विज्ञान

जलवायु परिवर्तन की वजह से बदल रहा है पृथ्वी की वायुमंडल, बड़ा होता जा रहा है क्षोभमंडल

Rani Sahu
11 Nov 2021 10:14 AM GMT
जलवायु परिवर्तन की वजह से बदल रहा है पृथ्वी की वायुमंडल, बड़ा होता जा रहा है क्षोभमंडल
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दुनिया भर के नेता पिछले कुछ दिनों से जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के उपायों पर विचार कर रहे हैं

दुनिया भर के नेता पिछले कुछ दिनों से जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के उपायों पर विचार कर रहे हैं. आमतौर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming), पूरी पृथ्वी पर मौसम के चरम और अप्रत्याशित होना, ध्रुवों की बर्फ पिघलना, उससे महासागरों का जलस्तरों का बढ़ना आदि की ही चर्चा होती है. इन्हीं की वजह से जहां दुनिया के कई क्षेत्रों में तूफान, बाढ़ और भीषण गर्मी लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है तो कई तटीय शहरों के डूबने का भी खतरा होने लगा है. लेकिन इन प्रभावों के अलावा इसका असर वायुमंडल (Atmosphere) के आकार पर भी पड़ रहा है. नए अध्ययन में इसी के बारे में बताया गया है.

बड़ा होता जा रहा है क्षोभमंडल
जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित शोधपत्र में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने इस बात के प्रमाण पाए हैं कि क्षोभमंडल बड़ा और घना होता जा रहा है जिससे पिछले 40 सालों में क्षोभ सीमा की ऊंचाई एक निश्चित दर से बढ़ती जा रही है. इस अध्ययन में समूह ने अपना विश्लेषण मौसम का आंकलन करने वाले गुब्बारे और जीपीएस अवलोकनों के आंकड़ों के आधार पर किया.
क्यों खास होता है क्षोभमंडल
वायुमंडल की निचली परत क्षोभमंडल पृथ्वी के लिए बहुत प्रमुख परत जिसमें जीवों का सांस लेना संभव हो पाता है. यही एक परत है जिसमें मौसमी परिवर्तन होते हैं. इसके ऊपर की सीमा समतापमंडल और क्षोभमंडल को अलग करती है जिसे क्षोभ सीमा या ट्रोपोस्फियर कहते हैं. इस सदी की शुरुआत में बहुत सारे अध्ययनों में मौसमी गुब्बारों का अध्ययन किया गया.
काफी समय से बढ़ रहा है क्षोभमंडल
इन्हीं अध्ययनों से पता चला कि क्षोभमंडल की मोटाई साल 1980 से 2000 के दौरान बढ़ रही थी जिससे क्षोभसीमा और भी ज्यादा ऊपर की ओर जाने लगी थी. टीम का कहना है कि इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग ही है. इसी दौरान बहुत सारी समूहों ने अलग अलग जलवायु मॉडलों का उपयोग कर यह जानने का प्रयास किया कि क्या क्षोभमंडल की परत मोटी होती जा रही है.
जीपीएस के भी आंकड़े
अब तक इन मॉडलों के असंगतता के कारण शोधकर्ता इस मामले में कोई नतीजा नहीं निकाल सके थे. लेकिन इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इसी विषय पर शोध किया और इस बार जीपीएस के आंकड़े निकाले और उनका अध्ययन करने पर पता लगाया कि पिछले 20 साल में क्षोभसीमा में क्या बदलाव आए.
हर साल कितनी हो रही है बढ़त
क्षोभमंडल और क्षोभ सीमाओं में और ज्यादा संभावित बदालवों के बारे में जानने के लिए शोधकर्ताओं ने बहुत सी चल रही परियोजनाओं से मौसमी गुब्बारों और जीपीएस डेटाबेस के आंकड़े लिए और उनका विश्लेषण कर क्षोभमंडल की मोटाई नापी और यह भी पाया कि उत्तरी गोलार्द्ध के ऊपर क्षोभसीमा की ऊंचाई हर दशक में करीबन 50 से 60 मीटर बढ़ रही है.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि यह मात्रा वहीं है जो साल 2000 में अध्ययन कर रहे शोधकर्ताओं ने पता लगाई थी. इन पड़तालों से पता चला कि हमारा ग्रह पिछले 40 सालों में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण गर्म होता जा रहा है और इसकी वजह से क्षोभमंडल लगातार बढ़ता जा रहा है, यानि मोटा होता जा रहा है.
शोधकर्ताओं ने इसके लिए दूसरी प्राकृतिक घटनाओं को भी अपने अध्ययन में शामिल किया है. इन घटनाओं में ज्वालामुखी उत्सर्जन और अल नीनो जैसी घटनाएं भी है, लेकिन वे दूसरे अन्य स्रोतों का पता नहीं लगा सके. बढ़ती वजह से गैसों का आयतन भी बढ़ता है जिससे माना जा सकता है कि वायुमंडल का खास तौर पर क्षोभमंडल के विस्तार का यही कारण होगा.


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