विज्ञान

पहली बार वैज्ञानिकों ने चांद को बनते देखा, कैमरे में कैद हुआ पूरा नजारा

jantaserishta.com
23 July 2021 7:42 AM GMT
पहली बार वैज्ञानिकों ने चांद को बनते देखा, कैमरे में कैद हुआ पूरा नजारा
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आपने चांद तो कई बार देखा होगा. इसके अलावा बृहस्पति और शनि ग्रह के चंद्रमाओं के बारे में देखा, पढ़ा या सुना होगा. पर पहली बार वैज्ञानिकों ने चांद को बनते देखा है. यह घटना हमारे सौर मंडल से दूर एक दूसरे सोलर सिस्टम हो रही है. यह चांद बृहस्पति जैसे ग्रह के छल्लों के अंदर बन रहा है. वैज्ञानिकों ने इसकी तस्वीर भी ली है. जिसमें एक ग्रह के चारों तरफ नारंगी-लाल रंग का छल्ला दिख रहा है. उस छ्ल्ले के अंदर दाहिनी तरफ चांद (लाल घेरे में) बनता हुआ दिख रहा है.

अपनी धरती से यह बृहस्पति जैसा ग्रह 370 प्रकाश वर्ष दूर है. चिली के अटाकामा रेगिस्तान में स्थित ALMA Observatory के शोधकर्ताओं ने यहां की ताकतवर दूरबीनों से इस चांद की तस्वीरें ली हैं. ये चांद जिस ग्रह के किनारे बन रहा है, वह हमारे बृहस्पति ग्रह जैसा है. जिसके चारों तरफ गैस, धूल और पत्थरों का एक बड़ा छल्ला है. इस ग्रह के चारों तरफ तीन चांद होने का अनुमान है. जिसमें से दो बन चुके हैं, एक का निर्माण हो रहा है.
हम जिस छल्ले की बात कह रहे हैं उसे सर्कमप्लैनेटरी डिस्क (Circumplanetary Disk) कहते हैं. ये छल्ले तभी बनते हैं जब उनके अंदर चांद का निर्माण होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन छ्ल्लों की बदौलत हमें किसी ग्रह या उपग्रह के निर्माण की प्रक्रिया को समझने में आसानी होती है. वैज्ञानिकों ने अपने सौर मंडल के बाहर अब तक 4400 ग्रहों की खोज की है. जिन्हें एक्सोप्लैनेट्स (Exoplanets) हते हैं. इस नए बनते चांद का नाम है पीडीएस 70 सी (PDS 70 C). यह PDS 70 ग्रह के चारों ओर बने छल्ले के अंदर बन रहा है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रेनोबल की एस्ट्रोनॉमर और इस चांद की प्रमुख खोजकर्ता मरियम बेनिस्टी ने कहा कि यह एक अद्भुत नजारा है. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि वैज्ञानिकों ने किसी चांद के निर्माण की प्रक्रिया को देखा हो. यह किसी ग्रह के बनने की हमारी थ्योरी को और मजबूती देगा. हमने पहली बार किसी ग्रह और उसके उपग्रहों को बनते हुए देखा है जो कि अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में पहली बार हो रहा है. यह स्टडी एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में 22 जुलाई को प्रकाशित हुई है.
मरियम ने बताया कि हमारे सौर मंडल में शनि ग्रह के चारों तरफ छल्ले हैं. उसके चारों तरफ करीब 80 चांद चक्कर लगाते हैं. इसके छल्ले ये बताते हैं कि वो अत्यधिक प्राचीन काल का है, जब शनि के चंद्रमाओं का निर्माण हो रहा होगा. यूरोपियन साउदर्न ऑब्जरवेटरी के वैज्ञानिक और इस स्टडी के सह-लेखक स्टेफानो फचिनी ने कहा कि नारंगी रंग के तारे PDS 70 का वजन करीब-करीब हमारे सूरज के जितना है. यह करीब 50 लाख साल पुराना हो सकता है. इसके दो चांद ज्यादा युवा है. तीसरा तो अभी पैदा ही हो रहा है.
PDS 70 ग्रह के दो चांद तो हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से भी बड़े हैं. एक चांद का नाम पीडीएस-ए और दूसरे का पीडीएस-बी है. जबकि पीडीएस-सी का निर्माण अभी हो रहा है. स्टेफानो फचिनी ने कहा कि बन रहा चांद लगातार छल्लों से धूल और गैस खींच रहा है. यह चांद अपने ग्रह के चारों तरफ धरती और सूरज के बीच की दूरी से 33 गुना ज्यादा दूरी पर चक्कर लगा रहा है. हम लगातार इस चांद के आसपास खोज कर रहे हैं ताकि और तारों, ग्रहों और चंद्रमाओं की खोज कर सकें.
हार्वर्ड स्मिथसोनियस सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एस्ट्रोनॉमर रिचर्ड टीग ने कहा कि छल्लों से किसी वस्तु को खींचकर खुद का निर्माण करने वाले ग्रहों और उपग्रहों की प्रक्रिया को कोर एक्रीशन (Core Accretion) कहते हैं. इसमें छल्ले में घूम रहे धूल, गैस, पत्थर आदि जब भी इस ग्रह के पास आते हैं तो वो उन्हें अपनी ओर खींचकर जोड़ता चला जाता है. यानी इस चांद के पास इस समय बहुत ज्यादा गुरुत्वाकर्षण शक्ति है. जो उसके निर्माण की प्रक्रिया में मदद कर रही है. ऐसी प्रक्रिया में जब चीजें आपस में जुड़ती हैं, तब उसमें होने वाली टक्कर से भी गैस और धूल निकलती है.
रिचर्ड टीग कहते हैं कि कुछ ग्रह अपने आसपास के छल्लों पर तेजी से हमला करते हैं. ये हमला ग्रैविटी का होता है. यानी उस छल्ले से जो मिले खींच लो. PDS 70 के चारों तरफ बने छल्ले का व्यास अपनी धरती और सूरज के बीच की दूरी के बराबर है. इसमें इतना मैटेरियल है कि यह तीन चांद का निर्माण कर सकता है.

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