19 से मृत्यु का जोखिम भी उतना ही अधिक था, हर दस हजार मामलों में दो मौतें. डायबिटीज या मोटापे जैसी बीमारियां या 35 साल से ऊपर की उम्र भी जोखिम को बढ़ा सकती है. औसतन गर्भवती महिलाओं का जोखिम उसी स्तर का है जितना की 70 से 84 साल वाले लोगों में हो सकता है.
पहले से ज्यादा चिंताएं
आन्या डब्ल्यू कहती हैं कि अगर गर्भवती महिलाओं को जोखिम वाला मरीज माना जाता है तो उनकी हिफाजत करना उच्च प्राथमिकता होना चाहिए. एक वर्किंग डॉक्टर और साथ ही साथ गर्भवती होने के नाते, वो खुद को खासतौर पर असहाय महसूस करती हैं. वे कहती हैं, "अपनी पहली प्रेग्नेंसी के मुकाबले मैं इस बार ज्यादा चिंता महसूस कर रही हूं. अस्पताल में अभी भी काम कर रही हूं और खुद को कोविड इंफेक्शन से बचाए रखने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हूं."
आन्या कहती हैं, "कार्यस्थलों में गर्भवती महिलाओं के बारे में, जर्मन सोसायटी फॉर गाइनेकोलॉजी और रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट (रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए गठित जर्मन सरकार की एजेंसी) से मुझे बेहतर सलाह की उम्मीद थी." गर्भवती और स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए टीकाकरण की मांग कर रहे गाइनेकोलॉजी के जर्मन विशेषज्ञ संगठन, वी-सेफ कोविड-19 वैक्सीन प्रेग्नेंसी रजिस्ट्री का हवाला भी देते हैं जो अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) से आयी है.
सीडीसी का कहना है कि इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि कोविड-19 वैक्सीन गर्भवती महिलाओं में कोई कम्प्लीकेशन पैदा कर सकती है. उसका कहना है कि एंटीबॉडीज के बनने या वैक्सीन को सहने के बारे में किसी तरह की चिंताएं नहीं हैं.
एमआरएनए वैक्सीन को तरजीह
वैसे गर्भवती महिलाओं को एमआरएनए वैक्सीन लेने की सलाह दी गयी है. ये हैं बायोनटेक/फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीनें. गर्भवती डॉक्टर आन्या डब्लू भी एमआरएनए वैक्सीन को तरजीह देती हैं. उनका कहना है, "गर्भवती महिलाओं में थ्रोम्बोसिस का ज्यादा खतरा रहता है और मैं साइनस थ्रोम्बोसिस का जोखिम टालना चाहूंगी, इसलिए मैं एमआरएनए वैक्सीन लगाने को ही कहूंगी."
कोरोना: मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर
61 फीसदी लोग उदास, चिंतित और गुस्से में
लोकल सर्किल्स के सर्वे शामिल लोगों से भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों पर सवाल पूछे गए. सर्वे में पाया गया कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण लोग अत्यधिक तनाव महसूस कर रहे हैं. सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है. सर्वे के मुताबिक देश में 61 फीसदी लोग उदास, चिंतित और गुस्से में हैं.
हानि-लाभ का कठिन आकलन
लेकिन कई महिलाएं, जो गर्भवती हैं और टीका लगाने को तैयार हैं, उन्हें अभी भी टीका नहीं लग पा रहा है क्योंकि बताया जाता है कि डॉक्टर भी किसी तरह का जोखिम उठाने से बच रहे हैं. बात घूमफिरकर गर्भवती महिलाओं पर आकर ही टिक जाती है. उन्हें ही ये तय करना होगा कि कोविड-19 के संक्रमण का जोखिम ज्यादा है या टीका लगाने का.
आन्या डब्ल्यू को उम्मीद है कि कि जर्मनी में जल्द ही गर्भवती महिलाओं को लेकर स्पष्ट सलाह सामने आ पाएगी. उनके मुताबिक, "तब तक मेरा दूसरा बच्चा इस दुनिया में आ चुका होगा."
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