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किसान ने अपनाया वैज्ञानिक तरीका, अब इन फसलों से कमा रहे लाखों

Gulabi
28 Sep 2021 11:47 AM GMT
किसान ने अपनाया वैज्ञानिक तरीका, अब इन फसलों से कमा रहे लाखों
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केला और पपीते जैसी फसलों की खेती में हाथ आजमाना शुरू किया

उत्तर प्रदेश के चंदौली के चहनिया ब्लॉक के जयंत सिंह और अनूप कुमार मिश्रा पहले धान-गेंहू और बाजरे जैसी पारपंरिक फसलों की ही खेती किया करते थे. लेकिन उन्हें कोई खास मुनाफा हासिल नहीं होता था. ऐसे में साल 2017 से दोनों ने शिमला मिर्च, बींस,हरी मिर्च, करेला,स्ट्रॉबेरी मशरूम, केला और पपीते जैसी फसलों की खेती में हाथ आजमाना शुरू किया.

चंदौली के हरधन जूड़ा गांव के रहने वाले जयंत सिंह कहते हैं कि हम पहले परंपरागत खेती पर ही निर्भर थे. लेकिन इससे परिवार का भरण-पोषण कर पाना काफी कठिन होता था. साल 2017 में हमने आधुनिक खेती की तरफ रूख किया. पहले पपीते की खेती से शुरुआत की, इसमें हमें ठीक-ठाक मुनाफा हासिल हुआ. फिर जाकर हमने शिमला मिर्च, गोभी, टमाटर,बेगन,बींस जैसी सब्जियों की भी खेती करनी शुरू कर दी. वे बताते हैं कि फिलहाल हमारे पास दर्जन भर किसानों का एक समूह है, जो 100 एकड़ में कई तरह की सीजनल सब्जियों का उत्पादन करते हैं.
देवड़ा गांव के रहने वाले अनूप मिश्रा की 2013 में टाटा स्टील में नौकरी लग गई. उन्होंने 4 साल तक नौकरी की, लेकिन किन्हीं परिवारिक वजहों के चलते उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी. अनूप ने पहली बार में 3 एकड़ में पपीते की खेती करनी शुरू की. जिससे उनको काफी मुनाफा हुआ. बाद में अनूप और जयंत सिंह ने मिलकर आधुनिक खेती के दायरे को और बढ़ाया. फिलहाल अनूप अपनी उपज को वाराणसी सब्जी मंडी में बेचते हैं. लेकिन वे इसे विदेशों तक सप्लाई करना चाहते हैं.
अनूप कुमार बताते हैं कि 2013 में टाटा स्टील में जॉब लग गया था. वहां पर मैंने 4 साल नौकरी की. 4 साल के बाद कुछ पारिवारिक वजह के चलते मैं घर वापस आ गया. यहां पर जयंत भाई पपीते की खेती करते थे. उनको खेती करते देख मेरी भी इच्छा हुई. हम दोनों ने साथ मिलकर नए तरीके से खेती करने का फैसला किया. वे बताते हैं कि. इस समय उनके क्षेत्र में तकरीबन 15 से 16 लोग ग्रुप बनाकर ठीक इसी प्रकार से खेती कर रहे हैं.
जयंत और अनुप के की इस सफलता को देखकर क्षेत्र के अन्य युवा भी प्रेरित हो रहे हैं. देवाइतपुर गांव के मैकेनिकल इंजीनियरिंग से डिप्लोमा धारक अभिषेक भी पिछले तीन साल से आधुनिक तरीके की खेती से ठीक-ठाक मुनाफा उठा रहे हैं. वे अब नौकरी नहीं करना चाहते हैं, यही वजह है कि अभिषेक ने पास में ही 10 बीघा जमीन भी ले ली है. जिस पर अगले सीजन में वे कई प्रकार की सब्जियों की खेती करने जा रहे हैं.
जयंत सिंह की मुताबिक इस तरह से प्लानिंग कर खेती करने से मुनाफा दो गुना से ऊपर हो जाता है. हमारा लक्ष्य अपने समूह से तकरीबन दो सौ किसानों को जोड़ने का है. हम इस पर काम भी कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि जैसै हमारा चंदौली धान के कटोरे के तौर पर प्रसिद्ध है, वैसे ही यहां के अन्य उत्पादों को भी विश्व स्तर पर विदेशों पहचाना जाए.
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