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समुद्र की लहरों , कपड़ों, कार के टायरों के घर्षण आदि से भी बिजली बनने की बात अब सच हो सकती है. ऐसा करने वाली एक नई टेक्नोलॉजी का पेटेंट कराया गया है. इसका टेक्नोलॉजी का नाम डिस्ट्रीब्यूटेड एम्बेडेड एनर्जी कनवर्टर टेक्नोलॉजी या डीईईसी-टेक है. इसे शॉर्ट में डेक-टेक भी कहा जा रहा है.
इन टेक्नोलॉजी का पहला पेटेंट खास तौर पर मरीन रिन्यूएबल एनर्जी की एप्लीकेशन के लिए कराया गया है. इससे समुद्र व नदी की लहरों की मदद से स्वच्छ उर्जा का उत्पादन किया जाएगा. हालांकि, केवल पानी की लहरें ही नहीं ये टेक्नोलॉजी हमारे रोजमर्रा के अधिकांश मोशन को इलेक्ट्रिसिटी या किसी अन्य इस्तेमाल किए जाने वाली एनर्जी में बदल सकती है.
डेक टेक का हो रहा विस्तार
पेटेंट के लीड इन्वेंटर और नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेट्री (एनआरईएल) के सीनियर इंजीनियर ब्लेक बोरेन ने कहा है कि इस टेक्नोलॉजी में बढ़ने की क्षमता है और ये बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि भले ये टेक्नोलॉजी कपड़ों, सड़कों और बिल्डिंग्स तक फैल सकती है लेकिन इसकी शुरुआत समुद्र से हो रही है. बोरेने ने कहा, "यह पेटेंट दिखाता है कि हम शोध के एक बेहतरीन क्षेत्र में सही दिशा में चल रहे हैं."
कैसे काम करती है ये नई टेक्नोलॉजी
जैसे को समुद्री सांप अपने छोटी-छोटी मसल सेल्स के कारण समुद्र में तैरने में सक्षम होता है उसी तरह डेक-टेक डोमेन में इंडिविजुअल एनर्जी कनवर्टर एक साथ काम करते हैं. आमतौर पर समुद्र की एनर्जी को क्लिन एनर्जी बनाने वाली डिवाइसेज में एक जेनरेटर काम कर रहा होता है लेकिन इस टेक्नोलॉजी में कई छोटे-छोटे कनवर्टर हैं जो एक साथ काम करते हैं. बोरेन कहते हैं डेक-टेक शोधकर्ताओं को मरीन एनर्जी को उपयोग की जा सकने योग्य ऊर्जा में बदलने के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगी. छोटे-छोटे एनर्जी कनवर्टर्स को मिलाकर फेबरिक, बल्कहेड्स, सपोर्ट स्ट्रक्चर और अन्य कई चीजें बनाई जा सकती हैं.
क्रेडिट : न्यूज़ 18