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ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में जीवाश्म वैज्ञानिकों के हाथ कुछ ऐसे जीवाश्म लगे हैं जो असली ड्रैगन के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में जीवाश्म वैज्ञानिकों के हाथ कुछ ऐसे जीवाश्म लगे हैं जो असली ड्रैगन के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं। यह उतना ही शानदार है जितना सुनने में लगता है। एक जीवाश्म वैज्ञानिक और रिसर्च के वरिष्ठ लेखक टिम रिचर्ड्स ने जीव के जबड़े के जीवाश्म की जांच की और पाया कि यह ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा उड़ने वाला सरीसृप था।
23 फीट तक फैला सकता था पंख
माना जाता है कि Thapunngaka Shawi नाम का टेरोसॉर 105 मिलियन यानी करीब 10 करोड़ 50 लाख साल पहले क्वींसलैंड के आसमान में उड़ता था। इसका मुंह भाले जैसा था और यह 23 फीट तक अपने पंख फैला सकता था। टिम ने कहा कि टेरोसॉर की 3 फीट लंबी खोपड़ी थी जो लंबी गर्दन और दो लंबे पंखों से जुड़ी थी। उन्होंने कहा कि खोपड़ी में करीब 40 दांत थे जो ऑस्ट्रेलिया के एरोमंगा सागर में मछलियों को पकड़ने के लिए एकदम सही थे।
जीवाश्म देख वैज्ञानिक चौंके
उन्होंने एक बयान में कहा कि टेरोसॉर सरीसृपों का एक सफल और विविध समूह था, रीढ़ की हड्डी वाले पहले जानवर जो तेजी से उड़ान भरने के दौरान हमला करने में सक्षम थे। टिम, जिन्होंने सरीसृप को बेहद क्रूर कहा, ने बताया कि यह ऑस्ट्रेलिया में खोजी गई एंहेंगुरियन टेरोसॉर की तीसरी प्रजाति है। तीनों ही प्रजातियां पश्चिमी क्वींसलैंड से हैं। इस खोज ने टिम को चौंका दिया क्योंकि जीव के जीवाश्म अभी भी मौजूद हैं। इसकी हड्डियां खोखली और पतली थीं इसलिए इन्हें संरक्षित करना मुश्किल हो गया था।
Our paper describing a new crested anhanguerian pterosaur from the Lower Cretaceous Toolebuc Fm of NW Qld is out today in @JVP_vertpaleo. Thapunngaka means 'spear mouth' in Wanamara, the language of the people on whose Country the fossils were found. #UQ https://t.co/kb0HX16hq1 pic.twitter.com/iRiwwjMvrR
— Steve Salisbury (@implexidens) August 9, 2021
खुल सकते हैं कई राज
उन्होंने कहा कि थापुन्गका शावी के जीवाश्म की खोज से टेरोसॉर के बारे में समझने में मदद मिलेगी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया से प्रजातियों का रिकॉर्ड विशेष रूप से खराब है। टिम के पीएचडी सुपरवाइजर और टेरोसॉर पर रिसर्च के सह-लेखक स्टीव सैलिसबरी ने कहा कि एन्हेंगुरियन परिवार की नई प्रजातियों के बारे में उन्हें जो सबसे दिलचस्प लगा, वह उसके निचले जबड़े की हड्डी की छाती का विशाल आकार है।
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