विज्ञान

पेरू में मिली 76 बच्चों की 1000 साल पुरानी कब्र, बलि के जरिए दी गई खौफनाक मौत

Subhi
9 Oct 2022 3:06 AM GMT
पेरू में मिली 76 बच्चों की 1000 साल पुरानी कब्र, बलि के जरिए दी गई खौफनाक मौत
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पुरातत्विदों को दक्षिणी अमेरिकी देश पेरू में दर्जनों बच्चों के कंकाल मिले हैं, जिनकी बलि दी गई थी। पुरातत्विदों को कई और कंकाल मिलने की संभावना है। पेरू के जो हुआंचाको के पास पम्पा ला क्रूज़ में ये खुदाई फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलॉजी के सहायक प्रोफेसर गेब्रियल प्रीतो के नेतृत्व में हो रही है।

पुरातत्विदों को दक्षिणी अमेरिकी देश पेरू में दर्जनों बच्चों के कंकाल मिले हैं, जिनकी बलि दी गई थी। पुरातत्विदों को कई और कंकाल मिलने की संभावना है। पेरू के जो हुआंचाको के पास पम्पा ला क्रूज़ में ये खुदाई फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलॉजी के सहायक प्रोफेसर गेब्रियल प्रीतो के नेतृत्व में हो रही है। उन्होंने कहा कि कंकाल को देख कर पता चलता है कि बच्चों का दिल निकाल लिया गया था। यहां से 76 कंकाल मिले हैं। उन्होंने कहा कि सभी 76 कंकालों में बेहद सफाई से कट थे।

उन्होंने आगे कहा, 'ये देख कर लगता है कि संभवतः दिल के करीब हड्डियों को काटा गया और फिर दिल को निकाल लिया गया।' लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक प्रीतो ने कहा, 'पैर पूर्व दिशा में कर इन बच्चों को दफन किया गया था। उन्हें एक आर्टीफिशियल टीले के ऊपर दफन किया गया था। ये नहीं पता चल सका है कि इन स्थानों पर बलिदान क्यों किया गया था। हमें लगता था कि ये इलाका बाल बलि से मुक्त था, लेकिन ये हमारी सोच के विपरीत मिला है।'

पाम्पा ला क्रूज़ में कई वर्षों से खुदाई चल रही है। अब तक यहां 323 बच्चों के कंकाल पाए गए हैं, जिनकी बलि दी गई थी। पास के ही लास लामास नाम की साइट पर 137 बलि पीड़ितों के कंकाल मिले हैं, जिनमें 3 वयस्क भी शामिल हैं। इन अवशेषों से भी पता चलता है कि बच्चों के दिल निकाल दिए गए थे। प्रीतो का कहना है कि अब तक के पुरातात्विक खोजों के आधार पर पता चला है कि हुआंचाकों के पास कई और बच्चों के कंकाल मिलने की संभावना है। संभव है कि इन पीड़ितों की संख्या 1,000 से ज्यादा हो।

प्रीतो ने कहा कि 76 नए कंकालों के रेडियो कार्बन डेटिंग की जरूरत है। इस साइट पर पहले मिले बलि के शिकार 1100 और 1200 ईस्वी के बीच के पाए गए थे। इस समय के करीब चीमू लोग आसपास के इलाके में फले फूले, जिन्हें उनके धातु के कामों के लिए जाना जाता था। चीमू लोग इतने बड़े पैमाने पर बलि में क्यों लगे होंगे ये बात अभी स्पष्ट नहीं हो सकी है। चीमू लोगों ने आसपास के इलाके में एक कृत्रिम सिंचाई प्रणाली और पास के नए कृषि क्षेत्र बनाए। हो सकता है कि इनमें से कुछ बलिदान कृषि प्रणाली की पवित्रता के लिए किए गए हों।


क्रेडिट ; navbharattimes

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