विज्ञान

मेंढक ले सकता है इंसानों की जान, छूने भर से फैल जाता है जहर

Rani Sahu
11 Nov 2022 7:08 PM GMT
मेंढक ले सकता है इंसानों की जान, छूने भर से फैल जाता है जहर
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वॉशिंगटन: दुनिया में तरह-तरह के जहरीले जीव होते हैं। आपने जहरीले सांप के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी किसी जहरीले मेंढक के बारे में सुना है। दुनिया में एक मेंढक है जो दिखने में बहुत खूबसूरत है, लेकिन इसकी खूबसूरती जानलेवा साबित हो सकती है। इस मेंढक का नाम गोल्डन पॉइजन फ्रॉग (Golden Poison Frog) है। ये मेंढक दो इंच के करीब होते हैं। लेकिन इनमें इतना जहर होता है कि दस बड़े इंसानों को मार सकें। कोलंबिया के शिकारी लोग इसके जहर का इस्तेमाल अपने तीरों को डुबोने के लिए सदियों से करते आए हैं।
नेशनल जियोग्राफिक के मुताबिक ये मेंढक जहरीला क्यों है, इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन माना जाता है कि इसका जहर पौधों और जहरीले कीड़ों से आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो मेंढक इस तरह की जगहों से अलग पलते हैं, उनमें जहर नहीं पाया जाता है। ये मेंढक इतना जहरीला होता है कि इसे छूने भर से मौत हो सकती है। चिकित्सा अनुसंधान से जुड़े लोग इस मेंढक के मेडिकल इस्तेमाल को खोज रहे हैं। उनका मानना है कि ये मेंढक दवाओं को बनाने में काम आ सकता है। वैज्ञानिक इसके जरिए एक शक्तिशाली पेन किलर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
जहरीले मेंढक की है 100 प्रजातियां
इन चटकदार मेंढकों की 100 से ज्यादा प्रजातियां हैं। इनकी लंबाई औसतन एक इंच से ज्यादा होती है। ज्यादातर मेंढक की प्रजातिया कोलंबिया के प्रशांत तट पर वर्षा वन के एक छोटे से भूखंड के भीतर रहती हैं। छोटे से इलाकों में ही इन मेंढकों की प्रचुर मात्रा है। हालांकि रेनफॉरेस्ट की बर्बादी के साथ ही इन मेंढकों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
हाथ में उठाया तो मौत को लगाया गले
इन मेंढकों का रंग पीला, नारंगी या हल्के हरे रंग का हो सकता है। अलग अलग जगहों के हिसाब से इनका रंग हो सकता है। ये मेंढक शिकारियों को दूर करने के लिए ऐसा करते हैं। इनके आहार का बात करें तो ये मक्खियां, क्रिकेट, चीटियां, और दीमक को खाते हैं। मेंढकों का शरीर भी जहरीला होता है। किसी भी तरह का खतरा महसूस होने पर स्किन से जहर निकलने लगता है। अगर जहर सीधे इंसानी स्किन पर लग जाए तो असर शुरू हो जाता है। नब्ज सिकुड़ने लगती है और कुछ समय बाद इंसान की मौत हो सकती है।
सोर्स - Navbharat Times
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