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अंतरिक्ष की दुनिया सच में हैरतंगैज है, इस रहस्मयी दुनिया के कुछ दृश्य आपने टीवी पर देखे होंगे.
अंतरिक्ष की दुनिया सच में हैरतंगैज है, इस रहस्मयी दुनिया के कुछ दृश्य आपने टीवी पर देखे होंगे. किसी खास यान से अंतरिक्ष में जाना, उड़ते हुए चलना… सब कुछ अलग और एकदम अनोखा होता है, लेकिन वैज्ञानिकों का पृथ्वी से सैकड़ों मील दूर जाना, अंतरिक्ष के वातावरण में खुद को ढालना इतना आसान नहीं होता. इसलिए अंतरिक्ष में जाने से पहले कई बंदोबस्त किए जाते हैं. भारत के गगनयान मिशन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. अगले साल गगनयान में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की टीम अपने साथ जो खाना लेकर जाएंगी, उसमें चिकन बिरयानी, खिचड़ी और अचार जैसे स्वादिष्ट चीजें शामिल रहेगी.
गगनयान मिशन में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए इस खाने को मिलिट्री की लैब में तैयार कराया गया है. इस मिशन पर सात दिन के मिशन पर जाने वाले भारत के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए फूड मेन्यू तैयार हो चुका है, इन यात्रियों में भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट भी शामिल हैं. गगनयान मिशन से जुड़े अंतरिक्ष यात्री फिलहाल, रूस में ट्रेनिंग ले रहे हैं. जब ये टीम अपने मिशन के लिए रवाना होगी तो उनके खाने में चिकन कोरमा, बिरयानी, शाही पनीर, दाल मखनी, दाल-चावल, आलू पराठा, रोटी और खिचड़ी को खासतौर पर शामिल किया जाएगा.
डिफेंस फूड रिसर्च लेबोरेट्री यानी के स्पेस फूड एंड लॉजिस्टिक्स विंग ने एयरो इंडिया -2021 में अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया था, जिसमें मूंग दाल हलवा, सूजी का हलवा, सूखे खुबानी जैसी मीठी डिश शामिल थीं. डिफेंस फूड रिसर्च लैबोरेटरी के सीनियर साइंटिस्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाए गए खाने में खास पोषक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही जीरो ग्रेविटी के लिए लो फ्रेग्मेंटेशन का भी ध्यान रखा गया है. आपको बता दें कि यात्री अंतरिक्ष में रोजाना 3 बार खाना खाएंगे. इस खाने की हर डाइट में करीब 2500 कैलोरी ऊर्जा होगी.
अमेरिकी और रूसी अंतरिक्ष यात्री अपने पसंदीदा खाना अंतरिक्ष में लेकर जाते हैं. इसलिए इस मिशन पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की पसंद के मुताबिक घर के खाने जैसा मेन्यू तैयार किया गया है. सात दिन लम्बे इस मिशन में अंतरिक्ष यात्री जो खाना लेकर जाएंगे, वो 100 से 200 ग्राम के पैकेट में होंगे. भारत के गगनयान मिशन का मकसद पृथ्वी की निचली कक्षा में इंसान को भेजने की ताकत दिखाना है, जिसके तहत तीन-चार अंतरिक्ष यात्रियों को निचली कक्षा में भेजने की योजना पर काम चल रहा है.
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