विज्ञान

मंगल ग्रह पर उल्कापिंड की टक्कर से कांपी जमीन, NASA ने जारी किया ऑडियो

Subhi
29 Oct 2022 3:10 AM GMT
मंगल ग्रह पर उल्कापिंड की टक्कर से कांपी जमीन, NASA ने जारी किया ऑडियो
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मंगल ग्रह का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने गुरुवार को पिछले साल मिले एक क्रिसमस गिफ्ट को लेकर खुलासा किया है। दरअसल 24 दिसंबर 2021 को एक उल्कापिंड मंगल की सतह से टकराया था।

मंगल ग्रह का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने गुरुवार को पिछले साल मिले एक क्रिसमस गिफ्ट को लेकर खुलासा किया है। दरअसल 24 दिसंबर 2021 को एक उल्कापिंड मंगल की सतह से टकराया था। ये टक्कर इतनी भयानक थी की 4 रेक्टर स्केल की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। चार साल पहले मंगल की सतह पर उतरे नासा के इनसाइट अंतरिक्ष यान ने इसका पता लगाया है। जिस जगह पर उल्कापिंड गिरा और जहां नासा का इनसाइट अंतरिक्ष यान है उसके बीच 3,500 किमी की दूरी है।

मंगल ग्रह पर महसूस होने वाले झटके को अंग्रेजी में मार्सक्वेक कहते हैं। उल्कापिंड की टक्कर के बारे में पुष्टि नासा के मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (MRO) ने की। टक्कर के 24 घंटे बाद ऑर्बिटर ने नए बने क्रेटर की तस्वीर ली। इस तस्वीर में दिख रहा है कि उल्कापिंड गिरने से 150 मीटर चौड़ा और 21 मीटर गहरा क्रेटर बन गया। क्रेटर के आस-पास बर्फ देखने को मिली है। 16 साल पहले MRO ने मंगल ग्रह की परिक्रमा शुरू की थी। तब से लेकर अब तक ये सबसे बड़ा क्रेटर बना है।

कितना बड़ा था उल्कापिंड

इनसाइट और MRO मिशन पर काम करने वाले इंग्रिड डाबर ने गुरुवार को कहा कि मंगल ग्रह पर उल्कापिंड का प्रभाव दुर्लभ नहीं है, हमने कभी नहीं सोचा था कि हम कभी इतना बड़ा कुछ देखेंगे। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ये उल्कापिंड 16 से 39 फीट के बीच आकार का रहा होगा। इस आकार की कोई चीज अगर पृथ्वी की ओर बढ़ती है तो वह वायुमंडल में ही जल कर खत्म हो जाती है। ग्रह विज्ञान के प्रोफेसर फिलिप लोगोन ने गुरुवार कहा कि जब से विज्ञान ने सिस्मोग्राफ के जरिए झटके नापे हैं, तब से लेकर अब तक ये सबसे बड़ा उल्कापिंड प्रभाव है।

नासा ने जारी किया ऑडियो

नासा ने इस टक्कर की एक ऑडियो रेकॉर्डिंग जारी की है, जो सीस्मोमीटर द्वारा इकट्ठा किए गए वाइब्रेशन से बनाई गई है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस टक्कर से मंगल ग्रह के आंतरिक भाग, ग्रह के निर्माण के इतिहास के बारे में गहन जानकारी मिलेगी। सबसे ज्यादा हैरानी टक्कर के बाद मिली बर्फ को लेकर है। वैज्ञानिकों का मानना है, कि ये बर्फ पानी में बदल कर वायुमंडल में गैस बनेगी।


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