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हमारे सौरमंडल (Solar System) से बाहर गैलेक्सी में सुदूर बहुत से ऐसे बाह्यग्रह (Exoplanet) का अध्ययन कई रहस्य उजागर कर सकता है
हमारे सौरमंडल (Solar System) से बाहर गैलेक्सी में सुदूर बहुत से ऐसे बाह्यग्रह (Exoplanet) का अध्ययन कई रहस्य उजागर कर सकता है. इनके अध्ययन से हमारे वैज्ञानिकों को ग्रह निर्माण और उनकी कई प्रक्रियाओं की जानकारी मिल सकती है. इसमें कुछ ग्रह ऐसी अवस्था में हो सकते हैं जो कभी पृथ्वी (Earth) की रही होगी. तो कुछ उन प्रक्रियाओं को पैदा कर रहे होंगे जो आज भी पृथ्वी पर जारी हैं. इसी उम्मीद से अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक बड़े बाह्यग्रह के वायुमंडल का विश्लेषण किया है. इसमें उन्होंने पाया है कि उस ग्रह के वायुमंडल में भी अलग अलग विशेषताओं वाली परतें हैं.
गुरु के आकार की तरह गर्म बाह्यग्रह
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की इस टीम में स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी की अगुआई में बर्न यूनिवर्सिटी, जेनेवा यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्पीटेंस इन रिसर्च (NCCR) प्लैनेटएस के शोधकर्ताओं ने ऐसे बाह्यग्रह के वायुमंडल का विस्तार से अध्ययन किया जो अब तक सबसे ज्यादा चरम ग्रह था यानि गुरु के आकार का एक गर्म ग्रह है.
अलग अलग गुणों वाली परतें
शोधकर्ताओं ने CHEOPS स्पेस टेलीस्कोप की मदद से इस ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन किया जिससे खगोलविदों को पृथ्वी सहित बहुत से ग्रहों और बाह्यग्रहों की जटिलताएं समझ में आ सकती हैं. नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इस अध्ययन में पहली बार दर्शाया गया कि किसी ज्ञात चरम ग्रह के वायुमंडल की अलग अलग विशेषताओं के साथ परतें हैं.
पृथ्वी पर भी ऐसा ही
गौरतलब है की पृथ्वी के वायुमंडल में भी कई परते हैं. और हर परत के अलग अलग गुण भी हैं. महसागारों की सतह से लेकर पर्वतों की ऊंचाई तक की परत क्षोभमंडल कहलाती है. इसी परत में पानी वाष्प अवस्था में मौजूद रह सकता है. इसी में सभी मौसमी परिवर्तन होते है. वहीं इससे ऊपर की परत समतापमंडल में मशहूर ओजोन पर भी है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है.
अपने तारे के बहुत करीब
शोधकर्ताओं ने हमारे सौरमंडल से बाहर WASP189b ग्रह का अध्ययन किया जो पृथ्वी से 322 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है. चिओप्स स्पेस टेलीस्कोप के साल 2020 के गहन अवलोकनों से खुलासा हुआ की यह ग्रह अपने तारे से हमारे सूर्य-पृथ्वी की दूरी की 20 गुना ज्यादा पास है. इसका दिन का तापमान 3200 डिग्री सेल्सियस है.
वायुमंडल से गुजरने वाले प्रकाश ने दिए संकेत
चिली की ला सिला वेधशाला के हार्प्स (HARPS) स्पैक्ट्रोग्राफ की हालिया पड़तालों से शोधकर्ताओं को पहली बार गुरु जैसे इस विशाल ग्रह के वायुमंडल को नजदीक से देखने का मौका मिला. शोधकर्ताओं ने इस ग्रह के तारे से आने वाले और ग्रह के वायुमंडल से गुजरने वाले प्रकाश का मापन किया. वैसे ही संकेत पाए जो पृथ्वी की ओजोन परत के कारण गुरजने वाले प्रकाश के संकेत होते हैं.
एक खास गैस भी
इस ग्रह के वायुमंडल के अध्ययन ने शोधकर्ताओं ने रोचक बात यह पाई कि उन्हें इस ग्रह पर टाइटेनियम ऑक्साइड के होने के संकेत दिखाई दिए हैं. यह पदार्थ पृथ्वी पर बहुत ही दुर्लभ पदार्थ माना जाता है. लेकिन WASP-189b के वायुमंडल में इसकी अहम भूमिका हो सकती है. इसकी इस ग्रह पर वही काम हो सकता है जो पृथ्वी पर ओजन परत करती है.
शोधकर्ताओं को WASP-189b के वायुमंडल में उम्मीद से अलग तरह के संकेत देखने को मिले हैं. शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण के नतीजों में पाया है कि इस ग्रह पर अलग अलग विशेषताओं वाली परतें होनी चाहिए. जैसे पृथ्वी पर पानी की भाप और ओजोन अलग अलग परतों पर होती है. इन नतीजों से खगोलविदों का बाह्यग्रहों के अध्ययन का तरीका बदल जाएगा क्योंकि अभी तक यही माना जाता रहा है कि बाह्यग्रहों का वायुमंडल एक ही समान परत का होता है.
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