विज्ञान

नासा का मंगल ग्रह पर मिट्टी के नमूने हासिल करने का पहले प्रयास रहा असफल

Rani Sahu
9 Aug 2021 12:48 PM GMT
नासा का मंगल ग्रह पर मिट्टी के नमूने हासिल करने का पहले प्रयास रहा असफल
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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने एक साल पहले मंगल ग्रह (Mars) के लिए अपना खास रोवर प्रक्षेपित किया था

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने एक साल पहले मंगल ग्रह (Mars) के लिए अपना खास रोवर प्रक्षेपित किया था. पर्सिवियरेंस रोवर (Perseverance Rover) के इस अभूतपूर्व अभियान को बहुत सारे ऐसे प्रयोगों के लिए तैयार किया गया था जिससे मंगल पर मानव के लंबे समय तक रहने की अनुकूल परिस्थितियां तैयार करने में मदद मिल सके. लेकिन इसके अलावा इस अभियान का एक और प्रमुख उद्देश्य था. इसमें पर्सिवियरेंस को मंगल ग्रह की मिट्टी के नमूने भी जमा करने थे जिन्हें पृथ्वी पर लाने के अभियान पर भी काम जारी है. पर्सिवियरेंस का नमूने लेने का पहला प्रयास नाकाम रहा. इसकी वजह भी अनोखी ही पता चली है.

पहला प्रयास
पर्सिवियरेंस ने हाल ही में मंगल की सतह पर खुदाई भी करना शुरू कर दी थी. लेकिन वह मंगल की मिट्टी और पत्थरों के नमूने जमा करने के अपने पहले प्रयास में ही नाकाम रहा है. ये नमूने पृथ्वी पर वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं जिनका विश्लेषण कर मंगल ग्रह के बारे में बहुत सारी प्रमाणिक जानकारी मिल सकेगी.
नली में नहीं पहुंच सके पदार्थ
इसी साल फरवरी के महीने में मंगल के जजीरो क्रेटर पर उतरे पर्सिवियरेंस की इस कवायद में योजना के मुताबिक नहीं सफलता हासिल नहीं हो सकी. नासा ने शुक्रवार को ही पहले नमूनों को हासिल करने के लिए खुदाई का काम शुरू किया, लेकिन पर्सिवियरेंस से आए संकेतों से पता चला है कि नमूने वाली नली में किसी भी तरह की धूल या चट्टान नहीं पहुंच सकी.
नासा की तस्वीर
नासा ने शुक्रवार को ही छेद वाले एक छोटे टीले की तस्वीरें जारी की है जो रोवर के पास की हैं. यह लाल ग्रह पर रोबोट से खोदा गया पहला गड्ढा है. नासा के साइंस मिशन डायरेक्टरेट के एसोसिएट प्रशासक थॉमस जुर्बुकेन ने बताया कि उनकी टीम को उस छेद की तलाश नहीं थी और नई जमीन को तोड़ना हमेशा ही जोखिम भरा होता है.
यह है उम्मीद
जुर्बुकेन ने विश्वास व्यक्त किया कि नासा के पास इस काम के लिए सही टीम हैं और वह इस समस्या से निपटने के लिए भरसक प्रयास करेंगे. नमूने जमा करने की प्रक्रिया के लिए खुदाई करना पहला कदम है. इसमें करीब 11 दिन का समय लगता है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य मंगल ग्रह पर पुरातन सूक्ष्मजदीवन के संकेतों का पता लगाना है जो पुरानी झीलों के निक्षेपों में संरक्षित हो गए होंगे.
कम से कम 20 ट्यूब भरी जाएंगी
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्रेटर में 3.5 अरब साल पुरानी झील के अवशेष मौजूद हैं जहां उस समय पृथ्वी के बाहर के जीवन के अनुकूल हालात होने की उम्मीद है. पर्सिवियरेंस के साथ 43 नमूना नलियां भेजी गई हैं और इस अभियान में कम से कम 20 नलियों को भरने की उम्मीद की जा रही है. मंगल की सतह पर खुदाई करने वाली भुजा करीब 2.1 मीटर लंबी है.
मिट्टी पहले भी कर चुकी है असामान्य बर्ताव
मंगल ग्रह की सतह की चट्टाने और जमीन असामान्य बर्ताव दिखा रही हैं. इससे पहले भी क्यूरियोसिटी रोवर को मंगल की सतह पर खुदाई करने में परेशानी हुई थी. वही नासा के इनसाइट लैंडर भी अपनी योजनाओं के अनुसार खुदाई नहीं कर सका था जहां धूल तो थी लेकिन वह कुछ चिपकने वाले गुणों के साथ थी जिसकी हमारे वैज्ञानिकों को आशा नहीं थी. इन अनुभवों को देखते हुए नासा के वैज्ञानिक पर्सिवियरेंस के अनुभव पर हैरान नहीं हुए हैं.


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