विज्ञान

धरती का इकलौता ज्वालामुखी जहां से निकलता है नीला लावा, ये है तेजाब की झील!

Rani Sahu
18 Jun 2022 5:49 PM GMT
धरती का इकलौता ज्वालामुखी जहां से निकलता है नीला लावा, ये है  तेजाब की झील!
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इंडोनेशिया (Indonesia) के जावा (Java) में बानयूवांगी रीजेंसी और बोंडोवोसो रीजेंसी की सीमा पर मौजूद है ऐसा ज्वालामुखी जो नीला लावा उगलता है

इंडोनेशिया (Indonesia) के जावा (Java) में बानयूवांगी रीजेंसी और बोंडोवोसो रीजेंसी की सीमा पर मौजूद है ऐसा ज्वालामुखी जो नीला लावा उगलता है. ये बेहद हैरान करने वाली प्राकृतिक घटना है. ये ज्वालामुखी अपनी चार चीजों के लिए जाना जाता है- पहला नीला लावा (Blue Lava), नीली आग, एसिडिक क्रेटर झील और सल्फर के खनन के लिए. इसका नाम है कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano).

कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) आखिरी बार 1999 में फटा था. लेकिन इससे निकलने वाला लावा इसे हमेशा वैज्ञानिकों की स्टडी का सेंटर बना कर रखता है. इस ज्वालामुखी का काल्डेरा (Caldera) करीब 20 किलोमीटर चौड़ा है. यहां पर कई पहाड़ों का एक कॉम्प्लेक्स है. जिसमें गुरुंग मेरापी स्ट्रैटोवॉल्कैनो सबसे भयावह है. यहीं से नीली आग और नीला लावा निकलता है. गुरुंग मेरापी यानी आग का पहाड़.
यहां पर एक क्रेटर है, जो करीब 1 किलोमीटर व्यास का है. यहां पर नीले रंग का पानी है, जो पूरी तरह से एसिडिक है. यानी तेजाब की झील है. लोग यहां से सल्फर का खनन करके ले जाते हैं. यहां सल्फर निकालने वाले मजदूरों को एक दिन का 13 डॉलर यानी 1013 रुपये मिलते हैं. क्योंकि लोग सल्फर के चंक को लेकर तीन किलोमीटर नीचे पाल्टूडिंग घाटी में उतरते हैं.
कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) का क्रेटर जहां से नीली आग और नीला लावा निकलता है, उसका व्यास 722 मीटर है. यह क्रेटर करीब 200 मीटर गहरा है. इस क्रेटर में सलफ्यूरिक एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा है. यहां मौजूद तेजाब की झील को दुनिया का सबसे बड़ा एसिडिक क्रेटर लेक माना जाता है. यहीं से एक धातुओं से संपूर्ण नदी भी निकलती है.
जब से इस क्रेटर के बारे में नेशनल जियोग्राफिक ने स्टोरी की, तब से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है. अब यहां पर लोग रात में माउंटेन हाइकिंग के लिए आते हैं, ताकि नीले रंग के लावे को निकलते या बहते हुए देख सकें. दो घंटे की ट्रैकिंग के बाद लोग ज्वालामुखी के क्रेटर की रिम तक पहुंच जाते हैं. फिर 45 मिनट की ट्रैकिंग के बाद नीचे मौजूद तेजाब की झील तक पहुंच जाते हैं.
इस ज्वालामुखी पर जाने वाले पर्यटकों को केमिकल मास्क लगाकर जाना होता है. नहीं तो सल्फर की गंध से उनकी तबियत खराब हो जाती है. सलफ्यूरिक गैस निकलने की वजह से यहां पर निकलने वाली आग नीली दिखती है. क्रेटर का तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. क्रेटर से निकलने वाली आग की लंबाई 16 फीट ऊंची होती है


Rani Sahu

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