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यूं तो तारे कई तरह के होते हैं, लेकिन कई बार कोई तारा अपने अनोखे स्वरूप से खगोलविदों को चौंका देना का काम भी कर जाता है. हर तारा प्लाज्मा की एक गर्म गेंद (Hot Ball of Plasma) होता है, जिसकी ऊपरी सतह पर गर्म गैस होती हैं और चारों ओर फैलती विकिरणों और ज्वालाओं का समूह होता है. लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक अलग ही तरह का तारा खोजा है जिसकी बाहर की सतह ठोस (Solid Outer Surface) दिखाई दे रही है. माना जा रहा है कि यह मैग्नेटर (Magnetar) वैज्ञानिकों के कई नई जानकारी देने वाला साबित हो सकता है.
कैसे खोजा गया इसे
इस तारे की मैग्नेटिक फील्ड इतनी शक्तिशाली है कि इसने इसकी ऊपरी सतह को जमा कर ठोस कर दिया है. खगोलविदो ने इमेजिंग एक्स रे पोलरीमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) नाम के सैटेलाइट के आंकड़ों का अध्ययन कर यह खोज की है. आईएक्सपीई खगोलीय स्रोतों से आने वाली एक्स रे फोटोन के ध्रुवीकरण का विश्लेषण करने का काम करता है.
मैग्नेटर: रोचक किस्म के तारे
मैग्नेटर ब्रह्माण्ड के बहुत ही रोचक पिंडों में से एक माने जाते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये अपने अंदर बहुत सारे रहस्य समेटे हुए हैं. ये ऐसे न्यूट्रॉन तारे होते हैं जिनकी मैग्नेटिक फील्ड बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली होती है. इसकी क्षमता पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड से लाखों-खरबों गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है.
कितनी दूर है या तारा
इस बार तो वैज्ञानिकों ने मैग्नेटर खोजा है वह पृथ्वी से 13 हजार प्रकाशवर्ष दूर स्थित है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसे ठोस सतह वाला तारा कहा जा सकता है. शोधकर्ताओं ने आईएक्सपीई के जरिए 4U 0142+61 नाम के मैग्नेटर के आंकड़ों की विश्लेषण किया जो कैसियापिया तारामंडल में स्थित है. यह पहली बार है जब मैग्नेटिक फील्ड ध्रुवीकृत एक्स रे प्रकाश में खोजा गया है.
कोई वायुमडंल नहीं
इस अध्ययन के नतीजों में भी मैग्नेटर संबंधित कई तथ्यों का खुलासा हुआ है. शुरू में माना जा रहा था कि इसके आसापास कोई वायुमंडल इसका चक्कर लगा रहा होगा जो ध्रुवीकृत प्रकाश का उत्सर्जन करने में मदद कर रहा होगा. लेकिन ऐसा नहीं था. वास्तव में इसका को तो कोई वायुमंडल ही नहीं पाया गया.
कैसे पता चला कि ठोस है सतह
इससे भी अजीब बात यह थी कि इसके निचले स्तर के प्रकाश की तुलना में इसका उच्च ऊर्जा का ध्रुवीकरण का कोण सटीक 90 डिग्री तक पलटा हुआ था. ऐसा होने का मतलब यही निकलता है कि मैग्नटेर की ठोस सतह थी और उसके आसपास बहुत ही शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड का अस्तित्व होना चाहिए. यह मैग्नेटिक फील्ड ही आयन के जाली वाली ठोस क्रोड़ को एक साथ जोड़े रखती होगी.
क्यों नहीं है वायुमंडल
शोधकर्ताओं का करना है कि यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था जबकि वे उम्मीद कर रहे थे कि इस तारे का कोई वायुमंडल अवश्य होना चाहिए. तारे की गैस का तापमान इतना कम हो गया होगा जैसे कम तापमान में भाप बर्फ में बदल जाती है. यह सब बहुत ही शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड का नतीजा है जहां तापमान भी एक कारक है क्योंकि गर्म गैस को ठोस में बदलने के लिए बहुत ही शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड की जरूरत होती है.
यह अब भी एक बहस का विषय है कि क्या मैग्नेटर्स और अन्य न्यूट्रॉन तारों का कोई वायुमंडल होता भी है या नहीं. लेकिन यह खोज वैज्ञानिकों को इस रहस्य को सुलझाने में सहायक हो सकती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि इन आंकड़ों की अन्य व्याख्याएं भी हो सकती हैं, लेकिन फिर भी यह पहली बार है जब तारे की ठोस सतह का एक कारण मिलता दिख रहा है.