विज्ञान

पहली बार नासा ने जारी की गुरू ग्रह की ऐसे त्रिआयामी तस्वीरें

Rani Sahu
29 Oct 2021 4:23 PM GMT
पहली बार नासा ने जारी की गुरू ग्रह की ऐसे त्रिआयामी तस्वीरें
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गुरु ग्रह (Jupiter) हमारे सौरमंडल का गैसीय और सबसे विशाल ग्रह है

गुरु ग्रह (Jupiter) हमारे सौरमंडल का गैसीय और सबसे विशाल ग्रह है. यहां तक कि इसका गुरुत्वाकर्षण सूर्य तक को प्रभावित कर देता है. इस विशाल ग्रह के सिंदूरी-भूरे बादल खगोलविदों को बहुत आकर्षित करते हैं. नासा (NASA) के जूनो यान (Juno Spacecraft)ने अपने अवलोकन में पाया है कि ये बादल बहुत खतरनाक तूफान हैं. वैज्ञानिकों ने पहली बार गुरु ग्रह के वायुमंडल का त्रिआयामी तस्वीरें बनाकर जारी की हैं जिन्हें जूनो यान ने अवलोकनों के आधार पर तैयार किया है. जूनो यान गुरु ग्रह का लंबे समय से चक्कर लगा रहा है और इस ग्रह के रंगीन वायुमंडल के बादलों के नीचे की प्रक्रियाओं के सुराग देने का प्रयास कर रहा है.

शोधपत्रों की शृंखला ने खोले राज
साइंस जर्नल और जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित शोधपत्रों की शृंखला में ग्रह शोधकर्ताओं ने इस ग्रह की प्रकृति का खुलासा किया है. नासा के प्लैनेटरी साइंस विभाग की निदेशक लोरी ग्लेज ने बताया, "जूनो के इन नए अवलोकनों ने गुरू के अवलोकित किए जा सकने वाले रहस्यमी खजाने को खोल दिया है."
अलग अलग प्रक्रियाओं की जानकारी
लोरी का कहना है कि हर शोधपत्र ग्रह के वायुमंडल के अलग अलग प्रक्रिया पर रोशनी डालता है. यह इस बात का शानदार उदाहरण है कि कैसे हमारी अंतरराष्ट्रीय विविधता वाली वैज्ञानिक टीमें हमारे सौरमंडल की समझ को समृद्ध कर रही हैं. गुरू ग्रह की विशाल लाल धब्बा उसके सबसे आकर्षक और चर्चित पहलूओं में से एक है, जो पृथ्वी से भी बड़ा विचक्रवाती तूफान है.
उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़ा और गहरा
इस लाल सिंदूरी रंग के भंवर के बारे में भी वैज्ञानिकों ने नई जानकारी निकाली है. इसे करीब दो सदी पहले खोजा गया था. नई जानकारी से पता चला है कि यह तूफान इस ग्रह पर उम्मीद से बहुत ज्यादा विशाल हैं. जिनमें से कुछ बादलों के शीर्ष से सौ किलोमीटर ज्यादा नीचे तक जाते हैं इनमें यह विशाल लाल धब्बा भी शामिल है जो 350 किलोमीटर नीचे तक जाता है.
क्या होता है इन चक्रवाती तूफानों का स्वरूप
नासा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा करते हे बताया कि नए नतीजे दर्शाते हैं कि ये चक्रावती तूफान शीर्ष पर तो कम वायुमडंलीय घनत्व के साथ गर्म होते हैं, जबकि निचले हिस्से में घने होकर ठंडे हो रहते हैं. जूनो इस विशाल लाल धब्बे के सामने से दो बार गुजरा था और उसने इस तूफान में गुरुत्व के संकेत भी खोजे थे जिससे इस तूफान के अंदर वायुमंडलीय भार की मात्रा का अध्ययन किया जा सके.
पहली बार मिला ऐसे अध्यनय का मौका
जूनो गुरु ग्रह के बादलों के समूह के ऊपर 209 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ा जिससे वैज्ञानिकों को वेग में 0.01 मिलीमीटर प्रति सेंकड के बदलावों को मापने का अवसर मिल गया. नासा का कहना है कि पास से देखे जाने से शोधकर्ताओं की टीम विशाल लाल धब्बे को बादलों के शीर्ष से 500 किलोमीटर गहराई तक अध्ययन कर सके.
पहले भी किया था धब्बे का अवलोकन करने का प्रयास
नासा के जूनो वैज्ञानिकों का कहना है कि जुलाई 2019 को भी विशाल लाल धब्बे के सामने से गुजरते हुए जूनो ने इसके गुरुत्व की जानकारी हासिल करने के प्रयास किए थे. पांस साल पहले जूनो ने विशाल चक्रवाती तूफानों को देखा था. इस तरह के आठ तूफान एक आठ कोणीय बहुभुज के स्वरूप में ग्रह के दक्षिण में दिखे थे. लेकिन नए अवलोकन दर्शाते हैं कि ये वायुमंडलीय प्रणालियां उसी जगह पर हैं और तब से बदली नहीं हैं.
कैसे कायम रखते हैं यूरेनस नेप्च्यून जैसे विशाल ग्रह अपनी मैग्नेटिक फील्ड
विशाल तूफानों के अलावा गुरु ग्रह को अलग अलग पट्टियों के लिए भी जाना जाता है. ये सफेद और लाल रंग की पट्टियां बादलों की वजह से हैं. पहले जूनो ने बताया था कि इन पट्टियों में पूर्व से पश्चिम की ओर तेज हवाएं बहती हैं जो 3200 किलोमीटर नीचे तक बहती हैं. नए आकंड़ों से पता चलता है कि वायुमंडल की अमोनिया गैसे ऊपर से नीचे तक बहकर इन वायु धाराओं के साथ संयोजन करती है. बादलों के नीचे हर 65 किलोमीटर में इनमें बदलाव होता है.


Rani Sahu

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