विज्ञान

उलट रहा है पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, शोध ने बताई वजह

Gulabi
16 Sep 2021 1:31 PM GMT
उलट रहा है पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, शोध ने बताई वजह
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पता नहीं चला है उलटाव का कारण

पृथ्वी (Earth) की मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) में असामान्य बदलाव हो रहे हैं और उत्तरी ध्रुव (North Pole) का सिरा कनाडा से साइबेरिया की ओर खिसक रहा है. यह बात हमारे वैज्ञानिक पता कर चुके हैं और पिछले कई दशकों से इस पर नजर भी रखे हुए हैं. जहां मैग्नेटिक फील्ड धीरे धीरे कमजोर हो रही है वहीं . पिछले 200 सालों से भी ज्यादा के समय में चुंबकीय उत्तरी ध्रुव कनाडा के आर्कटिक से साइबेरिया की ओर जा रहा है. लेकिन बहुत धीरे चल रही यह प्रक्रिया हाल के दशकों में बहुत तेज हो गई है. ताजा अध्ययन में बताया गया है कि ध्रुवों का यह उलटाव अपने आप ही होता है.

पता नहीं चला है उलटाव का कारण
पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड उसके क्रोड़ में पिघले हुए लोहे की वजह से बनती है जो सतह के 2896 किलोमीटर नीचे स्थित है. इस अति गर्म तरल पदार्थ से विद्युत धाराएं पैदा होती हैं जिससे विद्युतचुंबकीय क्षेत्रों को निर्माण होता है. अभी तक के तमाम अध्ययनों से इस बदालव के कारकों के बारे में पता नहीं चल सका है, लेकिन वैज्ञानिक इसक कारणों को जानने का पूरा प्रयास करने में लगे हैं.
शोध ने बताई वजह
एस्ट्रोनॉमी मैग्जीन में प्रकाशित लेख के मुताबिक ग्रह गतिकी के कम्प्यूटर मॉडल के जरिए पता चला है कि पृथ्वी की ध्रुवों के उलटाव की प्रक्रिया स्वतः होती है. फिलहाल उत्तरी ध्रुव का दक्षिण की ओर जाने की गति 48 किलोमीटर प्रति वर्ष तक पहुंच गई है. इस असामान्य बर्ताव के कारणों की खोज में वैज्ञनिकों का ध्यान दो अतिविशाल चट्टानों पर गया है जो पृथ्वी की गहराई में है. ये एवरेस्ट पर्वत से लाखों गुना ज्यादा बड़ी हैं. इतना ही नहीं बाकी मैंटल के हिस्से की तुलना में ये उससे बहुत ही ज्यादा घनी और गर्म हैं.
क्या खलल डाल रही हैं चट्टानें
इस तरह की असामान्यता सुझाती हैं कि जब 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी से थिया नाम का पुरातन ग्रह टकराया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये चट्टानें उसी ग्रह के अवशेषों से बनी हैं और वे ही पिघले हुए लोहे के संवहन में खलल डाल रही हैं. और इसी वजह दक्षिण अटलांटिंक का मैग्नेटिक फील्ड कमजोर हो गया है.
बार बार होता है यह उलटाव
पृथ्वी की खुद की मैग्नेटिक फील्ड 4 अरब साल पहले बनी थी और उसके बाद से ही पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव कई बार बदल चुके हैं. मैग्नेटिक फील्ड में पिछले 26 लाख सालों में ही दस बार उलटाव हो चुके हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अब यह उलटाव फिर हो रहा है क्योंकि पिछले बार यह 7.8 लाख साल पहले हुआ था. इस उलटाव का ना तो अनुमान लगाया जा सकता है और ना ही यह नियमित है.
आग्नेय शैलों का विश्लेषण
एस्ट्रोनॉमी मैग्जीन के इस लेख के अनुसार शोधकर्ताओं ने आग्नेय शौलों का उपयोक कर पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड के इतिहास का नक्शा बनाया. जब लावा ठंडा होता है तो उसके अंदर का लोहे का चुबंतकत्वीकरण हो जाता है जिससे वह लोहा मैग्नेटिक फील्ड की दिशा के अनुसार अपनी जगह बना लेता है. वैज्ञानिकों ने इसी का विश्लेषण किया था.
रेडियोमैट्रिक डेटिंग तकनीक भी
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने रेडियोमैट्रिक डेटिंग तकनीक का उपयोग कर यह पता लगाया कि ग्रह की मैग्नेटिक फील्ड के बदलाव के पहले का बर्ताव क्या था. इन बदलावों में मैग्नेटिक फील्ड के मजबूत होने, कमजोर होने, यहां तक की ध्रुवीयता तक शामिल है. हाल के सालों में चुंबकीय बदलावों को जानने के लिए शोधकर्ताओं ने पुरातत्व शिल्पकृतियों के चुंबकीय गुणों का अध्ययन किया जिन्हें बनाते समय बहुत ही ज्यादा गर्म किया जाता था और उसके अंदर का लोहा तत्कालीन मैग्नेटिक फील्ड के मुताबिक ढल गया था.
इस बदलाव का हमारे नेविगेशन सिस्टम पर असर हो सकता है. वहीं पृथ्वी के मैग्नटिक फील्ड का उपयोग कर आवगमन करने वाले जीव भी इससे प्रभावित होंगे जिसमें व्हेल भी शामिल हैं. लेकिन काफी कुछ इस पर निर्भर करता है कि यह उलटाव कितने समय में पूरा हो पाता है. धीमा रहने पर यह हजारों साल का समय भी ले सकता है.
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