विज्ञान

क्या नासा की राह पर चल पड़ा है चीन?, इस लोकप्रिय तकनीक पर हो रहा काम

Gulabi Jagat
27 April 2022 8:09 AM GMT
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इस लोकप्रिय तकनीक पर हो रहा काम
ऐसा लगता है कि चीन (China) अंतरिक्ष महाशक्ति बनने के लिए हर वो कोशिश कर रहा है जो अमेरिका (USA) कर चुका है. चीन का खुद का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तैयार हो रहा है. उसका रोवर मंगल ग्रह पर काम कर रहा है. हाल ही में चीनी वैज्ञानिकों ने बाह्यग्रहों के अध्ययन के लिए एक अभियान का प्रस्ताव भी दिया था. अब चीन ने अपने खुद के क्षुद्रग्रह निगरानी और रक्षा तंत्र (Asteroid Monitoring and defence System) को बनाने के रूपरेखा तैयार कर ली है. चीनी मीडिया के अनुसार साल 2025 तक इस सिस्टम से संबंधित तकनीकी परीक्षण कर लेने की योजना पर काम चल रहा है.
क्या करेगा यह तंत्र
चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीन इस परियोजना में धरती और अंतरिक्ष दोनों ही जगहों पर निगरानी और चेतावनी तंत्र स्थापित करेगा जो क्षुद्रग्रहों का एक कौटेलॉग बनाएंगे और उन क्षुद्रग्रहों की पहचान कर उनपर निगरानी रखेंगे जो अंतरिक्ष में मानवीय गतिविधियों के लिए खतरा हैं या हो सकते हैं.
खत्म भी किए जा सकेंगे क्षुद्रग्रह
इस तंत्र में यह तकनीक भी होगी जो खतरनाक श्रेणी में आ चुके इस तरह के पिंडों को खत्म करने भी सक्षम होगी. चाइना नेशनल स्पेस एडमिसन्ट्रेशन ऐसे सॉफ्टवेयर विकसित करेगा जो पृथ्वी से गुजरने वाले क्षुद्रग्रहों के टकरावों को सिम्यूलेट करेगा और उससे निपटने के लिए रक्षा प्रक्रियाओं के अभ्यास के लिए उसका प्रयोग किया जाएगा.
अभी इस लोकप्रिय तकनीक पर हो रहा है काम
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के नेशन स्पेस साइंस सेंटर के प्रोफेसर ली मिंगताओ ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि फिलहाल पृथ्वी से संभावित विध्वसंक क्षुद्रग्रह टकरावों को टालने के लिए सबसे व्यवहारिक उपाय यही है कि किसी क्षुद्रग्रह से एक टकराव कर उसकी दिशा को बदल दिया जाए. इसके ले चीन को एक कैरियर रॉकेट की जरूरत होगी जिसमें भारी मात्रा में बल लगाने वाला सामान हो जो क्षुद्रग्रह से इतने आवेग से टकराए कि उसकी दिशा ही बदल जाए.
नासा का डार्ट मिशन
नासा भी इस तरह के उपाय पर काम कर रहा है जिससे वह क्षुद्रग्रह की दिशा बदल सके. इसके लिए उसने पिछले साल नवंबर में ही डबल एस्ट्रॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (DART) मिशन की परीक्षण किया था. इस परीक्षण में स्पेस एक्स का फॉल्कन 9 रॉकेट कैलिफोर्निया के वैडनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से प्रक्षेपित हुआ था और उसने डिडिमस एस्ट्रॉयड सिस्टम को लक्ष्य बनाया है.
इसी साल होगा टकराव
डिडिमस एस्ट्रॉयड सिस्टम में डिडिमस और डिमोर्फोस नाम के दो क्षुद्रग्रह हैं. यह जोड़ा सूर्य की परिक्रिमा की गति की तुलना में काफी कम गति से एक दूसरा चक्कर लगा रहा है. इससे टकराव का मापन करने में वैज्ञानिकों को आसानी होगी. यह यान इस तंत्र से इस साल 26 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच में टकराएगा.
इससे पहले 2013 में हुआ था टकराव
सबसे हाल का जो पृथ्वी से टकराव हुआ है वह साल 2013 में हुआ है जब 18 मीटर चौड़ा 11 हजार टन की उल्का एक 460 किलोटन के विस्फोट से रूस के शेलियाबिन्स्क शहर से टकराया था. इसके झटके से एक हजार लोग घायल हो गए थे. यह हिरोशिमा शहर पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए परमाणु बम से 20 से 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली था.
आमतौर पर पृथ्वी की ओर आने वाले पिंड उसके पास से ही गुजर जाते हैं. फिर भी कापी मात्रा में उल्का पृथ्वी के वायु मंडल में प्रवेश कर जाते हैं और वायुमंडल के घर्षण के कारण जल कर खुद ही खत्म भी हो जाते हैं. फिर भी पृथ्वी की तीन चौथाई सतह पर महासागर हैं इससे यहां टकराव से जानमाल के नुकसान की संभावना और कम हो जाती है. लेकिन एक बड़ा क्षुद्रग्रह का टकराव महाविनाश ला सकता है.
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