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- खत्म हो जाएंगे पृथ्वी...

हमारा सौरमंडल (Solar System) बहुत ही अनोखा है. इस तरह का सौरमंडल अभी तक ज्ञात ब्रह्माण्ड में खगोविदों को कहीं नहीं मिल सका है. इस सौरमंडल में पृथ्वी जैसा ग्रह है जहां जीवन है. लेकिन इस सौरमंडल में इससे भी अनोखी बातें हैं. इनमें से एक है इसके ग्रहों की कक्षाओं का संतुलन जिसे बनाए रखने के लिए सूर्य के अलावा बड़े छोटे सभी पिंडों की भूमिका है. नए अध्ययन में बताया गया है कि अगर सौरमंडल के पास से गुजरते तारे नेप्च्यून की कक्षा (Neptune orbit) में खास बदलाव कर दिए तो पृथ्वी सहित पूरा सौरमंडल तक खत्म हो सकता है.
सौरमंडल की स्थिरता
सौरमंडल की स्थिरता में सूर्य के अलावा कई ग्रह और अन्य पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल का भी योगादान है. मिसाल के तौर पर गुरु ग्रह, जो कि सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, क्षुद्रग्रहों और उल्कापिंडों को अपनी कक्षा में बनने रहने की वजह बना हुआ है तो वहीं बुध ग्रह इतनी तेजी से घूमता है जिससे वह सूर्य में जाकर नहीं मिल पाता है. लेकिन सौरमडंल को सबसे ज्यादा प्रभावित कोई ग्रह कर सकता है तो वह सबसे दूर का ग्रह नेप्च्यून ग्रह है.
नेप्च्यून एक कमजोर कड़ी
नेप्च्यून का गुरुत्वाकर्षण बल हमारे सौरमंडल के तंत्र को बहुत ज्यादा प्रभावित तो नहीं करता, लेकिन वह इस तंत्र का सबसे कमजोर ग्रह है. रोचक बात यह है कि नेप्च्यून का ग्रह ही नहीं बल्कि उसकी कक्षा को लेकर ही खगोलविदों में काफी कौतूहल है. उसकी कक्षा का प्रभाव यूरेनस और अंदर के कुछ अन्य ग्रहों पर भी पड़ता है.
अगर अचानक गायब हो जाए नेप्च्यून
दिलचस्प बात यह है कि अगर नेप्चयून सौरमंडल से अचानक गायब भी हो जाए तो इससे सौरमंडल को कोई बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. प्लूटो की कक्षा में बदलाव आ सकता है, यूरेनस की क्षा भी बदल सकती है और शनि की कक्षा की ओर जा सकती है. और तो और बाकी ग्रह इतनी दूर हैं कि वहां से इन बदलावों को आसानी से नहीं पहचाना जा सकेगा.
इस समय सौरमंडल (Solar System) में एक संतुलन संतुलन की स्थिति में है जो नेप्च्यून की कक्षा बदलने से बिगड़ सकता है. (फाइल फोटो)
और अगर कोई तारा गुजरे तो
लेकिन अगर हालात थोड़े अलग हो जाएं यानि अगर सौरमंडल के पास से कोई तारा गुजर जाए तो इसका सबसे पहले नेप्च्यून पर ही असर होगा. न्यू साइंटिस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर पास से गुजरने वाला इस तरह का तारा नेप्च्यून को उसकी कक्षा से खींच ले तो इस घटना के कारण होने वाले एक के बाद एक नतीजे सौरमंडल में बड़ी अस्थिरता लाने वाले साबित होंगे.
तारे का प्रभाव और आकार?
इस तारे के गुजरने से नेप्च्यून पर कितना असर होगा यह तारे के गुरुत्व पर भी निर्भर करता है. फिर भी तारे के गुरुत्व का असर सूर्य के क्रोड़ पर भी होगा और धीरे धीरे ग्रहों की कक्षाएं भी बदलने लगेंगी. यहां दो बातें खास हैं. एक तो यह तारा सूर्य जितना या उससे बड़ा हो जरूरी नहीं है और दूसरा यह इतना छोटा होगा कि हमें शायद वह दिखाई तक नहीं दे.
3000 सिम्यूलेशन
टोरेंटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक गैरेट ब्राउन और हानो रेइन ने अपने अध्ययन में इन स्थितियों को विश्लेषण पेश किया है जो उन्होंने 3000 सिम्यूलेशन के आधार पर किया है जिसमें तारे के पास से गुजरने से 4.8 अरब साल तक के प्रभावों को शामिल किया है. उन्होंने कई सिम्यूलेशन में पाया कि वे किसी ग्रह के सौरमंडल के बाहर चला जा सकता है.
शोधकर्ताओं को चौंकाने वाला नतीजा यह मिला कि अगर सूर्य और नेप्च्यून के बीच की दूरी में केवल 0.1 प्रतिशत बदलाव ही आया तो पूरे सौरमंडल में अफरातफरी मच जाएगी. और ऐसा केवल किसी तारे के सूर्य से 23 अरब मील दूरी तक आने पर होगा. न्यू साइंटिस्ट में प्रकाशित इस शोध में वैज्ञानिकों ने बताया कि सौरमंडल के इस तरह से नष्ट होने की प्रक्रिया में भी अरबों साल का समय लगा जाएगा.