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क्या खदानों में घट रहा है गोल्ड
विशेषज्ञ हमेशा से इस बारे में बात करते आए हैं. इसे पीक गोल्ड कहते हैं, यानी वो अवस्था जब हम खदानों से लगभग पूरा का पूरा सोना निकाल चुके होंगे. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि हम उस स्टेज पर आ चुके हैं और अब सोना घटने जा रहा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में पूरी दुनिया से लगभग 3,531 टन सोना निकला. साल 2018 में ये प्रतिशत ज्यादा था.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के प्रवक्ता हन्नाह ब्रांड्सटीटर कहती हैं कि आने वाले सालों में खनन और कम हो सकता है, साथ ही नए सोने की खोज में भी कमी होगी क्योंकि सोना कहीं न कहीं घट रहा है.
कितना सोना बाकी है
दुनियाभर में कितना सोना बाकी है, इसका अनुमान खनन कंपनियां कई तरह से लगाती हैं. WGC के मुताबिक अभी भी जमीन के नीचे लगभग 54,000 टन सोना है, जिसका खनन होना बाकी है. लेकिन जमीन के नीचे दबा ये सोना अब तक निकाले जा चुके सोने का केवल 30 प्रतिशत ही है. यानी तीन-चौथाई से ज्यादा सोना हमारे घरों या बैंकों तक जा चुका है.
घरों में भी है सोना
जो सोना किसी की निजी संपत्ति है, उसका आकलन काफी मुश्किल है. लोग सही आंकड़े देने से घबराते हैं. जमीन से निकाला जा चुका 50 प्रतिशत से ज्यादा सोना गहनों में बदल चुका है इसलिए भी खनन किए जा चुके सोने का असल आंकड़ा नहीं निकाला जा सका. इसके अलावा विकासशील देशों में छोटी खनन कंपनियां भी सोने का सही आंकड़ा देने से कतराती हैं.
दो जहाजों में आ सकता है बाकी सोना
मतलब WGC की मानें तो अब जमीन के नीचे केवल 54,000 टन सोना ही है, जो आगे काम आएगा. ये कोई अथाह भंडार नहीं, बल्कि इसका ठीक आधा सोना औसत कार्गो जहाज में समा सकता है. यानी अब धरती ने सोना बचा रखा है, वो दो कार्गो जहाजों में आ जाएगा.
साल 2035 में खत्म
अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्दी ही धरती का सारा सोना खत्म हो जाएगा. यूएस मनी रिजर्व ने वैश्विक कंपनी गोल्डमैन सैश (Goldman Sachs) के हवाले से ये बात कही. इस कंपनी का मानना है कि साल 2035 में दुनिया का पूरा सोना खत्म हो जाएगा. खदानें खाली हो चुकी होंगी. अभी से ये हाल दिखने लगा है, जब नए सोने की खोज नहीं हो पा रही है.
सोने के भंडारों में लगातार कमी
साल 2018 में ही खनन कंपनियों में सोने के घटने की शिकायत शुरू कर दी थी. इनमें Newmont Goldcorp, Barrick Gold Corporation और Kinross Gold Corporation जैसी बड़ी कंपनियां तक शामिल हैं. गोल्डकॉर्प के बारे में बता दें कि ये सोने के खनन के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में गिना जाता है. इस कंपनी ने हाल के सालों में जमीन के नीचे सोने के भंडार में 2.5 प्रतिशत की गिरावट देखी. वहीं दूसरी ग्लोबल कंपनियों में सोने में गिरावट इससे कहीं ज्यादा है.
दूसरे ग्रहों में भी सोना खोजा जा रहा
सोने की खदानों की खोज में सबसे बड़ा हाथ अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का है. ये देश दूसरे देशों में भी खनन पर पैसे लगा रहे हैं. अब माना जा रहा है कि लैटिन अमेरिका और अफ्रीकन देशों में सोने के नए भंडारों की खोज की जाएगी. साथ ही साथ सोने की खोज के लिए अब दूसरे ग्रहों को खोजने की बात भी हो रही है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिक अब चांद पर भी सोने की संभावना देख रहे हैं. हालांकि वहां सोना मिल भी जाए, तो स्पेस से इसे खोदकर धरती पर ला सकना, सोने की मूल कीमत से काफी ज्यादा होगा. इसलिए फिलहाल इसपर उतना काम नहीं किया जा रहा.
इस तारे में दिखा सोना
ऐसी ही खोज के दौरान स्पेस में 16-साइकी (16 Psyche) नाम का छोटा तारा दिखा. इस तारे की संरचना सोने, बहुमूल्य धातु प्लेटिनम, आयरन और निकल से बनी हुई है. अंतरिक्ष विशेषज्ञों के मुताबिक एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की कुल कीमत करीब 8000 क्वॉड्रिलियन पाउंड है. यानी आसान तरीके से समझा जाए तो 8000 के बाद 15 शून्य और लगाने होंगे.
नासा करेगा जांच
फिलहाल इसमें दिखने वाले सोने का अंदाजा भी नहीं लगाया गया है लेकिन माना जा रहा है कि अगर ये धरती पर आ सके तो हर शख्स करोड़पति होगा. फॉक्स न्यूज से बातचीत में वैज्ञानिक और खनन विशेषज्ञ स्कॉट मूर ने बताया कि यहां पर जितना सोना हो सकता है, वो दुनियाभर की सोने की इंडस्ट्री के लिए खतरा बन जाएगा. नासा 2022 के मध्य में क्षुद्रग्रह की जांच करने के लिए एक मिशन शुरू कर रहा है, जिसे डिस्कवरी मिशन (Discovery Mission) नाम दिया गया है. ये साल 2026 में साइकी तक पहुंचेगा और जांच शुरू करेगा.
वैसे तेल जैसे प्राकृतिक ईंधन की तुलना में सोने के साथ खास बात ये है कि इसे रीसाइकिल किया जा सकता है. यानी दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसे में अगर धरती के नीचे सोने के भंडार खत्म हो भी जाएं तो भी घरों में रखा सोना नए तरीके से इस्तेमाल होगा.