विज्ञान

ESA का ऑर्बिटर गुजरेगा बुध के करीब से, वैज्ञानिक तौर पर कई उम्मीदों के साथ कुछ चुनौतियां भी

Gulabi
29 Sep 2021 6:21 AM GMT
ESA का ऑर्बिटर गुजरेगा बुध के करीब से, वैज्ञानिक तौर पर कई उम्मीदों के साथ कुछ चुनौतियां भी
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यूरोपीय और जापान की स्पेस एजेंसी का संयुक्त अभियान बेपीकोलंबो अभियान दो दिन बाद पहली बार बुध ग्रह के पास से गुजरने वाला है

यूरोपीय और जापान की स्पेस एजेंसी का संयुक्त अभियान बेपीकोलंबो अभियान (BepiColombo Mission) दो दिन बाद पहली बार बुध ग्रह (Mercury) के पास से गुजरने वाला है. यह अभियान साल 2025 में इसी ग्रह की कक्षा के अंदर प्रवेश करेगा. लेकिन उससे पहले इस यान को कई बार बुध और कुछ बार पृथ्वी (Earth) और शुक्र ग्रह के पास से गुजरना होगा. फिलहाल यह पहली बार होगा जब यह बेपीकोलंबो बुध से केवल 200 किलोमीटर की दूरी पर ही होगा पास आएगा और इससे उम्मीद की जा रही है कि बहुत उपयोगी वैज्ञानिक जानकारी और बुध की तस्वीरें मिल सकती हैं.

बेपीकोलंबो इससे पहले अगस्त में ही शुक्र ग्रह के पास से गुजरा है. इस अंतरिक्ष यान का अगला सामना अब बुध से होने जा रहा है. इसे अभियान की पहली झलक मिलने के मौके के तौर पर देखा जा रहा है. इस अभियान में दो वैज्ञानिक ऑर्बिटर होंगे मर्करी ट्रांसफर मॉड्यूल के जरिए साल 2025 तक बुध की कक्षाओं में पहुंचाए जाएंगे.
कौन से दो यान
यूरोपीय स्पेस एजेंसी की अगुआई में मर्करी प्लेनेटरी ऑर्बिटर और जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा की अगुआई में मर्करी मैग्नेटोस्फियर ऑर्बिटर मियो इस छोटे से ग्रह की आंतरिक हिस्सों का अध्ययन करेंगे जिसमें इसकी मैग्नेटिक फील्ड, बाह्यमंडल के साथ इस ग्रह की उत्पत्ति के साथ इसके विकास की जानकारी हासिल करना भी शामिल होगा.
एक कवायद की चुनौती
बेपीकोलंबो के मामले में चुनौती यह है कि अभी वह पृथ्वी से 10 करोड़ किलोमीटर दूर है जहां से प्रकाश को हम तक पहुंचने में 350 सेंकेड यानि करीब छह मिनट लगता है. ऐसे में इसके रास्ते में सुधार कवायद (correction maneuver) करने की जरूर होती है. यह कवायद शुक्र ग्रह के पास से गुजरते समय भी करनी पड़ी थी. यह यान अभी बुध से 198 किलोमीटर ऊपर से गुजरने वाला है जिसे 200 किलोमीटर तक करने की जरूरत होगी. यह सुधार कवायद सोलर इलेक्ट्रिक प्रपल्शन मन्यूवर की आसान प्रक्रिया के जरिए की जाएगी.
तस्वीर लेना भी आसान नहीं
फ्लाईबाय के दौरान उच्च विभेदन तस्वीरें प्रमुख विज्ञान कैमरे से लेना संभव नही है क्योंकि यह इस दौरान ट्रांसफर मॉड्यूल से ढका रहेगा. इसके अलावा बेपीकोलंबो रात के समय बुध के पास से गुजरेगा जिससे तस्वीरें लेने की आदर्श स्थिति नहीं होगी. फिर भी यान के निगारनी कैमरे एक हजार किलोमीटर की दूरी से ही उसकी तस्वीरें ले सकेंगे.
कैसी होगी तस्वीर
पहले तस्वीर लेने के बाद उसे पृथ्वी तक पहुंचने में आधे घंटे का समय लगेगा. ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर का विभेदन 1024 X1024 पिक्सल होगा और इस तस्वीर में सौर पैनल और एंटीना भी दिखाई देंगे. इस फ्लाईबाय के दौरान बुध ग्रह यान के उपकरणों के पीछे से गुजरता हुआ दिखाई देगा.
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इन कैमरों में से एक बुध के उत्तरी गोलार्द्ध पर केंद्रित होगा तो दूसरा दक्षिणी गोलार्द्ध पर केंद्रित होगा.नजदीक आने के बाद कैमरा एक के बाद एक तस्वीरें लेंगे और बाद में तीसरा कैमरा तस्वीरें लेगा. इन तस्वीरों से वैज्ञानिक बुध ग्रह पर बने क्रेटर देखने की उम्मीद कर रहे हैं जिससे बुध के निर्माण और विकास की जानकारी मिलने की भी उम्मीद है.
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