विज्ञान

अंतरिक्ष से धरती पर पहली बार चक्रवात उतरता हुआ दिखाई दिया, किंतु पानी की जगह था कुछ और

Nilmani Pal
2 March 2021 6:19 PM GMT
अंतरिक्ष से धरती पर पहली बार चक्रवात उतरता हुआ दिखाई दिया, किंतु पानी की जगह था कुछ और
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धरती पर आने वाले चक्रवातों के बारे में तो ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन अब वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि अंतरिक्ष में भी चक्रवात आ रहे हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | धरती पर आने वाले चक्रवातों के बारे में तो ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन अब वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि अंतरिक्ष में भी चक्रवात आ रहे हैं। धरती के ऊपरी वायुमंडल में इलेक्ट्रॉन्स का यह प्लाज्मा पाया गया है। चीन की शान्डॉन्ग यूनिवर्सिटी की टीम ने बताया है कि 621 मील चौड़ा प्लाज्मा का मास उत्तर ध्रुव के ऊपर देखा गया। जैसे धरती पर चक्रवात पानी की बरसात करता है, वैसे ही यह प्लाज्मा इलेक्ट्रॉन बरसा रहा था। यह ऐंटी-क्लॉकवाइज घूम रहा था और आठ घंटे तक चलता रहा। (फोटो: Nature, क्रेडिट: Qing-He Zhang)

कई ग्रहों पर आते हैं ये चक्रवात
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ऐसे तूफान की वजह से GPS सिस्टम में रुकावट पैदा हो सकता है। इसके साथ ही अंतरिक्ष के मौसम में होने वाली हलचल पर भी रोशनी डाली है। यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के प्रफेसर माइक लॉकवुड का कहना है कि चक्रवात ग्रहों और उनके चंद्रमाओं पर आम बात हो सकती है जहां चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज्मा हो। उनका कहना है कि अभ तक इस बात का पक्का सबूत नहीं था कि क्या स्पेस में चक्रवात होते हैं, इसलिए यह साबित करना काफी अद्भुत है।
कैसे बना चक्रवात?
उन्होंने बताया है कि ट्रॉपिकल तूफान ऊर्जा से जुड़े हुए होते हैं और ये चक्रवात बहुत ज्यादा और तेज सौर तूफान से निकले वाली ऊर्जा और चार्ज्ड पार्टिकल्स के धरती के ऊपरी वायुमंडल में ट्रांसफर की वजह से बने होंगे। पहले यह पाया गया है कि मंगल, शनि और बृहस्पति पर भी अंतरिक्ष के चक्रवात होते हैं। इसी तरह सूरज के वायुमंडल में भी ऐसे ही गैसें घूमती हैं। पहली बार ऐसा चक्रवात धरती के ऊपरी वायुमंडल में पाया गया है।
धरती पर क्या असर?
टीम ने बताया है कि अंतरिक्ष के चक्रवात की वजह से स्पेस से आइओनोस्फीयर और थर्मोस्फीयर में तेजी से ऊर्जा का ट्रांसफर होता है। इससे अंतरिक्ष के मौसम का असर समझा जा सकता है- जैसे सैटलाइट्स के ड्रैग पर, हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो संचार में रुकावट, क्षितिज के ऊपर रेडार लोकेशन में गलतियों, सैटलाइट नैविगेशन और संचार प्रणाली पर। यह चक्रवात 20 अगस्त 2014 को आया था और इसे Interplanetary Magnetic Field Condition (IMF) के तौर पर डॉक्युमेंट किया गया था।


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