विज्ञान

कितनी पावरफुल होती हैं हाइपरसोनिक मिसाइल्‍स? कहा जाता है फ्यूचर का हथियार, जानें सब कुछ

jantaserishta.com
21 March 2022 8:14 AM GMT
कितनी पावरफुल होती हैं हाइपरसोनिक मिसाइल्‍स? कहा जाता है फ्यूचर का हथियार, जानें सब कुछ
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नई दिल्ली: रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) पर दो दिन के अंदर अपनी दो ताकतवर हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) दागी. पहली किंझाल (Kinzhal), जिसे डैगर (Dagger) यानी खंजर भी बुलाया जाता है. दूसरी कैलिबर क्रूज मिसाइल (Kalibr Cruise Missile). अब आप सोच रहे होंगे कि क्रूज मिसाइल को हाइपरसोनिक क्यों कहा जा रहा है. आप इस स्टोरी में आगे इस बात की वजह को जानेंगे. पहले ये जानते हैं कि हाइपरसोनिक मिसाइलों की मांग बढ़ी कहां से?

Military.com में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका कुछ साल पहले हाइपरसोनिक हथियारों (Hypersonic Weapons) के विकास के मामले में रूस से पिछड़ रहा था. फिर उसने तेजी दिखाते हुए हथियार विकसित किए और अपने जंगी जहाजों पर तैनात कर दिया. अमेरिका अब भी इन हथियारों को विकसित कर रहा है. लेकिन रूस ने तो दिखा दिया कि उसके पास हाइपरसोनिक मिसाइल हैं. और उसने उनका उपयोग यूक्रेन पर कर भी दिया. हालांकि, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन इसकी पुष्टि नहीं कर पा रहा है.
अमेरिकी सेना अब ऐसे हाइपरसोनिक हथियारों के विकास में लगी है, जो लॉन्च तो होगा बैलिस्टिक मिसाइल की गति से लेकिर टारगेट को हिट करने से पहले वह आवाज की गति (Speed of Sound) से सात-आठ गुना ज्यादा गति हासिल करके हाइपरसोनिक हो जाए. इसके बाद सीधे दुश्मन के टारगेट को ध्वस्त कर दे. ऐसी तकनीक का परीक्षण अमेरिकी नौसेना के जमवॉल्ट क्लास डेस्ट्रॉयर्स में किया जा रहा है. टेनेसी से डेमोक्रेट अमेरिकी सांसद जिम कूपर कहते हैं कि अमेरिका इस तकनीक के मामले में फेल हो रहा है. उसके 10 हजार लोग 1980 से इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं. मुझे लगता है कि यूक्रेन पर रूस का हमला पेंटागन के हाइपरसोनिक हथियारों के बजट से भी जुड़ता है.
हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) वो हथियार होते हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चले. यानी कम से कम मैक 5 (Mach 5). साधारण भाषा में इन मिसाइलों की गति 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती हैं, कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना अंसभव होता है.
आमतौर पर क्रूज मिसाइल या बैलिस्टिक मिसाइलों की गति काफी ज्यादा तेज होती है. लेकिन इनकी तय दिशा और यात्रा मार्ग की वजह से इन्हें ट्रैक किया जा सकता है. इन्हें मारकर गिराया जा सकता है. अगर इनकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा यानी 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दी जाए. साथ ही स्वतः दिशा बदलने लायक यंत्र लगा दिए जाएं तो यह हाइपरसोनिक हथियारों में बदल जाते हैं. इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना लगभग असंभव हो जाता है.
हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले. दूसरा- क्रूज मिसाइल. अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल्स पर है. जिसके पीछे छोटी मिसाइल लगाई जाती है. फिर उसे मिसाइल लॉन्चर से छोड़ा जाता है. एक निश्चित दूरी तय करने के बाद मिसाइल अलग हो जाती है. उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स आसानी से उड़ते हुए टारगेट पर हमला करता है. इन हथियारों में आमतौर पर स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है, जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है. इससे उसे एक तय गति और ऊंचाई मिलती है.
Military.Com के अनुसार रूस का दावा है कि उसके पास ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जिनके ऊपर हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (Hypersonic Glide Vehicles) और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें (Hypersonic Cruise Missiles) लगाई जा सकती हैं. यानी बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज और ताकत मिलने के बाद हाइपरसोनिक मिसाइल का कॉम्बीनेशन बेहद खतरनाक हो जाता है.
हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं. कहा जाता है कि उत्तर कोरिया भी ऐसी मिसाइल विकसित करने में लगा है. जो धरती से अंतरिक्ष या धरती से धरती के दूसरे हिस्से में सटीकता से मार कर सकते हैं. वैसे भारत भी ऐसी मिसाइल को विकसित करने में जुटा हुआ है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और कुछ यूरोपीय देशों के बारे में भी बीच-बीच में चर्चा होती रहती है.
रूसी सरकार हाइपरसोनिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Russian Hypersonic Intercontinental Ballistic Missile) बना चुकी है. जिसका नाम है एवनगार्ड (Avangard) है. यह मिसाइल मैक 20 यानी Mach 20 की गति से चलेगी. मतलब ध्वनि की गति से 20 गुना ज्यादा रफ्तार. यानी 24,696 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से. रूस के पास एवनगार्ड हाइपरसोनिक हथियार है, जिसे ICBM मिसाइल में लगाकर छोड़ा जाता है.
भारत हाइपरसोनिक ग्लाइडर हथियार बना रहा है, उसका परीक्षण भी कर चुका है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण साल 2020 में किया था. इसे एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल- Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं.
भारत के एचएसटीडीवी (HSTDV) का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. हालांकि, फिलहाल इसकी गति करीब 7500 किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन भविष्य में इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है. इस यान से यात्रा तो की ही जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर पलक झपकते ही बम गिराए जा सकते हैं. या फिर इस यान को ही बम के रूप में गिराया जा सकता है.
भारत के पास भी कैलिबर क्रूज मिसाइल (Kalibr Cruise Missile) है. इसे भारतीय नौसेना ने अपने किलो (Kilo) क्लास सबमरीन में लगा रखा है. भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों में लगने वाले वैरिएंट्स Club-S और Club-N से हैं. किलो क्लास सबमरीन को सिंधुघोष क्लास सबमरीन भी कहते हैं. इसके अलावा ये मिसाइल भारतीय नौसेना के तलवार क्लास फ्रिगेट्स में भी तैनात किए गए हैं.
रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं. इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करेगा. इस मिसाइल की रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी. यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से जागा जा सकेगा. ऐसा माना जा रहा है कि यह मिसाइल अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगी.
भारत का यह पहला हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल होगा. फिलहाल यह कॉन्सेप्ट के स्तर पर है. उम्मीद जताई जा रही है कि यह मैक-5 यानी करीब 4000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ेगा. भारत सरकार के साथ एक निजी कंपनी मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इसका आधिकारिक नाम HGV-202F रखा गया है. इसके डिजायन की तस्वीर सामने नहीं आई है.
हो सकता है कि चीन ने अपने नए हाइपरसोनिक हथियार DF-ZF का परीक्षण हाल ही में किया हो लेकिन उसके बारे में दुनिया को जानकारी न दी हो. यह हथियार 6173 किलोमीटर प्रतिघंटा से लेकर 12,360 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार हासिल करने की क्षमता रखता है. यह ग्लाइडर की तरह है, जो पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. ये हथियार पहले सीधे अंतरिक्ष की ओर जाते हैं, फिर टारगेट के ऊपर पंहुचने से पहले धरती के गुरुत्वाकर्षण की उपयोग करके तेजी से नीचे आते हैं. उसके बाद काफी नीची उड़ान भरते हुए यानी ग्लाइड करते हुए टारगेट पर हमला करते हैं.
चीन के DF-17 में कम ऊंचाई में उड़ने की क्षमता है. वैसे तो वह बैलिस्टिक मिसाइल है लेकिन वह हाइपरसोनिक हथियार की तरह भी काम कर सकता है, क्योंकि उसका अगला हिस्सा ग्लाइडर की तरह बनाया गया है. उसके अगले हिस्से में विंग्स है, जो उसे कम ऊंचाई पर ग्लाइड करने की ताकत प्रदान करते हैं. यह 1800-2000 किलोमीटर की रेंज में आने वाले टारगेट को बर्बाद कर सकता है. चीन ने दो साल पहले 1 अक्टूबर 2019 को तियानमेन चौराहे पर DF-17 मिसाइल का प्रदर्शन किया. यह चीन की नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जो पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. लेकिन इन सबसे अलग जो बात गौर करने लायक है, वो ये कि इसमें हाइरपसोनिक ग्लाइड सिस्टम (Hypersonic Glide System) लगा है. यानी यह मिसाइल समुद्र के ऊपर कम ऊंचाई पर भी तेजी से उड़ सकता है.
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