विज्ञान

मिसाइल के जैसे ही लॉन्च किए जाएंगे ड्रोन, जानें इण्डिया वायुसेना की तैयारी

Tara Tandi
4 Sep 2021 12:33 PM GMT
मिसाइल के जैसे ही लॉन्च किए जाएंगे ड्रोन, जानें इण्डिया वायुसेना की तैयारी
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भारतीय वायुसेना द्वारा दुश्मनों पर किए जाने वाले हवाई हमलों के बारे में तो आपने सुना ही होगा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| भारतीय वायुसेना द्वारा दुश्मनों पर किए जाने वाले हवाई हमलों के बारे में तो आपने सुना ही होगा. अब मिसाइल की तरह हवा से ही ड्रोन भी लॉन्च किए जा सकेंगे. ये ड्रोन मानवरहित होंगे, जिन्हें वायुसेना हवा से ही लॉन्च करेगी. भारतीय वायुसेना ने इस दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है. भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रालयों ने इस संबंध में एक परियोजना समझौते (PA) पर हस्ताक्षर किए हैं.

दरअसल, हवा से लॉन्च किए जाने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करने के लिए भारत और अमेरिका ने एक समझौता किया है. दोनों देश द्विपक्षीय रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DDTI) के समग्र ढांचे के तहत 11 मिलियन डॉलर की प्रारंभिक लागत पर प्रोटोटाइप एएलयूएवी (AL UAV Prototype) विकसित करने के लिए काम करेंगे.

एएलयूएवी को हवा से किया जाएगा लॉन्च

PBNS की रिपोर्ट के अनुसार, इस तकनीक में मिसाइल की तरह एएलयूएवी को भी विमान पर ले जाकर हवा से लॉन्च किया जा सकेगा. इसमें मूल रूप से एएलयूएवी को एक विमान पर मिसाइल की तरह ले जाया जाएगा और पारंपरिक यूएवी के बजाय हवा से लॉन्च किया जाएगा. भारत और अमेरिका एयर-लॉन्च किए गए छोटे एरियल सिस्टम या ड्रोन स्वार्म पर भी चर्चा कर रहे हैं. मानव रहित विमानों में ड्रोन आदि भी शामिल हैं.

भारतीय वायु सेना की तरफ से उप वायुसेना प्रमुख (योजना) एयर वाइस मार्शल नरमदेश्वर तिवारी और अमेरिकी वायु सेना की तरफ से एयर फोर्स सेक्योरिटी असिस्टेंस एंड कोऑपरेशन डायरेक्टोरेट के निदेशक ब्रिगेडियर जनरल ब्रायन आर ब्रकबॉवर ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. दोनों अधिकारी डीटीटीआई के तहत गठित संयुक्त कार्य समूह के सह अध्यक्ष हैं.

काफी पुराना है यह समग्र समझौता

इस समझौता ज्ञापन पर सबसे पहले जनवरी, 2006 में हस्ताक्षर किए गए थे. इसके बाद 2012 में लॉन्च की गई यह परियोजना परवान नहीं चढ़ सकी थी. इसलिए जनवरी, 2015 को फिर समझौते का नवीनीकरण किया गया था. अब फिर से किया गया यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को और गहन बनाने की एक महत्वपूर्ण पहल है.

यह समझौता रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DDTI) के हवाले से संयुक्त वायु प्रणाली कार्य समूह के तहत किया गया है। भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रालयों के बीच हुए अनुसंधान, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन (आरडीटी-एंड-ई) समझौते के दायरे में एएलयूएवी को रखा गया है.

डिजाइन और परीक्षण में सहयोग करेंगे वायुसेना और DRDO

परियोजना समझौते में अमेरिका की एयरफोर्स रिसर्च लैबोरेट्री (AFRL), भारतीय वायु सेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बीच सहयोग का खाका शामिल किया गया है. इसके तहत एएलयूएवी प्रोटोटाइप का डिजाइन तैयार करके उसका विकास, परीक्षण तथा मूल्यांकन किया जायेगा. डीआरडीओ की लैब वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) और एएफआरएल के तहत एयरोस्पेस सिस्टम्स डायरेक्टोरेट, भारतीय और अमेरिकी वायु सेना इस परियोजना-समझौते को क्रियान्वित करने वाले मुख्य संगठन होंगे.

देश की बड़ी उपलब्धि

डीटीटीआई का मुख्य लक्ष्य सहयोगात्मक प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान और भारत और अमेरिकी सेना के लिए भावी प्रौद्योगिकियों के सह-उत्पादन और सह-विकास पर लगातार जोर देना है. डीटीटीआई के अंतर्गत थल, जल, वायु और विमान वाहक पोतों की प्रौद्योगिकियों के सम्बंध में एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया है, ताकि इन क्षेत्रों में आपसी चर्चा के बाद मंजूर होने वाली परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा सके. एएलयूएवी के बारे में किया गया परियोजना समझौता वायु प्रणालियों से जुड़े संयुक्त कार्य समूह के दायरे में आता है0 यह डीटीटीआई की एक बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है.

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