विज्ञान

जानें कितना खास है NASA की चंद्रा वेधशाला का खोजा गया नया पिंड

Gulabi
6 Feb 2021 3:52 PM GMT
जानें कितना खास है NASA की चंद्रा वेधशाला का खोजा गया नया पिंड
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हाल ही में नासा (NASA) ने एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हाल ही में नासा (NASA) ने एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है. नासा के चंद्रा एक्स रे वेधाशाला (Chandra X-ray observatory) से ली गई तस्वीर ब्रह्माण्ड (Universe) के अजीबोगरीब पिंड पल्सर (Pulsar) की है. यह पिंड अपने आप में जितना भी अजीब हो, लेकिन यह तस्वीर उतनी ही खूबसूरत है. किसी ने इसकी तुलना गुलाब से की है तो कोई इसके केवल एक खूबसूरत खगोलीय घटना मान रहा है. लेकिन जितनी यह तस्वीर रोचक है, उतने ही पल्सर भी रोचक पिंड होते है.

नासा (NASA) ने इस खास पल्सर (Pulsar) की तस्वीर का लिंक लोगों को अपना वॉलपेपर बनाने के लिए दिया है. इस तस्वीर के बारे में नासा ने बताया है कि इस पल्सर का व्यास 20 किलोमीटर है और उस तस्वीर में दायीं तरफ का पल्सर SXP 1062 है जो बहुत धीमी गति से घूम रहा है. यह 18 मिनट में अपना एक चक्कर लगा पाता है. पल्सर से विकिरण उत्सर्जन (Radiation emission) दूसरे खगोलीय पिंडों की तुलना में बहुत ही अलग तरह से होता है. .
इसी के साथ ही नासा (NASA) ने ब्रह्माण्ड (Universe) के अब तक के खोजे गए सबसे तेज पल्सर (Pulsar) के बारे में भी बताया है. नासा ने उसी कैप्शन में बताया है कि सबसे तेज पल्सर PSR J1748-2446ad है जो एक ही सेकेंड में 716 बार अपना चक्कर लगाता है. उसका घूर्णन (Rotation) ही उसे एक विशेषता देता है क्योंकि उसकी वजह से जो विकिरणों की बीम (Radiation Beam) निकलती है वह भी घूमती है.
पल्सर एक विशालकाय तारे (Massive star) का केंद्र होता है जो सुपरनोवा (Spernova) के तौर पर विस्फोटित होता है. तारे के इस अवशेष में जिसे न्यूट्रॉन तारा (Neutron star) भी कहा जाता है, संकुचित होकर चुंबकीय (Magnetic) हो जाते हैं और एक घूमती हुई गेंद में तब्दील हो जाते हैं. आम तौर पर इनका भार 5 लाख पृथ्वी (earth) के जितना होता है, लेकिन उनका आकार वॉटिंगटन डीसी शहर के जैसा होता है.
पल्सर (Pulsar) की सबसे खास बात होती है उसका उत्सर्जन (Emission). एक पल्सर से विशाल मात्रा में रेडियो तरंगें (Radio Waves), प्रकाश, एक्स रे (X-Rays) विकिरण और गामा (Gama) विकिरण निकलते हैं. जब इन के द्वारा उत्सर्जित विकरण पृथ्वी (Earth) पर पड़ते हैं तो ऐसा लगता है कि ये उत्सर्जन किसी पल्स या नाड़ी तरह से नियमित कंपन कर रहे हैं. इसीलिए इन पिंडों को पल्सर की श्रेणी दी गई है जो मूलतः एक तरह के न्यूट्रॉन तारे (Neutron Star) और मैग्नेटर (Magentar) होते हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया है कि SXP 1062 एक सुपरनोवा (Supernova) का अवशेष है जो पल्सर (Pulsar) के आसपास एक बिखरी हुई एक्स रे (X-Rays) और प्रकाशीय खोल (Optical Shell) की वजह से है यह पल्सर उन हजारों पल्सर में से एक है जो चंद्रा वेधशाला(Chandra X-Ray Observatory) ने 1999 से अब तक खोजे हैं. शोधकर्ताओं ने चंद्रा की तस्वीर और प्रकाशीय तस्वीर की तुलना करने पर पाया है कि इस पल्सर का गर्म और विशालकाय साथी है. जो एक गैस और धूल का बड़ा पिंड है.
SXP 1062 खगोलविदों के लिए इसलिए दिलचस्प है क्योंकि इसकी घूमने की गति (Speed of Rotation) बहुत कम है. यह अपना एक घूर्णन पूरा करने में 18 मिनट का समय लगाता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह पल्सर (Pulsar) दस से चालीस हजार साल पुराना है. पृथ्वी (Earth) के हिसाब से यह बहुत पुराना पल्सर लगता हो, लेकिन खगलोयीन पैमानों पर यह बिलकुल युवा पल्सर है. खगोलविदों को लगता है कि यह उसी विस्फोट के समय बना था जिससे सुपरनोवा (Supernova) का अवशेष बने थे


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