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विज्ञान
एक नई स्टडी में हुआ खुलासा, अंतरिक्ष से पृथ्वी पर गिरती है धूल
Apurva Srivastav
22 April 2021 6:20 PM GMT
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पृथ्वी पर बाहरी अंतरिक्ष से धूल, पत्थर और उल्कापिंड जैसी चीजें गिरती रहती हैं
पृथ्वी (Earth) पर बाहरी अंतरिक्ष (Outer Space) से धूल, पत्थर और उल्कापिंड (Meteorite) जैसी चीजें गिरती रहती हैं. लेकिन ये पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते ही नष्ट हो जाती हैं और धूल (Dust) के रूप में धरती पर गिर जाती है. वहीं, अब पृथ्वी पर गिरने वाली इस धूल को लेकर एक स्टडी की गई है, जिसमें चौंकाने वाला दावा किया गया है. इस स्टडी में कहा गया है कि हर साल 5,200 टन (4,700 मीट्रिक टन) अंतरिक्ष की धूल (Space Dust) पृथ्वी की सतह तक पहुंचती है.
इस स्टडी के नतीजों से पता चलता है कि यूनिवर्स की धूल पृथ्वी पर बाहरी दुनिया की सामग्री का मुख्य स्रोत है, जो उल्कापिंडों जैसी चीजों के जरिए धरती पर पहुंचता है. इसमें बताया गया है कि हर साल करीब 10 टन के करीब बाहरी दुनिया की धूल और चीजें उल्कापिंडों के जरिए पृथ्वी की सतह तक आती हैं. इस जानकारी के जरिए वैज्ञानिकों को ये समझने में मदद मिल सकती है कि युवा पृथ्वी के बनने के इतिहास में इसे पानी और कार्बन के मॉलिक्यूल किस तरह बाहरी दुनिया की धूल के जरिए मिले.अंटार्कटिका में रिसर्च कर रहे हैं वैज्ञानिक
अंतरिक्ष के धूल के कणों को ढूंढ़ना आसान काम बिल्कुल भी नहीं है. सबसे पहले आपको माइक्रो उल्कापिंड ढूढ़ने पड़ेंगे, जो मिलीमीटर साइज के दसवें और सौवे हिस्से के बराबर होते हैं. वैज्ञानिक इसके लिए अंटार्कटिका में जाकर रिसर्च कर रहे हैं. पिछले 20 सालों से फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (CNRS) के भौतिक वैज्ञानिक जीन दुपराट ने फ्रेंको-इतालवी कॉनकॉर्डिया स्टेशन (Dome C) पर छह शोध अभियानों का नेतृत्व किया है. Dome C अंटार्कटिका के एडिले लैंड तट से 1100 किलोमीटर दूर स्थित एक जगह है.
दो दशकों तक जमा किया गया माइक्रो उल्कापिंड, फिर नतीजे पर पहुंचे वैज्ञानिक
CNRS के बयान के अनुसार, Dome C एरिया में बर्फबारी की कम दर और प्राचीन हिमपात की स्थिति की वजह से अंतरिक्ष की धूल को ढूंढ़ना काफी आसान है. रिसर्च स्टेशन के ऊपर स्थित 6.5 फीट (2 मीटर) से अधिक गहरी खाइयों से टीम ने शुद्ध बर्फ के नमूने जमा किए. इस बात का भी ख्याल रखा गया कि ये मानव के संपर्क में नहीं आई हो. पिछले दो दशकों से वैज्ञानिकों ने इतने माइक्रो उल्कापिंड जमा कर लिए हैं, जिनसे ये जाना जा सके कि हर साल पृथ्वी पर बाहरी अंतरिक्ष से कितनी धूल गिरती है.
जूपिटर के कॉमेट की वजह पृथ्वी पर आती है ज्यादा धूल
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि कुल 15,000 टन (13,600 मीट्रिक टन) अंतरिक्ष की धूल पृथ्वी पर हर साल गिरती है. हालांकि पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के दौरान ये अधिकतर जल जाती है और रास्ते में खो जाती है. इस तरह कुल मिलाकर हर साल हमारे ग्रह की सतह पर 5,200 टन (4,700 मीट्रिक टन) अंतरिक्ष की धूल गिरती है. अधिकांश (करीब 80 फीसदी) अंतरिक्ष की धूल जूपिटर ग्रह के कॉमेट की वजह से पृथ्वी की ओर आती है.
Apurva Srivastav
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