विज्ञान

Agni-V मिसाइल के परीक्षण DRDO ने किया खंडन, डी सतीश रेड्डीकहा - अगले 20 दिन तक ओपन टेस्‍ट का कोई प्‍लान नहीं

Rani Sahu
23 Sep 2021 5:53 PM GMT
Agni-V मिसाइल के परीक्षण DRDO ने किया खंडन, डी सतीश रेड्डीकहा - अगले 20 दिन तक ओपन टेस्‍ट का कोई प्‍लान नहीं
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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने गुरुवार को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-V के संभावित परीक्षण संबंधी खबरों का खंडन किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने गुरुवार को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-V के संभावित परीक्षण संबंधी खबरों का खंडन किया. डीआरडीओ के प्रमुख डी सतीश रेड्डी ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि अगले 20 दिनों तक परमाणु सक्षम मिसाइल अग्नि-V का परीक्षण करने की कोई योजना नहीं है. पिछले साल ही अग्नि-V मिसाइल का परीक्षण होना था. लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया था.

अग्नि-5 आईसीबीएम को डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है. इसका वजन करीब 50,000 किलोग्राम है. मिसाइल 1.75 मीटर लंबी और जिसका व्यास 2 मीटर है. यह मिसाइल डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है. इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा. अग्नि-5 को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल भी बेहद आसान है. इस मिसाइल की रेंज 5 हजार किलोमीटर है. अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम है. ये मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) से लैस है. यह एक साथ कई ठिकानों को तबाह करने वाला अचूक ब्रह्मास्त्र है.
अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है. ये भारत के पास मौजूद लंबी दूरी की मिसाइलों में से एक है. डीआरडीओ ने अग्नि सीरीज की जिस मिसाइल को 2008 में डेवलप करना शुरू किया था. उसका सॉलिड फ्यूल टेस्ट पहली बार 2012 में किया गया. उसके बाद 2013, 2015, 2016 और 2018 में हुए हर टेस्ट में इसकी नई ताकत सामने आती रही.
अग्नि-5 को तैयार करने का आधार बनी अग्नि-3
एक्सपर्ट्स के मुताबिक अग्नि फाइव को डेवलप करने का आधार बना है अग्नि 3. जिसमें पहले और दूसरे स्टेज के मोटर एक जैसे ही लगे हैं. लेकिन अग्नि फाइव में तीसरे स्टेज का मोटर बदल गया है. जिसने इसे बाकी मिसाइलों से अलग बना दिया है. यहां तक कि इसे रोड मोबाइल लांचर से भी लांच किया जा सकता है. जिससे तत्काल हमला करना मुमकिन है. इसकी लंबाई 17.5 मीटर, 2 मीटर की परिधि, 50000 किलोग्राम लॉन्च वेट और 1550 किलोग्राम पेलोड वाले इस ब्रह्मास्त्र को एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम से भी इंटरसेप्ट कर पाना मुश्किल है.
भारत को अग्नि फाइव के टेस्ट से रोकने के लिए चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1172 की दुहाई भी दे रहा है. जो भारत पाकिस्तान के बीच आर्म रेस को रोकने के लिए पारित किया गया था. क्योंकि चीन जानता है कि जो ताकत खुद उसके अलावा अमेरिका, रूस, फ्रांस और उत्तर कोरिया जैसे देशों के पास ही है. वो अब भारत के पास भी है.


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