विज्ञान

चूहों पर हुआ प्रयोग तो बढ़ गया उनका जीवनकाल, लम्बी उम्र को लेकर समाने आई चौंकाने वाली जानकारियां

Gulabi Jagat
8 May 2022 3:04 PM GMT
चूहों पर हुआ प्रयोग तो बढ़ गया उनका जीवनकाल, लम्बी उम्र को लेकर समाने आई चौंकाने वाली जानकारियां
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स्वस्थ जीवन और लंबी आयु के लिए लोग कई प्रकार के जतन करते हैं
न्यूयार्क, आइएएनएस। स्वस्थ जीवन और लंबी आयु के लिए लोग कई प्रकार के जतन करते हैं। इसमें संयमित और नियमित दिनचर्या काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। अब एक नए अध्ययन में बताया गया है कि यदि आप लंबा और स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो कम कैलोरी वाला भोजन सही समय पर करें। अमेरिका के ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर का दैनिक लय (रिद्म) का दीर्घकाल में बड़ा असर होता है।
कम कैलोरी में बढ़ गया जीवनकाल
इंस्टीट्यूट के एक शोधकर्ता जोसेफ ताकाहाशी ने बताया है कि चूहों को जब सिर्फ उसके सर्वाधिक सक्रिय समय में भोजन दिया गया तो कम कैलोरी में भी उसका जीवनकाल बढ़ गया। साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट में बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने चार साल तक सैकड़ों चूहों पर किए गए परीक्षण में पाया कि भोजन में सिर्फ कैलोरी की मात्रा कम किए जाने से उनका जीवनकाल 10 प्रतिशत बढ़ गया।
जीवन 35 प्रतिशत बढ़ गया
इसी तरह चूहों को जब सिर्फ रात में खाना दिया गया तो उनका जीवन 35 प्रतिशत बढ़ गया। रात में भोजन इसलिए कि चूहा रात में ही सर्वाधिक सक्रिय रहता है। देखा गया कम कैलोरी और सिर्फ रात में भोजन करने का संयुक्त प्रभाव यह रहा कि सामान्य तौर पर दो साल जीवनकाल वाले चूहों की आयु नौ महीने तक बढ़ गई।
दिन में करें भोजन
शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके मद्देनजर इंसानों को भी अपने भोजन का समय सिर्फ दिन में ही निर्धारित करना चाहिए। यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास के साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर के माइक्रोबायोलाजिस्ट ताकाहाशी ने बताया कि इस अध्ययन ने भोजन के समय से संबंधित विवाद को भी सुलझा दिया है और इस बात पर जोर दिया है कि भोजन दिन में किसी समय पर ही करना चाहिए।
भोजन को समयबद्ध करें नियोजित
ताकाहाशी ने बताया कि इस प्रकार से इंसान यदि भोजन को समयबद्ध नियोजित करे तो उससे वजन तेजी से कम होने के खतरा तो नहीं ही बढ़ेगा बल्कि स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा और दीर्घकालिक तौर पर लंबा जीवनकाल मिलेगा।
जीवनकाल पर असर
हाल के वर्षों में देखा गया है कि कई प्रकार के लोकप्रिय डाइट प्लान पर जोर दिया जाता है। इनमें नियमित तौर पर उपवास या छह से आठ घंटे के नियमित अंतराल पर ही भोजन करने जैसे उपाय शामिल किए जाते हैं। इसी संदर्भ में ताकाहाशी और उनकी टीम ने कैलोरी, उपवास, सर्कैडियन रिद्म जैसे कारकों का जीवनकाल पर असर का पता लगाने के लिए चार वर्षों का यह प्रयोग किया।
ऐसे किया अध्ययन
शोधकर्ताओं की टीम ने सैकड़ों चूहों को एक घर में रखकर आटोमैटिक फीडर के जरिये कंट्रोल करके यह जानने की कोशिश की कि वे अपने जीवनकाल में कब और कितना खाते हैं। इनमें कुछ चूहों को उनकी इच्छानुसार जितना चाहिए, उतना भोजन उपलब्ध कराया गया, जबकि कुछ अन्य के लिए 30-40 प्रतिशत कैलोरी सीमित की गई। जिनकी कैलोरी सीमित की गई, उन्हें अलग-अलग शेड्यूल में भोजन दिया गया। इसका असर देखा गया कि जिन चूहों को रात में दो घंटा या 12 घंटे पर कम कैलोरी डाइट दिया गया, उनका जीवनकाल सर्वाधिक था।
सही समय पर भोजन बेहद महत्‍वपूर्ण
वृद्धावस्था में होने वाले बदलावों (जेरन्टालाजी) से संबंधित विषयों में शोध करने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट आन एजिंग, बाल्टीमोर के विज्ञानी राफेल डे काबो के मुताबिक, यह बड़ा दिलचस्प निष्कर्ष है कि आप भले ही कैलोरी को सीमित कर लें या कम कैलोरी वाला भोजन करे, लेकिन यदि आप सही समय पर भोजन नहीं करते हैं तो कैलोरी कम करने का पूरा फायदा नहीं मिलेगा।
शरीर की आंतरिक घड़ी का रखें ख्‍याल
ताकाहाशी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि कैलोरी को सीमित किए जाने का बढ़ती उम्र के साथ शरीर की आंतरिक घड़ी पर होने वाले प्रभाव से विज्ञानी इंसान को स्वस्थ और दीघार्यु बनाने का नया मार्ग खोज सकेंगे। यह काम सीमित कैलोरी वाले भोजन या उसके जैसा असर करने वाली दवा के जरिये किया जा सकेगा।
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