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विज्ञान
यूरोपियन काउंसिल फॉर न्यूक्लियर रिसर्च ने की घोषणा, सबसे बड़े वैज्ञानिक प्रयोग से रूस को किया गया बाहर
jantaserishta.com
9 March 2022 4:02 PM GMT
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द यूरोपियन काउंसिल फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) ने घोषणा की है कि वो रूस (Russia) के साथ भविष्य के सारे समझौते फिलहाल के लिए रोक रहा है. साथ ही रूस को ऑब्जर्वर के पद से हटा दिया है. इसके अलावा सभी रूसी वैज्ञानिक संस्थानों के साथ नए समझौतों को रोक रहा है. क्योंकि यूक्रेन में रूसी सेना ने हमला कर दिया है.
CERN फैसिलिटी में रूसी वैज्ञानिकों को प्रतिबंधित करने के लिए शुरुआती वोट कम पड़े लेकिन बाद में यूक्रेनियन वैज्ञानिकों (Ukrainian Scientists) के विरोध पर यह फैसला लिया गया. साथ ही CERN प्रबंधन ने यह निर्णय भी लिया है कि वह यूक्रेन के वैज्ञानिकों को अपने ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट्स में शामिल करेगा. उन्हें सपोर्ट करेगा और हाई एनर्जी फिजिक्स से जुड़े प्रयोगों में जोड़ेगा.
CERN ही लार्ज हैड्रन कोलाइडर (Large Hadron Collider) को संचालित करता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा एटम स्मैशर है. इसी फैसिलिटी ने साल 2012 में हिग्स बोसोन (Higgs Boson) की खोज की थी. इस प्रयोग में दुनिया भर के 23 देश शामिल है. सात एसोसिएटेड सदस्य हैं. यूक्रेन इसमें बाद में जुड़ा. वह फैसिलिटी को फीस देता है. जबकि रूस की पोजिशन अमेरिका की तरह ऑब्जर्वर की तरह है. उसे किसी तरह की फीस नहीं देनी होती.
CERN में कुल मिलाकर दुनियाभर के 12 हजार वैज्ञानिक काम करते हैं. जिसमें से रूस के करीब 1000 वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. यानी करीब 8 फीसदी. CERN काउंसिल ने एक बैठक के बाद बयान जारी करते हुए कहा है कि हमारे 23 भागीदार सदस्यों ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है. यह इंसानियत के खिलाफ की गई कार्रवाई है. इससे लोगों की जिंदगी खत्म हो रही है.
प्रयोगशाला काउंसिल ने कहा कि CERN प्रबंधन, उसके कर्मचारी और सभी अन्य देशों के वैज्ञानिक यूक्रेन की मदद के लिए काम करेंगे. वहां के लोगों की मदद करेंगे. साथ ही इस प्रयोगशाला में मौजूद यूक्रेन के सभी वैज्ञानिकों को पूरा सपोर्ट किया जाएगा. CERN द्वारा लिया गया यह फैसला अब यह तय करेगा कि दुनियाभर में और कई बड़े साइंटिफिक प्रोजेक्ट्स से रूस को बाहर किया जा सकता है. या फिर वो खुद बाहर हो सकता है.
CERN की स्थापना साल 1954 में यूरोपियन, अमेरिकन और रूसी वैज्ञानिकों ने मिलकर किया था. इस फैसिलिटी ने शीत युद्ध (Cold War) के समय भी बेहतरीन तरीके से काम किया था. इस प्रयोगशाला ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं. 1962 में क्यूबन मिसाइल संकट, 1968 में सोवियत संघ द्वारा प्राग स्प्रिंग को रोकना, 1979 में अफगानिस्तान में रूसी सैनिकों की घुसपैठ आदि. लेकिन इतने समय तक इस प्रयोगशाला ने किसी तरह का कोई राजनीतिक झुकाव नहीं दिखाया था. लेकिन इस बार वह खत्म हो गया.
CERN लेबोरेटरी में काम करने वाले कुछ रूसी वैज्ञानिकों ने यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा की थी. मतलब ये है कि अगर इन्हें इस लैब से बाहर निकाला जाता है तो उन्हें सर्न से ही मदद मांग कर कहीं रहने की व्यवस्था करनी होगी. क्योंकि उन्हें नहीं पता कि वो रूस वापस जाएंगे तो उनके साथ क्या होगा.
सर्न लैब में काम करने वाले एक यूक्रेनियन साइंटिस्ट ने कहा कि इस प्रयोगशाला को तत्काल रूस के साथ सारे संबंध खत्म कर देने चाहिए. नहीं तो ऐसा लगेगा कि हम रूस की सरकार, सेना और लोगों द्वारा किए जा रहे अपराध और अन्याय में उनका साथ दे रहे हैं. हम एक लोकतांत्रिक समाज है. हमें चाहिए कि हम वैज्ञानिक समुदाय को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बुरे इरादों से बचाए रखें.
रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला बोला था. तब से लेकर अब तक 400 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. 800 से ज्यादा लोग घायल हैं. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र ने 7 मार्च 2022 को दी. यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि यूक्रेन और रूस के बीच 8 मार्च 2022 को भी बातचीत नहीं हो पाई, क्योंकि रूस ने मरियूपोल शहर में आम नागरिकों को बचाने वाले मार्ग पर बमबारी कर दी थी.
CERN काउंसिल ने अपने बयान में यह भी कहा है कि वह लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है. अगर जरूरत पड़ी तो वह रूस के ऊपर उपयुक्त कदम उठाएगी. संस्थान ने यह भी कहा कि अगर कोई रूसी वैज्ञानिक यूक्रेन पर हमले की निंदा करता है, तो वह उसकी सुरक्षा का भी ख्याल रखेगा. क्योंकि फिर वह वैज्ञानिक इंसानियत की तरफ से बोल रहा है. किसी देश की तरफ से नहीं.
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