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![जमीन के पौधों की शुरुआत कैसे हुई?, 48 करोड़ साल पुराना सबूत खोलेगा रहस्य जमीन के पौधों की शुरुआत कैसे हुई?, 48 करोड़ साल पुराना सबूत खोलेगा रहस्य](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/08/13/1238016--48-.gif)
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मीठे पानी के शैवालों से विकसित होकर 50 करोड़ से भी ज्यादा वर्ष पहले पौधे जब पहली बार भूमि पर दिखे थे तो उन्होंने समूची धरती का रंग-रूप पूरी तरह बदल दिया
मीठे पानी के शैवालों से विकसित होकर 50 करोड़ से भी ज्यादा वर्ष पहले पौधे जब पहली बार भूमि पर दिखे थे तो उन्होंने समूची धरती का रंग-रूप पूरी तरह बदल दिया। हवा से कार्बन डायऑक्साइड लेकर उन्होंने धरती को शीतल किया और चट्टानी सतहों को नष्ट कर मिट्टी का निर्माण किया जो अब पूरी भूमि के ज्यादातर हिस्से को ढक कर रखती है।
ग्रह के वायुमंडल और जमीनी सतह में हुए इन परिवर्तनों ने जीवमंडल के विकास का मार्ग प्रशस्त किया जो हम जानते हैं। भूमि के पौधे पृथ्वी के बायोमास का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। शुरुआती पौधे छोटे और काई जैसे थे, और उन्हें जमीन पर जीवित रहने के लिए दो बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा: सूखने से बचना, और सूर्य की कठोर पराबैंगनी प्रकाश से बचना।
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के उत्तर में कैनिंग बेसिन से चट्टानों के नमूनों में, हमने शुरुआती जमीनी पौधों के साथ ही प्राचीन जल शैवालों से बीजाणु और 48 करोड़ साल पुराने जीवाश्म बीजाणुओं की खोज की। ये अब तक पाए गए सबसे पुराने जमीनी पौधे के बीजाणु हैं, और ये हमें इस बारे में नए सुराग देते हैं कि पौधे कब और कहां भूमि पर पहुंचे और यह भी कि वे कैसे जीवित रहने में कामयाब रहे। यह अनुसंधान 'साइंस' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
जब पौधों ने जमीन पर कॉलोनियां बना लीं
पौधों द्वारा भूमि पर कॉलोनियां बनाने के प्रारंभिक समय के अनुमान बड़े जीवाश्म पौधों के अवशेषों पर आधारित होते हैं, इस गणना पर कि विभिन्न प्रजातियों को विकसित होने में कितना समय लगा (जिसे 'आणविक घड़ी' आंकड़ा कहा जाता है) और पौधों के बीजाणुओं का रिकॉर्ड पर भी। इन आंकड़ों से पता चलता है कि जमीन पर पौधों का आना 51.5 करोड़ साल पहले हुआ था जबकि प्राचीनतम पौधे के तने के जीवाश्म 43 करोड़ वर्ष पहले मिले थे।
इन शुरुआती छोटे पौधों में जड़ प्रणाली या कठोर लकड़ी के ऊतक नहीं थे, जो बता सकते हैं कि उनके जीवाश्म अवशेष दुर्लभ क्यों हैं। वैकल्पिक रूप से, हम पौधों के बीजाणुओं को देख सकते हैं। बीजाणु सरल प्रजनन इकाइयां हैं जिनमें आनुवंशिक सामग्री होती है (बीज की तुलना में बहुत सरल, जो बहुत बाद तक विकसित नहीं हुए थे)।
हर भारतीय घर में तुलसी का पौधा जरूर होता है। इसे घर में रखने से घर में अच्छा स्वास्थ्य और भाग्य आता है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे को घर के अंदर रखा जाए, तो ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है, क्योंकि ये दिनभर में 20 घंटे ऑक्सीजन को देता है। इतना ही नहीं, यह हवा से कार्बन ऑक्साइड , कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करता है।
बैंबू का पौधा हवा से टोल्यूनि को हटाता है। बता दें कि टोल्यूनि तीखी गंध वाला रंगहीन तरल होता है। जब टोल्यूनि हवा में फैलता है, तो यह नाक, आंख और गले में जलन जैसे हानिकारक प्रभाव डालता है। अन्य पौधों की तरह इसका काम भी हवा में पाए जाने वाले बेंजीन, फॉर्मलडिहाइड जैसे विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करना है। घर में बैंबू प्लांट रखने से ऑक्सीजन लेवल बहुत बढ़ जाता है।
एलोवेरा ऐसा पौधा है, जो आमतौर पर हर किसी की छत पर लगा मिल जाएगा। यहां तक की आुयर्वेद में भी इसके तमाम फायदों का जिक्र किया गया है। ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए इसे घर में रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसकी पत्तियों में वातावरण में मौजूद बेंजीन और फॉर्मलडिहाइड को अब्जॉर्ब करने की बेहतरीन क्षमता है। चूंकि यह पौधा धूप में पनपता है, इसलिए इसे घर में ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां पर्याप्त धूप आती हो।
घर के अंदर हवा को स्वच्छ रखने के लिए यह बेहतरीन पौधा है। इस सुंदर पौधे की देखभाल करना काफी आसान है। यह हवा से फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे विषाक्त पदार्थों को साफ करने के लिए जाना जाता है। ऑक्सीजन की आूपर्ति के लिए यह एक अच्छा इंडोर प्लांट है।
ऑक्सीजन की कमी हो जाए, तो घर में स्पाइडर प्लांट लगाना बढ़िया विकल्प है। इसे रिबन प्लांट के नाम से भी जानते हैं। यह पौधा कार्बन मोनोऑक्साइड, बेंजीन और फॉर्मलडिहाइड को छानकर हवा की क्वालिटी में सुधार करता है। इतना ही नहीं, ज्यादातर लोग हैप्पी वाइब्स और स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए इस पौधे को घर में लगाते हैं। इसे आप घर के लिंविंग रूम में रखें और हफ्ते में मात्र एक बार पानी दें।
एरिका पाम हवा को शुद्ध करने वाले ऑक्सीजन प्लांट्स में से एक है। यह इंडोर प्लांट आपके आसपास हवा में मौजूद खतरनाक गैसों को अब्जॉर्व कर लेता है। इस पौधे की खासियत है कि इसे कम रोशनी और कम पानी में भी उगा सकते हैं। नासा के अनुसार, घर के अंदर कंधे के बराबर के चार एरिका प्लांट रखे जाएं, तो अच्छा होता है। यह पौधा केवल ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं करता, बल्कि बच्चों और भ्रूण के संपूर्ण विकास में भी सहायक है।
स्नेक प्लांट को नासा द्वारा हवा को शुद्ध करने और फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन , नाइट्रोजन ऑक्साइड, जाइलीन और ट्राईक्लोरोईथिन जैसे विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करने के लिए मान्यता दी गई है। यह कमरे में ऑक्सीजन को लाने और CO2 को अवशोषित करने के लिए जाना जाता है। इस पौधे की खासियत है कि यह रात के समय में ऑक्सीजन का उत्पादन ज्यादा करता है। इसे आप चाहें, तो अपने बेडरूस्म या फिर किचन में भी रख सकते हैं।
वैसे तो कई लोग इसे घर की सजावट के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन रंग-बिरंगे फूलों वाला पौधा ऑक्सीजन भी देता है। नासा के स्वच्छ वायु अध्ययन के अनुसार, गरबेरा डेजी हवा से फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन और ट्राइक्लोरोइथाइलीन को साफ करता है। यह रात में ऑक्सीजन छोड़ता है और CO2 को अवशोषित करता है। इस पौधे को डायरेक्ट धूप की जरूरत होती है, इसलिए आप इसे घर में किसी ऐसी जगह पर रखें, जहां कुछ घंटे धूप आती हो।
बाहर दूषित हवा को स्वच्छ बनाना भले ही हमारे हाथ में न हो, लेकिन ऑक्सीजन देने वाले पौधों को रखकर घर के अंदर ऑक्सीजन लेवल जरूर बढ़ा सकते हैं।
कोविड-19 के चलते जब ऑक्सीजन का संकट सामने आया, तो इसे लेकर हर कोई सतर्क हो गया है। सोशल मीडिया से लेकर जगह, लोग बस नेचुरल तरीके से ऑक्सीज बढ़ाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में हम पेड़-पौधों को भला कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं। इन्हें फ्री में ऑक्सीजन बढ़ाने का एक मात्र सोर्स माना जाता है। इस विषय पर कानपुर स्थित हारकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (HBTI) में प्रोफेसर Dr. P.D Dixit के मुताबिक, जब तक पर्यावरण में ऑक्सीजन लेवल में कमी नहीं होती, तब तक हम किसी भी पौधे में जरूरत के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं कर सकते हैं। उनका यह भी मानना है कि अगर आज हर कोई जागरुक होता है और ढेर सारे पेड़-पौधे लगाता, तो हमें ऑक्सीजन की इतनी कमी नहीं झेलनी पड़ती।
सफल प्रजनन के लिए, भूमि पौधों की बीजाणु भित्तियों को सूखने और पराबैंगनी विकिरण से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पर्याप्त मजबूत होना चाहिए।
ये लचीली बीजाणु भित्तियां भी हैं जिसने प्राचीन तलछट में बीजाणुओं को सैकड़ों लाखों वर्षों तक संरक्षित रखने में और इस अध्ययन में उपयोग किए गए मजबूत अमलों का उपयोग करके उन तलछटों से निकाले जाने में मदद की है।
पर्यावरण प्रेमी नीता उपाध्याय का कहना है कि घर में लगाए जाने कुछ प्लांट्स दिखने में अच्छे होते हैं लेकिन कभी-कभी हमारे लिए दुष्प्रभाव भी पैदा करते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, डिफेनबैचिया (Dieffenbachia Plant) को तमाम लोग घर में लगाना पसंद करते हैं लेकिन असल में ये नुकसान पहुंचाता है। डेफिनबैचिया एक सदाबहार प्लांट है जिसे रखने से घर की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं।
ये हमारे आस-पास की दूषित हवा को शुद्ध करता है। लेकिन इसी के साथ आपको ये भी बता दें दिखने में खूबसूरत यह एक जहरीला पौधा है। ऐसे में यदि आपके घर में छोटे बच्चे या फिर कुत्ता, बिल्ली और गाय हो तो आपको इसे नहीं रखना चाहिए। गलती से इस प्लांट के मिल्क की एक बूंद भी किसी पर गिर गई तो एलर्जी हो सकती है और पेट में जाने से जान भी जा सकती है। पालतू जानवरों को खाने से बचाएं।
एक्सपर्ट ने दी घर में 6 इंडोर प्लांट लगाने की सलाह, मिलेगी 24 घंटे ऑक्सीजन और दूर होंगी ये समस्याएं!
ओरियन ग्रीन की फाउंडर कहती हैं कि यूफोरबिया मिली के छोटे-छोटे फूल दिखने में बहुत आकर्षक होते हैं लेकिन अपनी खूबसूरती के साथ-साथ इसके सीरियस साइड इफेक्ट्स भी हैं। यूफोरबिया मिली आपको कई घरों में लगे मिल जाते हैं लेकिन ये भी सेहत के लिए हानिकारक हैं।
इनकी डालियों पर कांटे, टूटी पत्तियों और तनों से निकली चिपचिपाहट आंखों और स्किन में जलन पैदा कर सकती है। इसलिए इस पौधे से आपको अपने बच्चों और पालतू जानवरों का बचाव करनी आवश्यकता है। क्योंकि इस प्लांट में भी जहर होता है। मनुष्यों और जानवरों में इस पौधे का जहर जाने पर उल्टी, दस्त, गले और मुंह में जलन, अत्यधिक लार, मतली और कमजोरी हो सकती है।
एक्सपर्ट के अनुसार, अगर आपके घर में बच्चे और पालतू जानवर हैं तो आपको कैक्टस यानी नागफनी का पौधा भी नहीं लगाना चाहिए। वैसे तो नागफनी में विटामिन सी, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन बी-6, फोलेट, विटामिन-ए जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही इसमें खनिजों में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, सेलेनियम भी मौजूद होता है जो हमारी सेहत के लिए एक औषधि है। लेकिन फिर भी इसके कुछ हानिकारक दुष्प्रभाव भी हैं। यह पौधा घर में निगेटिव एनर्जी स्प्रेड करता है, साथ ही इसके कांटे बच्चों और पालतू जानवरों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
ऊपर दिए गए प्लांट्स के अलावा कुछ और इंडोर प्लांट्स हैं जैसे- पीस लिली, इंग्लिश आइवी, पोथोज इनको घर के अंदर रख सकते हैं। लेकिन एक्सपर्ट ने इन पौधों से भी बच्चों से दूर रखने की सलाह दी है। आप इन्हें अपने घर में किसी हाइट पर रखें ताकि बच्चे या पालतू जानवर इन्हें स्पर्श न कर सकें। ऐसा करने से आपके परिवार के सदस्य भी सुरक्षित रहेंगे और घर की खूबसूरती भी बरकरार रहेगी।
नोट- चूंकि एक पर्यावरण प्रेमी होने के तौर पर लोग हर तरह के प्लांट्स को घर के बाहर और अंदर अपनी सहूलियत के हिसाब से लगाते हैं क्योंकि वे इनकी देखरेख बेहतर तरीके से जानते हैं। लेकिन आप और हम बाजार से खरीदकर प्लांट को लगा लेते हैं लेकिन उनके अच्छे-बुरे दुष्प्रभावों से वंचित रहते हैं। ऐसे में अगर आप किसी भी प्लांट को लगाते हैं तो उसके बारे में आपको एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए। उसी आधार पर प्लांट का चयन करना चाहिए।
जमीन के पौधों की शुरुआत कैसे हुई?
हमारी खोज कैनिंग बेसिन में जमीनी पौधों के बीजाणुओं के पहले के अध्ययनों के बाद की है। 1991 में लगभग 44-44.5 करोड़ वर्ष पहले के बीजाणु पाए गए थे, और 2016 में 46 करोड़ वर्ष पहले के बीजाणु पाए गए थे।
पत्थरों के अनुक्रमों की आयु निर्धारित करने के प्रयासों में लगभग 100 प्रमुख नमूनों के तत्वों की जांच के बाद ही वे दो रिकॉर्ड पाए गए, जिससे पता चलता है कि बीजाणु दुर्लभ हैं। प्रारंभिक जमीनी पौधे, अपने कैरोफाइट शैवाल पूर्वजों की तरह, समुद्र के किनारे पर मीठे पानी में विकसित हुए। बीजाणु और तलछट इन क्षेत्रों में समुद्रों द्वारा बहाकर लाए गए। इसलिए जो जीवाश्म रिकॉर्ड हमे मिले हैं, वे प्राचीन विश्व के भूगोल पर निर्भर हैं।
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