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विशेषज्ञों का दावा: ऐसी महिलाओं को प्रसव के बाद डिप्रेशन का खतरा होता है सबसे अधिक, ये है वजह
Deepa Sahu
5 April 2021 6:34 PM GMT
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गर्भावस्था के दौरान सेहत का ध्यान रखना
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: गर्भावस्था के दौरान सेहत का ध्यान रखना, गर्भवती और शिशु दोनों कि लिए बहुत जरूरी होता है। इस दौरान की गई कोई भी चूक दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इसी से संबंधित हाल ही में हुए एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने बताया कि जो महिलाएं प्लास्टिक में पाए जाने वाले एंडोक्राइन-डिस्रप्टिंग रसायनों के संपर्क में ज्यादा रहती हैं उन्हें प्रसव के बाद डिप्रेशन का खतरा बहुत ज्यादा होता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि ये हानिकारक रसायन गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव को प्रभावित कर सकते हैं। आइए जानते हैं कहीं आप भी तो ऐसे रसायनों के संपर्क में नहीं हैं? जिससे भविष्य में आपको इस तरह की समस्याओं का खतरा होने की आशंका हो सकती है।
एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनिया के तमाम देशों में प्रसवोत्तर अवसाद के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रसवोत्तर अवसाद एक गंभीर मनोरोग है, प्रसव के बाद हर 5 में से एक महिला में इसके लक्षण देखने को मिल रहे हैं।
प्रसवोत्तर अवसाद के कारणों को अब तक अच्छी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों को इसका एक महत्वपूर्ण कारक पाया गया है। प्लास्टिक और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में पाए जाने वाले बिसफेनोल्स और थैलेट जैसे हानिकारक रसायन आपके सेक्स हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं।
न्यूयॉर्क में एनवाईयू लैंगोन मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर और अध्ययन से जुड़े एनवाई जैकबसन का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान थैलेट के संपर्क में आने के कारण प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो सकता है। प्रोजेस्टेरोन एक प्रकार का हार्मोन है जो महिलाओं में मासिक धर्म को जारी रखने और गर्भाशय को गर्भधारण के लिए तैयार करता है। डॉ जैकबसन कहते हैं कि यह शोध इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वातावरण में थैलेट रसायन की मात्रा तेजी से बढ़ी है। दुनिया की ज्यादातर महिलाएं इसकी शिकार हो सकती हैं।
शोधकर्ताओं ने 139 गर्भवती महिलाओं के मूत्र के सैंपल में बिसफेनोल्स और थैलेट रसायन जबकि रक्त के सैंपल में सेक्स हार्मोन के स्तर को मापने की कोशिश की। अध्ययन के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि जिन महिलाओं के मूत्र के सैंपल में थैलेट की मात्रा अधिक थी उनमें प्रसवोत्तर अवसाद की आशंका भी अधिक पाई गई।
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