विज्ञान

बाकी दुनिया की तुलना में दोगुनी गति से गर्म हो रहा यूरोप

Subhi
9 Nov 2022 3:18 AM GMT
बाकी दुनिया की तुलना में दोगुनी गति से गर्म हो रहा यूरोप
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इस साल यूरोप (Europe) अभूतपूर्व सूखे और गर्मी से जूझ रहा है. लेकिन यूरोप में तापमान (Temperature) पिछले 30 साल के मुकाबले वैश्विक औसत तापमान से दो गुना से भी ज्याद बढ़ गया है.

इस साल यूरोप (Europe) अभूतपूर्व सूखे और गर्मी से जूझ रहा है. लेकिन यूरोप में तापमान (Temperature) पिछले 30 साल के मुकाबले वैश्विक औसत तापमान से दो गुना से भी ज्याद बढ़ गया है. विश्व मौसम विभाग के अनुसार दुनिया में पहले से ही वार्मिंग, जंगलों में आग, बाढ़ और अन्य जलवायु परिवर्त (Climate Change) संबंधित की घटनाएं बढ़ रही हैं. इन सभी का दुष्प्रभाव पूरी दुनिया के समाजों अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिकी तंत्रों पर पड़ रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि बहुत से यूरोपीय देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर काम करने में कारगर साबित होते दिख रहे हैं, लेकिन फिर भी जलवायु परिवर्तन का प्रकोप रोकने के लिए यह काफी नहीं है.

यूरोपीय संघ की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की स्टेट ऑफ क्लाइमेट इन यूरोप की रिपोर्ट में साल 2021 पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है. इस रिपोर्ट में यूरोप में बढ़ते तापमान, जमीन और समुद्र में ग्रीष्मलहरें, बारिश के स्वरूपों में बदलाव, बर्फ का पिघलना, जैसी घटनाएं हो रही हैं. यूरोप में तापमान 1991 से 2021 तक के बीच के समय में काफी गर्म होता रहा है. इस दौरान गर्मी बढ़ने की औसत दर +0.5 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक रही थी.

इस बढ़ते तापमान की नतीजे में अल्पाइन ने 1997 से 2021 तक के 30 मीटर की मोटाई वाले ग्लेशियर गंवा दिए. वहीं ग्रीन लैंड की बर्फ की चादर भी पिघल रही है जिससे महासागरों को जलस्तर बढ़ता जा रहा है. 2021 की गर्मियो में ग्रीनलैंड ने पहली बार अपने शीर्षस्थ स्थान पर बारिश देखी.

2021 में मौसम के कहर और जलवायु गतिविधियों की वजह से सैकड़ों लोगों की मौत हुई और करीब 5 लाख लोग प्रभावित हुए और इसके साथ ही 50 अरब डॉलर के आर्थिक नुकसान भी झेलने को मिले. इन घटनाओं में 84 प्रतिशत घटनाएं बाढ़ और तूफानों की घटनाएं थीं.

बहुत से यूरोपीय देश ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की कटौती करने में काफी हद तक सफल रहे हैं. खास तौर से यूरोपीय संघ का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 1990 से लेकर 2020 तक 31 प्रतिशत कम हो गया है. अब संघ का लक्ष्य 2030 तक इसे 55 प्रतिशत तक करने का है. यूरोप दुनिया के उन इलाकों में से है जहां सीमा पार के सहयोग सबसे अच्छा पाया जाता है.

यूरोप दुनिया में कारगर में शुरुआती चेतावनी तंत्र के लिहाज से दुनिया का नेतृत्व करने वालों में से है. इसके दो तिहाई आबादी सुरक्षित क्षेत्रों में रहती है. यहां के ऊष्मा स्वास्थ्य संबंदी एक्शन प्लान ने दुनिया मे बहुत सारे जीवन बचाए हैं. इस साल भी यूरोप में गर्मी और सूखे का कहर देखने को मिला है तो वहीं पिछले कई इलाकों बाढ़ ने भी भारी तबाही मचाई थी.

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि दुनिया में ना केवल इस तरह के ग्रीनहाउस गैसों की कटौती जारी रखने की जरूरत है, बल्कि लक्ष्यों के मामले में भी और महत्वाकांक्षी होने की जरूरत है. यूरोप दुनिया को कार्बन विहीन समाज की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है. यूरोप के पास बेहतरीन जलवायु निगरानी उपकरण हैं.उसके पास शोधकर्ताओं का एक बढ़िया तंत्र है जहां कई संस्थान पहले से ही जलवायु संबंधी अनुसंधान में काफी ज्यादा योगदान दे रहे हैं.

लेकिन यह भी सच है कि यूरोप का समाज जलवायु के प्रति बहुत ही ज्यादा संवेदनशील है. साथ ही वह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ होने वाले कार्यों के लिए चल रहे प्रयासों की भी अगुआई कर रहा है. इतना ही नहीं दुनिया मे जलवायु परिवर्तन के लिए खोजे जा रहे नवाचार उपायों के मामले में भी यूरोप ही आगे है. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि दुनिया में जलवायु बुद्धिमत्ता की ज्यादा जरूरत है जिससे जलवायु संबंधी समस्याओं से समग्रता से निपटा जा सके.


क्रेडिट ; न्यूज़ 18

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