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कड़ी मेहनत में जुटे ISRO के वैज्ञानिक
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक ह्यूमन रेटिड लॉन्च व्हिकल, क्रू एन्ड सर्विस मॉड्यूल, क्रू एस्केप सिस्टम और इनवायरमेंट कंट्रोल एन्ड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS) को बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक गगनयान मिशन 2022 के आखिर या 2023 की शुरुआत में लॉन्च किया जा सकता है और इसकी टाइमलाइन करीब है.
गगनयान मिशन – भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान का मकसद तीन चालक दल के सदस्यों को पांच से सात दिनों के लिए पृथ्वी से लगभग 400 किमी की कक्षा में ले जाना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना है. इसरो की वार्षिक रिपोर्ट और एक वेबिनार के मुताबिक विशेष रूप से मिशन के लिए तकनीक विकसित की जा रही है.
लॉन्च व्हीकल
मिशन ने चंद्रयान -2 को ले जाने वाले नए चालू GSLV MkIII l लॉन्च व्हीकल का इस मिशन के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई है. हालांकि इसे अभी मानव रेटेड बनाने के लिए काम किया जा रहा है, जिससे कि ये सिर्फ उपग्रहों की जगह मनुष्यों को ले जाने के लिए सुरक्षित हो. इसके लिए व्हीकल को एक नया स्वरूप दिया गया है. इसमें इकसे मोटर नोजल में आकार में परिवर्तन और बुलेट शेप पलेडा का इस्तेमाल शामिल है. यहीं क्रू मॉड्यूल को रखा जाएगा. विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक, एस सोमनाथ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि रॉकेट नए होने जा रहे हैं, हालांकि विश्वसनीयता और व्हीकल पर नजर रखने के लिए डिजिटल और इंटेलिजेंस सिस्टम को भी बढ़ाया जा रहा है. GSLV MKIII में फिर से बदलाव हो रहे हैं.
खुद ही खुद को नष्ट करेगा रॉकेट
एस सोमनाथ ने कहा कहा कि सिस्टम ऐसा होगा कि तय करेगा कि रॉकेट को कब खुद ही नष्ट करना है. अभी तक यह खुफिया जानकारी किसी भी रॉकेट को नहीं दी गई थी और जमीन पर बैठे शख्स के जरिए ही इसे तय किया जाता था. ऑन-बोर्ड कंप्यूटर पर मॉडल उड़ान के साथ वास्तविक उड़ान की तुलना होगी और देखा जाएगा कि क्या गड़बड़ी है. एजेंसी के मुताबिक अंतरिक्ष एजेंसी ने मानव-रेटेड लॉन्च वाहन के तीन चरणों में से दो का परीक्षण पूरा कर लिया है.
टेस्ट व्हीकल प्रोजेक्ट
लॉन्च व्हीकल को सेफ बनाने के लिए इसमें सबसे महत्वपूर्ण चीज जो जोड़ी गई है, क्रू एस्केप सिस्टम (आपात स्थिति में क्रू मॉड्यूल से बचना). पैड एबॉर्ट सिस्टम ऐसी ही स्थिति में लॉन्च पैड पर उडान को रोकने के लिए सक्षम करेगा. इन एस्केप सिस्टम को टेस्ट करने के लिए, इसरो ने टेस्ट व्हीकल नाम का एक नया रॉकेट तैयार किया है. जो अंतरिक्ष में क्रू मॉड्यूल को ऊपर ले जाएगा और फिर यह देखने के लिए स्विच ऑफ कर देगा कि एस्केप सिस्टम कैसे काम करता है. यह लगभग पूरा हो चुका है और पहला उड़ान वाहन इंटीग्रेशन के दौर से गुजर रहा है.
क्रू एन्ड सर्विस मॉड्यूल
क्रू मॉड्यूल एक शंक्वाकार संरचना होगी जिसकी ऊंचाई 3 मीटर और व्यास 3.5 मीटर होगा. समें तीन चालक दल के सदस्य, उनकी सीटें, विमानन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, तापमान, आर्द्रता और गैसों की संरचना को बनाए रखना होगा. ईसीएलएसएस सिस्टम के कामकाज की जांच करने के लिए चालक दल की गर्मी रिलीज, सांस लेने और पसीने को कॉपी करेगा.
अन्य तकनीक
मिशन के मुख्य मॉड्यूल के अलावा, वैज्ञानिक अपनी वापसी के दौरान चालक दल के मॉड्यूल को धीमा करने के लिए पैराशूट भी विकसित कर रहे हैं. मॉड्यूल को अंतरिक्ष मलबे से बचाने के लिए ढाल और चालक दल के स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है. इसरो, भारतीय नौसेना के साथ, पृथ्वी पर लौटने के बाद चालक दल के लिए तुरंत रिकवरी की प्लानिंग भी कर रहगा है. मिशन कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करेगा जो मनुष्यों को लॉन्च वाहन में रखने के साथ आती हैं.
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