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पर्यावरण के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है खेतों के पास पेड़ों का होना

Subhi
17 Sep 2022 3:24 AM GMT
पर्यावरण के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है खेतों के पास पेड़ों का होना
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विकास और प्रकृति में विरोधाभास हमेशा ही इंसान के लिए समस्याकारक रहा है. साफ तौर पर और बार बार यही देखा गया है कि जब भी विकास कार्य प्रकृति से दूर या उसके खिलाफ होता है

विकास और प्रकृति में विरोधाभास हमेशा ही इंसान के लिए समस्याकारक रहा है. साफ तौर पर और बार बार यही देखा गया है कि जब भी विकास कार्य प्रकृति से दूर या उसके खिलाफ होता है इसका सीधा नुकसान पर्यावरण (Environment), फिर जलवायु और अंततः मनुष्य को ही होता है. नए अध्ययन में दर्शाया गया है कि खेतों के पास पेड़ों का होना पर्यावरण के लिए हमेशा फायदेमंद ही साबित होता है.कृषि (Agriculture) भूमि पर जिंदा और मृत दोनों तरह के पेड़ बने रहने और ऐसी जमीन पर और ज्यादा पेड़ लगाने से जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभावों को भी कम किया जा सकता है

ग्लोब चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित न्यू यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बेर्टा के अध्ययन में दर्शाया गया है कि मृत और जिंदा पेड़ (living and Dead Trees) किसानों के बहुत महत्वपूर्ण साथी और पर्यावरण (Environment) के खासे मददगार भी होते हैं. खेतों के आसपास की झाड़ियों और बाड़े (shelterbelts and Hedgerows) की सूखी और मृत लकड़ियों को संरक्षित रखने से कार्बन को कायम रखने और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है.

इस अध्ययन के प्रमुख लेखर और येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंट के पोस्ट डॉक्टेरल शोधकर्ता कोल ग्रॉस का कहना है कि खेतों (Farms) के पास के जीवित के साथ साथ मृत पेड़ों (Trees) को बनाए रखना और वहां ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को कम करने में बहुत प्रभावकारी तरीका है. ग्रॉस ने यह अध्ययन फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर, लाइफ एंड एन्वायर्नमेंटल साइंस में स्वाइल साइंस में पीएचडी पूरी करने के दौरान की थी.

तीन साल के इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मध्य अल्बेर्टा के कई खेतों (Farms), आसपास के वनस्थलियों (Woodlands), पंक्तिबद्ध पौधों (Hedgerows), झाड़ियों और बाड़ों (shelterbelts) आदि का अध्ययन किया जिनमें प्राकृतिक रूप से ऊगे पेड़ पौधे भी शामिल थे. अध्ययन में पाया गया कि हवा रोकने के लिए लगाई गई झाड़ियां, कतारबद्ध बाड़े, आसपास के गेहूं, बाजरे और सरसों की तुलना में दो से तीन गुना ज्यादा कार्बन सहेजते हैं.

इन दो तरह की वनस्थलियों (Woodlands) ने तीन साल के अध्ययन के दौरान पास के खेतों की तुलना में नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन 89 प्रतिशत तक कम किया था. यह गैस एक प्रभावी ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas) है. इस शोध को पहले झाड़ियों और बाड़ों (shelterbelts and Hedgerows) की मृत लकड़ी के फायदों का पता लगना के लिए शुरु किया गया था. अध्ययन में पाया गया कि मृत पेड़ों के पदार्थ कार्बन सहेजने में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए किसानों को उन्हें ऐसे ही पड़े रहने देना चाहिए.

ग्रॉस ने बताया कि खेतों (Farms) के पास की झाड़ियों और बाड़ों (shelterbelts and Hedgerows) और उनके साथ मरे हुए पेड़ों को भी साफ करने का कार्बन भंडारण पर निर्णायक प्रभाव पड़ता है. मृत लकड़ी की इसमें बहुत बड़ी भूमिका होती है और इसकी वजह से जैवविविधता में भी इजाफा होता है. शोधकर्ताओं ने घास के मैदानों के बीच में खाली जगहो पर छोटे पौधे लगाने के प्रभावों की भी पड़ताल की. लेकिन उन्होंने इसका कार्बन भंडारण (Carbon Storage) या ग्रीन हाउस उत्सर्जन पर कोई खास प्रभाव नहीं पाया

ग्रॉस का कहना है कि यह पड़ताल वार्मान वनस्थलियों (Woodlands) को बचाने के एक और कारण दे रही है. पेड़ लगाने के कार्बन भंडारण (Carbon Storage) के लिहाज से दशकों बाद नतीजे देते हैं, इसलिए अभी हमारे पास जो है उसी का संरक्षण करना होगा. इसके अलावा किसानों को अपने खेतों के सड़क की तरफ वाले किनारों पर ज्यादा से ज्यादा वातरोधी पौधे (shelterbelts and Hedgerows) लगाने पर भी जोर देना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार को किसानों को इस तरह के उपाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

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