विज्ञान

Heat waves के कारण कम हो सकती है पक्षियों की जनसंख्या

Subhi
3 July 2022 2:53 AM GMT
Heat waves के कारण कम हो सकती है पक्षियों की जनसंख्या
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ग्रीष्म लहर के प्रभावों को लेकर एक पर्यावरणीय अध्ययन में पक्षियों पर शोध किया है. इसमें गर्मी का पक्षियों के के बर्ताव और उनके शरीर क्रिया विज्ञान पर क्या असर होता है

ग्रीष्म लहर (Heat Waves) के प्रभावों को लेकर एक पर्यावरणीय अध्ययन में पक्षियों पर शोध किया है. इसमें गर्मी का पक्षियों (Birds) के के बर्ताव और उनके शरीर क्रिया विज्ञान पर क्या असर होता है इसकी पड़ताल की गई है. इस अध्ययन में पाया गया है कि गर्मी ने जेबरा फिंच (Zebra Finches) पक्षियों के टेस्टिस की तो सैकड़ों जीन्स की गतिविधियों पर असर डाला है, लेकिन मस्तिष्क को कम प्रभावित किया है. इससे पता चलता है कि मस्तिष्क गर्मी पर कम प्रतिक्रिया करता है. यह अध्ययन पक्षियों के जलवायु परिवर्तन का सामना करने की क्षमता के बारे में भी जानकारी देने वाला साबित हुआ है.

इस अध्ययन कि पहली लेखक और शिकागो की लोयोला यूनिवर्सिटी में एसिस्टेंट प्रोफेसर सारा लिप्शूत्ज ने बताया कि गर्मी के बर्ताव संबंधी और शरीरक्रिया विज्ञान संबंधी प्रभावों की अधिकांश जानकारी हमें पानी के जीवों या फिर धरती के ठंडे खून के जीवों से मिलती हैं, लेकिन ग्रीष्म लहर (Heat Waves) धरती के स्तनपायी जानवरों (Mammals) और पक्षियों के लिए भी बड़ी समस्या हो सकती है. खासतौर पर यदि गर्मी उनके प्रजनन (Reproduction) अंगों के खास हिस्सों को प्रभावित करे तब ऐसा ज्यादा समस्याकारक हो सकता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि हम जानना चाहते थे कि इन समस्याओं से कैसे निपटा जाए, यह समझने के लिए यह समझना जरूरी है कि यह कैसे होता है. ग्रीष्म लहरें (Heat Waves) गर्म खून के जानवरों के लिए घातक साबित हो सकती है लेकिन हाल ही में हए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर हुए अध्ययनों में उन पर बर्ताव संबंधी और शरीरविज्ञानसंबंधी एक तरह से गायब पाए गए हैं. शोधकर्ता गर्मी के कुछ कम घातक प्रभावों के बारे जानना चाहते थे जो जानवरों (Animals) को नहीं मारते हैं लेकिन उनका जलवायु परिवर्तन के अनुसार ढलने या बदलने की क्षमता पर असर होता है.

लिप्शूत्ज और उसके साथियों ने जेबरा फिंचों (Zebra Finches) को चार घंटे के हीट चैलेंज का सामना कराया. इसमें जंगली पक्षी वही अनुभव करते हैं जो ग्रीष्मकाल के दिनों में दोपहर के समय की गर्मी में करते हैं. जेबरा फिंच को अध्ययन के लिए इसलिए चुना गया क्योकि गाने वाले पक्षी अपने मूल निवास ऑस्ट्रेलिया (Australia) में भीषण गर्मी के तापमान के उतार चढ़ाव का सामना करते हैं. टीम गर्मी का इन पक्षियों के तापमान नियंत्रण करने वाले बर्ताव का मापन किया और विशेष तौर पर यह जानने का प्रयासकिया कि गर्मी ने उनके टेस्टिस यानि प्रजनन (Reproduction) संबंधी ऊतकों की जीन गतिविधि को कितना बदला.

इसके साथ ही उन्होंने जेबरा फिंच (Zebra Finches) के मस्तिष्क (Brain) के उस हिस्से पर भी प्रभाव का अध्ययन किया जो गाने की क्रिया को नियंत्रित करता है जो साथी पक्षियों (Birds) को आकर्षित करने के बर्ताव को प्रभावित करता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्मी टेस्टिस के सैंकड़ों जीन्स की गतिविधियों बदलाव करता है लेकिन दिमाग पर कम असर डालता है. इससे पता चला है कि मस्तिष्क चरम तापमान में कम प्रतिक्रिया देता है. शोधकर्ताओं ने दिमाग को प्रभावित करने वाले डोपामाइन संबंधी संकेतों के भी प्रमाण पाए. इससे पता चला कि कम घातक गर्मी भी पक्षियों में प्रजनन क्षमता में बदलाव ला सकती है. यानि अगर वे सही तरह से गा नहीं सकेत हैं तो वे प्रजनन भी नहीं कर सकेंगे. पिछले कुछ दशकों में पक्षियों (Birds) की जनसंख्या नाटकीय तरीके से गिर रही है. पिछले अध्ययन सुझाते हैं कि गर्मी की(Summer) दिनों में गाना गाने वाले पक्षी कम गाते हैं इससे पता चलता है कि गर्मी कैसे इन पक्षियों की जनसंख्या में गिरावट (Population Decline) में योगदान दे रही है. गर्मी उनके टेस्टिस केसाथ साथ गाना गाने वाले दिमाग के हिस्से को भी प्रभावित कर रही है और उनके स्पर्म उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ रहा है.

इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि पक्षियों (Birds) में जलवायु परिवर्तन (Climate change) के खतरे से निपटने की एक क्षमता भी है. वे नर जो हीट चैलेंज के दौरान जल्दी हांफने लगे थे उनके मस्तिष्क (Brain) और टेस्टिस की जीन गतिविधि पर सीमित प्रभाव पड़ा. शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ पक्षियों ने गर्मी के प्रति बेहतर ऊष्मानियंत्रण बर्ताव का उपयोग दर्शाया. लिप्शूत्ज के मताबिक अध्ययन के नतीजों का गर्म होती दुनिया में प्रजनन चयन पर हो रहे बर्ताव को दर्शाता है.

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