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पानी में कैसे सांस लेती हैं मछलियां, जानें क्या कहता है विज्ञानं

Tulsi Rao
5 Jun 2022 7:23 AM GMT
पानी में कैसे सांस लेती हैं मछलियां, जानें क्या कहता है विज्ञानं
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या मछलियां (Fishes) भी सांस (Breathe) लेती हैं. इस सवाल का जवाब सभी लोगों को पता है कि हां वे भी सांस लेती हैं और पानी में ही सांस (Breathe in Water) ले पाती हैं. लेकिन वे पानी के बाहर यानी हवा में आने पर सांस क्यों नहीं ले पाती हैं और घुट घुट कर क्यों मर जाती है. और वे आखिर पानी में सांस कैसे लेती हैं. ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब बहुत कम लोग जानते हैं. और अगर जानते हैं तो आधा अधूरा जानते हैं. आइए जानते हैं कि मछलियां पानी में सांस कैसे लेते हैं और इस बारे में क्या कहता है विज्ञान?

इंसान कैसे लेते हैं सांस
इंसानों की तरह मछिलियों को भी सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की ही जरूरत होती है. अगर ऐसा है तो वह पानी में सांस कैसे लेती हैं, जबकि इंसान और अन्य जानवर तो पानी में सांस नहीं ले पाते हैं. इंसान और धरती के दूसरे जानवर श्वसन प्रक्रिया द्वारा सांस लेते हैं. वे ऑक्सीजन वाली हवा नाक और मुंह से फेंफड़ों तक अंदर लेते है और कार्बन डाइऑक्साइड उसी रास्ते से छोड़ देते हैं. लेकिन मछलियों के लिए यह प्रक्रिया थोड़ी अलग है.
पानी में घुली ऑक्सीजन
मछलियों को सांस लेने के लिए मछलियों को पानी में घुले हुए ऑक्सीजन के अणुओं को खींचना होता है. इसके लिए उनके खास अंग गिल्स काम में आते हैं. जहां हवा में ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज्यादा होती है, वहीं पानी इसकी मात्रा काफी कम होती है. इस लिहाज से मछलियों के लिए सांस लेने का काम बहुत मुश्किल होता है. इसके लिए मछलियां अपे मुंह में पानी लेती हैं, जैसा इंसान अपने नाक और मुंह से हवा लेता है.
पानी से खून तक का सफर
एक बार मुंह में पानी लेने के बाद यह पानी गिल्स के तक पहुंचता है. गिल्स मछली के शरीर में प्रोटीन अणुओं से बने पंखों जैसे बहुत सारे तंतुओं से बने अंग होते हैं. ये तंतु ब्रश के पतले तार की तरह होते हैं. इनमें हजारों छोटी छोटी खून की वाहिकाएं होती हैं जिसकी मदद से ऑक्सीजन खून में मिल जाती है. इनकी संख्या इंसान के फेफड़ों में मौजूद वाहिकाओं से भी ज्यादा होती हैं.
Environment, Oceans life, Marine life, breathing of Fish, Fish Breathing in Water, Gills, Respiration, Respiration of Fishes, मछलियां (Fieshes) के लिए गिल्स ही पानी में से ऑक्सीजन छांटने का काम करती हैं. प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ऑक्सीजन और CO2 का आदान प्रदान
भारी संख्या में खून की वाहिकाओं होने से मछली को ऑक्सीजन मिलने के लिए ज्यादा सतह मिल पाती है. इससे मछलियां पानी में से घुली हुई ऑक्सीजन खींच पाती हैं और पानी में कार्बन डाइऑक्साइड पानी में वापस फेंक पाती हैं. लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान गिल्स में पानी की दिशा एक ही होती है.
शक्तिशाली प्रक्रिया
यही वजह है कि इंसान के फेफड़े और मछलियों के गिल्स की डिजाइन अलग अलग होती है. और यही वजह है कि इंसान पानी में और मछलियां हवा में सांस क्यों नहीं ले पाती हैं. ताकत की बात की जाए तो ऑक्सीजन खींचने के मामले में गिल्स फेफड़ों की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली होती है. इन गिल्स से निकलने वाली 75 प्रतिशत ऑक्सीजन निकल कर श्वसन प्रक्रिया में आगे उपयोग में आती है.
Environment, Oceans life, Marine life, breathing of Fish, Fish Breathing in Water, Gills, Respiration, Respiration of Fishes, मछलियां (Fieshes) कम ऑक्सीजन वाले पानी में भी सांस ले सकती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कम ऑक्सजीन वाले पानी में भी
मछली जीने के लिए मानव जैसे स्तनपायी जीवों की तुलना में कम ऊर्जा का उपयोग करती हैं. इसलिए उन्हें ऑक्सीजन भी कम ही लगती है. इसका मतलब कम ऑक्सीजन वाले पानी जैसे बहुत अधिक गहराई वाले पानी में भी वे सांस ले सकती हैं. इसलिए ऐसी जगहों को मृत क्षेत्र भी कहा जाता है जहां मछलियां भी सांस नहीं ले सकती हैं.
लेकिन मछलियां हवा में भी सांस नहीं ले सकती क्योंकि गिल्स पानी में ही काम कर सकती हैं. उनका संरना और पतले ऊतकों की संरचना कायम रखने के लिए पानी बहुत जरूरी होती है. इस लिहाज से कहना गलत नहीं होगा जैसे इंसान पानी में डूब जाता है, मछलियां भी पानी में डूब जाती हैं वे पानी में रहने के लिए बनी हैं धरती पर नहीं


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