विज्ञान

किसान तिलहनी फसलों में इस खाद का करें उपयोग, इसे भी समझिए

Gulabi
4 Oct 2021 8:20 AM GMT
किसान तिलहनी फसलों में इस खाद का करें उपयोग, इसे भी समझिए
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देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक प्रदेश राजस्थान में सरकारी अधिकारियों ने तिलहनी फसलों में डाली जाने वाली खाद को लेकर किसानों को खास सलाह दी

देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक प्रदेश राजस्थान में सरकारी अधिकारियों ने तिलहनी फसलों में डाली जाने वाली खाद को लेकर किसानों को खास सलाह दी है. ताकि फसल अच्छी हो. सरकार ने किसानों को तिलहनी फसलों में डीएपी (DAP-Diammonium Phosphate) के स्थान पर एसएसपी यानी सिंगल सुपर फास्फेट (Single Super Phosphate) का यूरिया के साथ प्रयोग करने की अपील की है. दरअसल, यह सलाह जयपुर जिले के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने दी है.

रबी फसलों की बिजाई आरंभ हो चुकी है. किसान तिलहनी फसलों (Oilseed crops) में नाइट्रोजन व फास्फोरस पोषक तत्व की पूर्ति के लिए सामान्य तौर पर डीएपी एवं यूरिया उर्वरकों का प्रयोग करते हैं. जबकि तिलहनी फसलों में उत्पादन व उत्पाद गुणवत्ता में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन व फास्फोरस के साथ-साथ गन्धक तत्व की भी आवश्यकता होती है. चूंकि एसएसपी में फास्फोरस के साथ गन्धक भी पाया जाता है, इसलिए राजस्थान सरकार ने किसानों से ऐसी अपील की है.
आखिर क्या है अंतर
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एसएसपी यानी सिंगल सुपर फास्फेट को यूरिया के साथ प्रयोग करें तो डीएपी से बेहतर होगा. क्योंकि एसएसपी में नाईट्रोजन की उपलब्धता यूरिया (Urea) से हो जाती है. साथ ही इसमें पहले से सल्फर, कैल्शियम मौजूद है जो कि डीएपी में नहीं है. जहां एसएसपी में नाईट्रोजन की मात्रा जीरो परसेंट है वहीं डीएपी में यह 18 फीसदी पाया जाता है. इसलिए एसएसपी का यूरिया के साथ इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.
इसे भी समझिए
डीएपी में 46 फीसदी फास्फोरस रहता है जबकि एसएसपी में सिर्फ 16 फीसदी. यानि की डीएपी की तुलना में एसएसपी में फास्फोरस 30 परसेंट कम है. इसलिए जब भी एसएसपी का प्रयोग करें तो डीएपी की तुलना में तीन गुना ज्यादा होना चाहिए. साथ ही यूरिया खाद का प्रयोग जरूर करें. अगर ऐसा करते हैं तो एसएसपी खाद डीएपी से बेहतर होगी.
उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता का दावा
जयपुर के अतिरिक्त जिला कलक्टर (उत्तर) बीरबल सिंह ने बताया कि रबी 2021-22 का जयपुर जिले का 4.03 लाख हैक्टेयर बुवाई का लक्ष्य प्रस्तावित है. जिसमें से सरसों का 0.92 लाख हैक्टेयर, गेंहूं का 1.45 लाख हैक्टेयर, चना का 0.80 लाख हैक्टेयर एवं जौ 0.52 लाख हैक्टेयर शामिल है. कृषि उप निदेशक (विस्तार) राकेश कुमार ने बताया कि जयपुर जिले में वर्तमान में पर्याप्त उर्वरकों (Fertilizers) की उपलब्धता है. किसानों में उसका वितरण किया जा रहा है.
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