- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- विज्ञान
- /
- बड़ी खोज! मंगल पर...
x
भारत के हरियाणा राज्य के आकार के समान है
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) के एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (TGO) ने मंगल ग्रह (Mars) पर एक महत्वपूर्ण मात्रा पानी की खोज की. ये पानी लाल ग्रह के वैलेस मेरिनेरिस घाटी सिस्टम की सतह के नीचे छिपा हुआ था.
बताया गया है कि जिस जगह पर पानी छिपा हुआ है, वह पृथ्वी के ग्रैंड कैन्यन से पांच गुना गहरा और दस गुना लंबा है. मंगल पर खोजे गए जलाशय का आकार लगभग 45,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक है, जो भारत के हरियाणा राज्य के आकार के समान है.
ऑर्बिटर के 'फाइन रिजॉल्यूशन एपिथर्मल न्यूट्रॉन डिटेक्टर' (FREND) इंस्ट्रूमेंट की मदद से पानी का पता लगाया गया. लाल ग्रह के भूदृश्य का सर्वेक्षण FREND द्वारा किया जाता है. यह मंगल की मिट्टी में छिपे हाइड्रोजन की उपस्थिति और सांद्रता की मैपिंग भी करता है.
मिट्टी में न्यूट्रॉन का उत्सर्जन करने के लिए हाई एनर्जी कॉस्मिक किरणों को सतह पर भेजा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गीली मिट्टी सूखी मिट्टी की तुलना में कम न्यूट्रॉन का उत्सर्जन करती है, जो वैज्ञानिकों को मिट्टी की जल सामग्री की जांच करने में मदद करती है.
अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के रूसी विज्ञान अकादमी के लीड इंवेस्टिगेटर इगोर मित्रोफानोव ने कहा, FREND ने विशाल वैलेस मेरिनेरिस कैन्यन सिस्टम में असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में मौजूद हाइड्रोजन वाले क्षेत्र का खुलासा किया. इस क्षेत्र में 40 फीसदी तक पानी मौजूद होने के सबूत मिले हैं.
मंगल ग्रह पर पानी पहले खोजा जा चुका है, लेकिन इसका अधिकांश भाग बर्फ के रूप में ग्रह के ठंडे ध्रुवीय क्षेत्रों में मौजूद है. वहीं, निचले अक्षांशों पर केवल थोड़ी मात्रा में पानी की खोज की गई थी. लेकिन अब इस नई खोज के साथ मंगल पर पानी के एक विश्वसनीय स्रोत की मौजूदगी की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है.
Next Story