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ऐसा प्रयोग पहली बार: लैब से निर्मित स्पर्म कोशिकाएं से पैदा हुए बच्चे
दुनियाभर में हर 7 में से 1 दम्पति को माता-पिता बनने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इनमें से 50 मामलों में पुरुष (Infertile Men) ही जिम्मेदार होता है. ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए जापानी वैज्ञानिकों ने लैब में शुक्राणु कोशिकाएं विकसित की हैं. इन शुक्राणु कोशिकाओं (Sperm Cells) का चूहों (Rats) पर ट्रायल किया गया है. ट्रायल सफल रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है, भविष्य में लैब में तैयार होने वाले शुक्राणुओं से उन पुरुषों को राहत मिल सकेगी जो पिता नहीं बन पा रहे हैं. जानिए, ये शुक्राणु कोशिकाएं कैसे बनाई गईं और कितनी असरदार साबित हुईं…
लैब में शुक्राणु कोशिकाएं कैसे तैयार की गईं, पहले इसे समझते हैं. रिसर्च करने वाली जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी से वैज्ञानिकों का कहना है, यह प्रयोग फिलहाल चूहों पर किया गया है. शुक्राणु कोशिकाएं बनाने के लिए चूहे के शरीर से कोशिकाएं ली गईं. इसे कई केमिकल के मिश्रण की मदद से शुक्राणु कोशिका में तब्दील करके नर चूहों के वीर्यकोष में पहुंचाया गया.
नई शुक्राणु कोशिकाएं नर चूहे के वीर्यकोष में पहुंचने के कुछ समय बाद मैच्योर हो गईं. इसके बाद इसे मादा चूहे के अंडों में इंजेक्ट किया गया. यह प्रयोग सफल रहा है और चूहों के बच्चे हुए. यह एक तरह IVF प्रक्रिया थी, जिसके तहत नर चूहे के शुक्राणुओं को मादा के अंडे में पहुंचाया गया. लंदन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर रॉबिन लोवेल बैज का कहना है, इस प्रयोग से यह साबित होता है कि एक न एक दिन इंसानी स्पर्म भी तैयार किए जा सकेंगे. अगर ऐसा होता है तो सबसे पहले इंसान की स्किन की कोशिकाओं को स्टेम कोशिकाओं में कंवर्ट किया जा सकेगा.
वैज्ञानिकों का कहना है, रिसर्च के नतीजे इस बात की उम्मीद जताते हैं कि लैब में एक दिन इंसानी शुक्राणु तैयार हो सकेंगे और नपुंसकता के मामलों में कमी लाई जा सकेगी. दुनियाभर में ऐसे लाखों कपल हैं जो पेरेंट्स बनने के लिए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.