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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पृथ्वी (Earth) पर महाविनाश (Mass extinction) जैसे घटना वैसे तो पिछली बार 6.6 करोड़ साल पहले हुई थी. लेकिन इस तरह की घटना अब नहीं होगी ऐसा दावा नहीं किया जाता सकता है. अंतरिक्ष से कोई बड़ा पिंड कभी भी आकर टकरा सकता है, क्योंकि हर सप्ताह कोई ना कोई पिंड पृथ्वी के पास से गुजरता ही है. लेकिन बड़े पिंड का टकारव पृथ्वी पर महाविनाश तक लाने में सक्षम होता है जैसा कि 6.6 करोड़ साल पहले हुआ था. इसलिए ऐसी स्थिति से निपटने के लिए नासा ने नियर अर्थ ऑब्जेक्ट सर्वेयर अभियान (Near-Earth Object Surveyor mission) की तैयारी कर रहा है.
कितना बड़ा पिंड हो सकत है नुकसानदायक
नासा का यह अभियान उन क्षुद्रग्रह या उल्काओं पर नजर रखेगा जिनका आकार 140 मीटर या उससे बड़ा होगा. इससे छोटे पिंड सामान्यतः पृथ्वी के वायुमंडल में आते ही उसके घर्षण से जल कर खुद ही खत्म हो जाते हैं. लेकिन यदि पिंड इससे बड़ा हो तो वह पृथ्वी की सतह पर टकराकर विनाशकारी साबित हो सकता है.
क्या होगा इसका दायरा
इस अभियान में नासा एक अंतरिक्ष टेलीस्कोप स्थापित करेगा जिससे वह हमारे ग्रह की बेहतर तरह से रक्षा कर सके. इस अभियान का काम सबसे खतरनाक समझे जाने वाले क्षुद्रग्रह और धूमकेतुओं की पहचान करेगा जो पृथ्वी की कक्षा के 4.8 करोड़ किलोमीटर के दायरे में आ रहे हैं या आ सकते हैं.
केवल एक छोटा सा टेलीस्कोप
नासा की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी (JPL) के मुताबिक एनईओ सर्वेयर वेधशाला में केवल एक ही उपकरण होगा जो कि 20 इंच के व्यास का टेलीस्कोप होगा. यह टेलीस्कोप दो ऊष्मा संवेदी इंफ्रारेड तरंगों पर कार्य करेगा. इससे यह टेलीस्कोप उन चमकीले और काले क्षुद्रग्रहों को भी पहचान सकेगा जिन्हें पहचान पाना अभी सबसे मुश्किल काम है.
Earth, NASA, Solar System, Asteroids, Mass Extinction, NEO Surveyor, Near-Earth Object Surveyor mission, Near Earth Object, इस अभियान का लक्ष्य उन पिंडों की खोज करना है जो पृथ्वी (Earth) से टकरा कर महाविनाश की स्थिति ला सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इस तरह के सारे पिडों का हिसाब किताब
यह अभियान साल 2028 से पहले प्रक्षेपित नहीं किया जा सकेगा. टेलीस्कोप अगले पांच साल तक पृथ्वी के पास से गुजरने वाले149 मीटर से भी बड़े पिंडों में से कम से कम दो तिहाई पिंडों पर नजरें रखेगा. नासा ने आकार की सीमा इसलिए रखी है क्योंकि उसका मानना है कि इतने या इससे ज्यादा बड़े पिंड ही पृथ्वी से टकराव पर नुकसान पहुंचाने में सक्षम होंगे.
पिंडों की विस्तृत जानकारी
एनईओ सर्वेयर अंतरिक्ष में चट्टानों का सटीक मापन करेगा और उनकी संरचना, आकार, घूर्णन स्थिति के साथ साथ उनकी कक्षा की जानकारी भी हासिल करने में सक्षम होगा. जेपीएल ने अपने बयान में कहा कि पांच साल के सर्वे ऑपरेशन में एनईओ सर्वेयर 140 मीटर से बड़े सभी ऐसे पिंडों में से 90 प्रतिशत से ज्यादा पिंडों की पहचान करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा.
Earth, NASA, Solar System, Asteroids, Mass Extinction, NEO Surveyor, Near-Earth Object Surveyor mission, Near Earth Object,नासा का डार्ट अभियान (DART Mission) पृथ्वी से टकराने वाले पिंडों निपटने के एक तरीके का परीक्षण हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
सबसे बड़ा सवाल
यह लक्ष्य नासा के लिए अमेरिकी संसंद ने सुनिश्चित किया है. इसके अलावा यह कोई पहला रक्षा तंत्र नहीं है जिस पर नासा काम कर रहा है. नासा का एक अभियान इससे भी अहम प्रश्न पर काम कर रहा है कि अगर कोई पिंड पृथ्वी की ओर आ रहा हो और उसका टकराव निश्चित हो तो ऐसे में बचाव के लिए हमारे पास क्या उपाय या कार्य प्रणाली होगी.
इसी के लिए नासा ने पिछले साल नवंबर में डबल एस्ट्रॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (DART) अभियान प्रक्षेपित किया है जो पृथ्वी से 1.1 करोड़ किलोमीटर दूर एक क्षुद्रग्रह तंत्र की ओर जा रहा है. इस अभियान के तहत नासा जांच करने का प्रयास कर रहा है कि क्या एक अंतरिक्ष यान क्षुद्रग्रह से टकराकर उसका रास्ता बदल सकता है. प्रयोग सफल रहने पर इस अवधारणा का उपयोग हमारे ग्रह को अगले महाविनाश से बचाने के लिए किया जा सकता है.
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