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OMG! डर कैसे पैदा होता है? वैज्ञानिकों ने किया ये खुलासा

jantaserishta.com
23 Aug 2022 9:46 AM GMT
OMG! डर कैसे पैदा होता है? वैज्ञानिकों ने किया ये खुलासा
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: हाल ही में किए गए एक अध्ययन में, ऐसे दो सर्किट के बारे में बताया गया है, जो दिमाग में डर पैदा करने के लिए मिलकर काम करते हैं. शोधकर्ताओं की टीम का मानना है कि कैल्सीटोनिन जीन-रिलेटेड पेप्टाइड (CGRP) नाम के अणु का इस्तेमाल करने वाले न्यूरॉन्स, दिमाग के 'फियर सेंटर' (Fear center)- एमिगडाला (Amygdala) के साथ-साथ, डर पैदा करने में अहम भूमिका निभाते हैं.

उन्होंने अपनी परिकल्पना की जांच आनुवंशिक रूप से मॉडिफाइड चूहों पर की. उन्हें चूहों के मस्तिष्क तंत्र (Brainstem) और थैलेमस में दो अलग-अलग तरह के CGRP न्यूरॉन्स मिले, जो चूहे के अमिगडाला से जुड़े थे. मानव न्यूरॉन्स भी CGRP को दर्शाते हैं, इसलिए यह संभव है कि यह सर्किट माइग्रेन, पीटीएसडी (PTSD) और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder) जैसी स्थितियों में शामिल हो.
शोधकर्ताओं ने चूहों में कैल्शियम इमेजिंग के लिए, मिनीस्कोप (Miniscope) नाम का एक छोटा डिवाइस फिट किया. इस डिवाइस की मदद से वैज्ञानिक सीजीआरपी न्यूरॉन्स की गतिविधि को ट्रैक करते हैं.
सेल रिपोर्ट्स (Cell Reports) में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, चूहों ने कई बार खतरे को महसूस किया. जैसे जब उनके पैर में करंट का छोटा सा झटका लगा, जब उन्होंने गड़गड़ाहट जैसी आवाज सुनी, जब उनके ऊपर से एक डिस्क गुजारी गई, जिससे उन्हें एक पक्षी के होने का आभास हुआ, जब ट्राइमेथिलथियाज़ोलिन में भिगोया हुआ कॉटन उन्होंने सूंघा, जो लोमड़ी के मल का एक घटक जिससे चूहे डरते हैं, साथ ही कुनैन का घोल जिसका स्वाद कड़वा होता है.
वैज्ञानिकों ने 160 CGRP न्यूरॉन्स की गतिविधि दर्ज की, आधे CGRP(SPFp) और आधे CGRP(PBel). उन्होंने पाया कि ज्यादातर सीजीआरपी न्यूरॉन्स की गतिविधि तब बढ़ी जब चूहों को खतरनाक आवाज़, स्वाद, गंध, संवेदना और दृश्य संकेतों का सामना करना पड़ा. हालांकि, उत्तेजनाओं (Stimuli) को नियंत्रित करने के लिए न्यूरॉन्स ने उतनी मजबूती से प्रतिक्रिया नहीं दी.
कैलिफ़ोर्निया के साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज (Salk Institute for Biological Studies in California) के एक न्यूरोबायोलॉजिस्ट सुंग हान (Sung Han) का कहना है कि हमने जो ब्रेन पाथवे खोजा है, वह सेंट्रल अलार्म सिस्टम की तरह काम करता है. सीजीआरपी न्यूरॉन्स सभी पांच इंद्रियों - दृष्टि, ध्वनि, स्वाद, गंध और स्पर्श से निगेटिव सेंसरी संकेतों से सक्रिय होते हैं.
चूहों में उन्होंने सीजीआरपी न्यूरॉन्स को साइलेंट कर दिया और यह देखने के लिए एक प्रयोग फिर से किया कि क्या चूहे डरावनी उत्तेजनाओं पर भी डर वाले व्यवहार का ही पैटर्न दिखाते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि अब चूहों ने बिजली के झटके या तेज आवाज पर काफी कम प्रतिक्रिया दी.
शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि इन सभी खतरे के संकेतों को दिमाग के एक हिस्से में परिवर्तित करके, यह जानवरों को निर्णय लेने में मदद कर सकता है. अगर यही सीजीआरपी न्यूरल सर्किट मनुष्यों में पाया जाता है, तो इससे कई बीमारियों और स्थितियों का इलाज किया जा सकता है.
शोध के सह-लेखक सुक्जे जोशुआ कांग ( Sukjae Joshua Kang) का कहना है कि हमने अभी तक इसकी जांच नहीं की है, लेकिन माइग्रेन से भी ये सीजीआरपी न्यूरॉन्स थैलेमस और ब्रेनस्टेम में एक्टिवेट हो सकते हैं. सीजीआरपी को ब्लॉक करने वाली दवाओं का इस्तेमाल माइग्रेन के इलाज में होता है, इसलिए हमें उम्मीद है कि हमारा शोध पीटीएसडी और ऑटिज़्म में मदद कर सकता है.


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