विज्ञान

गोल्डफिश ऐसे लगाती हैं अपने आसपास के इलाके का अंदाजा

Subhi
17 Oct 2022 3:12 AM GMT
गोल्डफिश ऐसे लगाती हैं अपने आसपास के इलाके का अंदाजा
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मस्तिष्क के प्रमुख मूलभूत कार्यों में से एक स्थानिक दिशा ज्ञान भी होता है. जीवों के मस्तिष्क दिशाज्ञान के लिए कैसे काम काम करते हैं, यह एक अलग अध्ययन का विषय है. स्तनपायी जीव स्थानिक दिशाज्ञान (Spatial Navigation) अपने आसपास के वातावरण का दिमाग में ही नक्शा बनाकर करते हैं. यह बात बहुत अच्छे से समझी जा चुकी है.

मस्तिष्क के प्रमुख मूलभूत कार्यों में से एक स्थानिक दिशा ज्ञान भी होता है. जीवों के मस्तिष्क दिशाज्ञान के लिए कैसे काम काम करते हैं, यह एक अलग अध्ययन का विषय है. स्तनपायी जीव स्थानिक दिशाज्ञान (Spatial Navigation) अपने आसपास के वातावरण का दिमाग में ही नक्शा बनाकर करते हैं. यह बात बहुत अच्छे से समझी जा चुकी है. अन्य शोधों में पाया गया है कि ऐसा ही कुछ पक्षियों और सरीसृपों के साथ भी होता है. लेकिन मछलियों (Fishes) के मामले में इस विषय पर शोधकार्य नहीं हुआ है. संसार में हड्डियों वाली मछलियों की 30 हजार से ज्यादा प्रजातियां हैं जो पानी में इधर उधर विचरण करती हैं. अलग अलग पारिस्थितिकी वातावरण में रहने वाली मछलियों के अध्ययन के प्रचुर मौके मिलते हैं. नए शोध में वैज्ञानिकों ने इसी तरह का अध्ययन गोल्डफिश (Goldfishes) पर किया है.

मछलियों (Fishes) के स्थानिक दिशाज्ञानक (Spatial Navigation) की पड़ताल करने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पड़ताल की है कि क्या गोल्डफिश (Goldfishes) भी सटीक तौर पर अपने तय की हुई दूरी का आकंलन (Estimating distances) कर सकती हैं या नहीं. यह स्थानिक दिशाज्ञान के लिए केंद्रीय क्षमताओं में से एक है. जीवविज्ञान विभाग के डॉल एडिलेड सिबॉक्स की अगुआई में हुए अध्ययन में नौ गोल्डफिश को एक पतले टैंक में 70 सेमी की दूरी पर तैराया जिसमें बगल में दो सेमी की खड़ी पट्टियां लगी हुई थीं. इस दौरान उन्हें प्रशिक्षक के संकेतों के आधार पर तैरना था जिसकी सफलता का पुरस्कार उनका भोजन था.

एक बार मछलियों (Goldfishes) के यह क्षमता सीखने के बाद उन्हें प्रशिक्षक के संकेतों की जरूरत नहीं पड़ती है और वे खुद ही फैसला ले पाती हैं कि रास्ते में कहां और किस तरफ मुड़ना है. शोधकर्ताओं ने माना कि एक बार मछिलयों (Fishes) की निर्धारित दूरी का अंदाजा हो जाए तो वे वापस आने की दूरी को भी पहचान सकेंगे. प्रोसिडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी बायोलॉजिकल साइंसेस में प्रकाशित इस अध्ययन के नतीजों से पता चला की 405 ट्रायल्स में मछलियां खुद से करीब 74 सेमी की दूरी तक तैरती रहीं. इसके साथ शुरुआती स्थान को 20 या 40 सेमी आगे खिसकाने के बाद भी वे करीब 70 सेमी तक तैरती रहीं. जिससे साबित हुआ कि उन्हें दूरी को समझने की अच्छी खासी क्षमता (Ability to understand distances) है.

गोल्डफिश (Gold Fish) में दूरी का आकलन करने की पद्धति को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने मछलियों के टैंक के अलग अलग वातावरण के साथ प्रयोग किए. जब खड़ी पट्टियों को दो सेमी की काली सफेद चेक का रूप दिया गया, तब भी मछलियां (Fishes) 70 सेमी की दूरी उसी सटीकता से तय करती रहीं. इससे पता चला कि इन दो अलग स्वरूपों में हर बार एक तरह के स्थानिक दिशाज्ञान (spatial Navigation) जानकारी का इस्तेमाल करती हैं, जिससे उन्हें सटीक दूरी का अंदाजा लग पाता है.

लेकिन जब इन्हीं गोल्डफिश (Goldfishes) के नए वातावरण में पृष्ठभूमि में खड़ी पट्टियों का स्वरूप हर एक सेमी की दूरी पर कर स्थानिक दिशाज्ञान (Spatial Navigation)की आवृत्ति दोगुनी कर दी गई, उन्होंने तय करने वाली दूरी का आकलन ज्यादा कर 36 प्रतिशत की दूरी ज्यादा तय की. यानि वे निर्धारित दूरी पर मुड़ने वाले लक्ष्य (47.5 सेमी) से पहले ही वापस मुड़ गईं और इसी तरह खड़ी पट्टियों की जगह आड़ी पट्टियां होने पर भी वे जल्दी ही मुड़ गईं.

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