विज्ञान

सौरमंडल के आंतरिक हिस्से में आए धूमकेतु का अध्ययन करेगा ESA का नया अभियान

Tulsi Rao
12 Jun 2022 12:49 PM GMT
सौरमंडल के आंतरिक हिस्से में आए धूमकेतु का अध्ययन करेगा ESA का नया अभियान
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आमतौर पर क्षुद्रग्रह और धूमकेतु (Comet) तभी चर्चा में रहते हैं जब वे पृथ्वी के पास से गुजरते हैं और लोगों की दिलचस्पी यह जानने में होती है कि वह पिंड कहीं पृथ्वी से टकरा तो नहीं रहा है, अगर नहीं तो पृथ्वी के कितने पास से गुजरेगा और उसका पृथ्वी पर क्या असर होगा. ऐसे पिंडों में शुरुआती सौरमंडल के पदार्थ भी होते हैं जो हमें सौरमंडल की उत्पत्ति की जानकारी दे सकते हैं. इसी के मद्देनजर यूरोपीय स्पेस एजेंसी (European Space Agency) ने कॉमेट इंटरसेप्टर अभियान (Comet Interceptor Mission) को स्वीकृति दी है जो ऐसे धूमकेतु का अध्ययन करेगा जिसने हाल ही में आंतरिक सौरमंडल में प्रवेश किया है.

कब होगा इसका प्रक्षेपण

इस अभियान के जरिए ईसा के खगोलविद धूमकेतु के अलावा अन्य अंतरतारिकीय पिंडों का भी अध्ययन करेगा जिन्होंने आंतरिक सौरमंडल में अपनी यात्रा शुरू ही की है. यह कॉमेट इंटरसेप्टर साल 2029 में एरियल एक्सोप्लैनेट मिशन के साथ प्रक्षेपित किया जाएगा. इसका लक्ष्य ऐसे धूमकेतु का अध्ययन करना है जिसने आंतरिक सौरमंडल में बहुत कम समय बिताया हो या फिर वह पहली बार यहां आ रहा हो.

दो पुराने अभियानों पर आधारित

इस अभियान के लिए यानों का निर्माण ईसा के ही रोसेटा और गियोटो यानों के आधार पर किया जाएगा जिन्होंने छोटी अवधि के धूमकेतुओं की यात्रा की थी. इनमें से रोसेटा ने तो नेप्च्यून से आगे स्थिति काइपर पट्टी से आए चट्टानी पिंड का अध्ययन किया था, वहीं कमेंट इंटरसेप्टर का लक्षित पिंड विशाल ऊर्ट बादलों से आने वाला पिंड भी हो सकता है जो सूर्य और काइपर पट्टी की दूरी से हजार गुना ज्यादा दूरी पर है.

जापानी एजेंसी का सहयोग

इस अभियान की अवधारणा का सबसे पहले स्वीकृति एजेंसी की विज्ञान कार्यक्रम समिति की मीटिंग में दी गई थी और अब इसे जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा के साथ मिलकर विकसित किया जाएगा. इस कॉमेट इंटरसेप्टर अभियान के विचार को गियोटा और रोसेटा अभियानों के विजन की सफलता को देखते हुए ही आगे बढ़ाया गया है.

धूमकेतु विज्ञान के अगले स्तर पर

अब इस अभियान के द्वारा धूमकेतु विज्ञान के अगले स्तर पर जाने की तैयारी है. ईसा के विज्ञान निदेशक गंथर हैसिंगर ने एक बयान में इस अभियान के बारे में बताया कि इससे यूरोपीय वैज्ञानिकों के धूमकेतु शोधकार्यों में आगे बने रहने का मौका मिलेगा और ईसा इस रोचक क्षेत्र में एक नेता के तौर पर उभर सकेगा.

दो प्रोब बनाएंगे धूमकेतु का प्रोफाइल

इस अभीयान में दो प्रोब होंगे धूमकेतु का चक्कर लगाकर अलग अलग कोणों से उसका अवलोकन करेंगें. वैज्ञानिक इन अवलोकनों के जरिए उस पिंड की त्रिआयामी प्रोफाइल बनाएंगे. इस अभियान के वैज्ञानिक माइक कोपर ने बताया कि पहली बार सूर्य का पास कक्षा में चक्कर लगा रहे धूमकेतु में ऐसे पदार्थ होंगे जो सौरमंडल के निर्माण के समय बने होंगे. ऐसे पिंडों का अध्ययन उसकी खुद की जानकारी के साथ ही सौरमंडल के निर्माण और विकास की जानकारी भी दे सकता है.

एक जगह पहुंच कर करेगा इंतजार

अंतरिक्ष यान को एल2 स्थिति तक पहुंचाया जाएगा जो सूर्य से पृथ्वी के 15 लाख किलोमीटर पीछे की ओर है जहां वह धूमकेतु का इंतजार करेगा. एक बार इस धूमकेतु को देख कर उसका चयन हो गया, उसके बाद यान अपने आगे की यात्रा करेगा. ऐसे पिंड की एक साल पहले से ही पहचान कर ली जाएगी. यह समय कम है, लेकिन इंटरसेप्टर के लिए एल2 से उस तक जाने के लिए काफी होगा.

धूमकेतु की ओर जाते हुए यह अभियान उसेक गतिकी स्वभाव, सतह संरचना आकार आदि का अध्ययन करना शुरू कर देगा. एजेंसी का कहना है कि इन पिंडों के अध्ययन से हम ना केवल सौरमंडल के रहस्य खोज सकेंगे, बल्किआने वाले समय में हम अपने ग्रह की उन पिंडों से बेहतर तरह से रक्षा करने में भी सक्षम हो सकेंगे जो पृथ्वी से टकराने के लिए आ रहे हैं.

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