विज्ञान

क्या गर्भ के अंदर बच्चा रोता भी है? हुआ हैरान करने वाला खुलासा

jantaserishta.com
24 Nov 2021 12:23 PM GMT
क्या गर्भ के अंदर बच्चा रोता भी है? हुआ हैरान करने वाला खुलासा
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लंदन: गर्भधारण की दूसरी तिमाही में माता-पिता बच्चों की हरकतें भ्रूण के अंदर महसूस करते हैं. खासतौर से मां. क्योंकि बच्चा पैर मारता है, पलटता है. हिचकियां लेता है. लेकिन क्या गर्भ के अंदर बच्चा रोता भी है? क्या पैदा होने से पहले भी बच्चा पेट के अंदर रोता है. अगर वाकई ऐसा होता भी है तो उसे मां महसूस नहीं कर सकती. वैज्ञानिकों का दावा है कि बच्चे गर्भ से बाहर निकलने की तैयारी पहले से शुरु कर देते हैं. वो हवा की पहली झोंक लेने की तैयारी में जुट जाते हैं.

इस बात ने कई बार वैज्ञानिकों को महिलाओं के गर्भ की जांच करने की प्रेरणा दी. कई बार वैज्ञानिकों ने यूट्रेस (Uterus) और भ्रूण (Fetuses) की जांच की. जैसे साल 2005 में आर्काइव्स ऑफ डिजीस इन चाइल्डहुड एंड नियोनेटल एडिशन जर्नल में एक वीडियो फुटेज प्रकाशित किया गया था, जिसमें बच्चे की शक्ल का अल्ट्रासाउंड किया गया था. वह अलग-अलग तरह की भावभंगिमा बना रहा था. वह ऐसे एक्सप्रेशन दे रहा था, जैसे कि वह रो रहा है. यह बच्चा 33 हफ्ते की गर्भ में था.
वैज्ञानिकों ने गर्भ के अंदर मौजूद बच्चे को कंपन और आवाज का सिमुलेशन दिया. जैसे ही ये कंपन और आवाज बच्चे के पास तक पहुंची उसने अपने जबड़े चौड़े कर दिए. अपनी ठुड्डी को हाथ से छुआ, तीन बार लंबी सांस ली. उसका सीना फूलने लगा और सिर पीछे की तरफ लुढ़कने लगा. अंत में बच्चे की ठुड्डी पर कंपन महसूस की गई. डॉक्टरों ने करीब 60 बच्चों की स्कैनिंग की थी, जिसमें से 10 बच्चों ने इस तरह की हरकत की. ये हरकत तब होती है, जब बच्चे या कोई इंसान रोता है. निर्भर करता है कि आप रोने को कैसे परिभाषित करते हैं. सबके रोने का अलग-अलग तरीका होता है लेकिन आमतौर पर रोते समय यही प्रक्रिया होती है.
इंग्लैंड स्थित डरहम यूनिवर्सिटी के डेवलपमेंटल साइकोलॉजिस्ट नाद्जा रीसलैंड ने हाल ही में यह स्टडी दोहराई है. जिसमें उन्होंने देखा कि जब बच्चा जोर से रोता है तब उसका सीना जोर से फूलता है, जबड़े चौड़े हो जाते हैं. निचला जबड़ा कांपने लगता है. लंबी सांस लेते हैं. हाथ चेहरे पर आता-जाता है. ये तब होता है जब बच्चा या इंसान बहुत ज्यादा इमोशनल होता है या उसे कोई ज्यादा दर्द हो रहा हो.



भ्रूण के अंदर ज्यादा सांस लेना मुश्किल होता है. क्योंकि भ्रूण एक एमनियोटिक घेरा होता है, जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर तरल पदार्थ पाया जाता है. अगर ज्यादा तेज सांस बच्चा लेगा उसके फेफड़ों में यह तरल पदार्थ पहुंच जाएगा. इसलिए उसे दिक्कत हो सकती है. अगर ऐसा होगा तो गर्भ से बाहर आने में बच्चे को देर हो सकती है. अन्य तरह की समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.
नाद्जा रीसलैंड ने बच्चे के चेहरे की भावभंगिमाओं का अध्ययन किया. उनके मूवमेंट की 4डी अल्ट्रासाउंड इमेजिंग की. साथ ही 3डी फिल्म बनाई. ताकि चेहरे पर होने वाले बदलावों को देखा जा सके. इस स्टडी में उन्हें दिखाई दिया कि बच्चे गर्भ के अंदर रोने जैसे एक्सप्रेशन देते हैं. जिसे क्राई-फेस-जेस्टाल्ट (Cry-Face-Gestalt) और लॉफ्टर जेस्टाल्ट (Laughter Gestalt) कहते हैं. आमतौर पर चेहरे के ये भाव 24 से 35 हफ्तों में आने शुरु होते हैं.
नाद्जा ने यह बात स्पष्ट कर दी कि जन्म से पहले यानी गर्भ से बाहर आने से पहले बच्चा रोने की प्रैक्टिस शुरु कर देता है. वह लंबी सांस लेने और हवा का पहली बार स्वाद चखने के लिए तैयार होता है. क्योंकि गर्भ के बाहर आते ही उसे एक अलग हवा मिलती है, जिसके शरीर में जाते हैं वह रोने लगता है. यह एक सामान्य लेकिन बेहद खूबसूरत प्राकृतिक प्रक्रिया है. इस दौरान बच्चे अपनी आवाज की नली और फेफड़ों में कंपन करके हवा को पूरी तरह शरीर में शामिल करते हैं. शरीर को उसके लायक बनाने का प्रयास करते हैं.
वैज्ञानिकों ने यह खुलासा किया कि उन्हें यह नहीं पता कि रोने से संबंधित भाव-भंगिमाएं दुख में निकलती हैं या बेचैनी होने पर. लेकिन बच्चे यह एक्सप्रेशन गर्भ के अंदर देते जरूर हैं. नाद्जा रीसलैंड ने जो एक्सप्रेश गर्भ के अंदर देखे वो बिना किसी सिमलुशेन के थे. उनका मानना है कि हो सकता है कि बच्चे गर्भ के अंदर चेहरे के एक्सप्रेशन की प्रैक्टिस करते हो. ताकि बाहरी दुनिया में आने के बाद उन्हें दिक्कत न हो. उस एक्सप्रेशन की वजह से उन्हें अजीब न लगे. इससे उनके चेहरे की मांसपेशियों का व्यायाम भी होता है. जैसे हम हंसते, रोते और खाते समय करते हैं.
रीसलैंड का कहना है कि अगर गर्भ के अंदर बच्चों के एक्सप्रेशन की बारीकी से जांच की जाए तो हम डेवलपमेंटल डिसॉर्डर या अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें तो नहीं हैं. अगर सारे फेशियल एक्सप्रेशन सही आ रहे हैं तो उससे पता चलता है कि बच्चे का स्वास्थ्य गर्भ के अंदर सही है. बच्चे के चेहरे के एक्सप्रेशन बाहरी दुनिया में आने के बाद सामाजिक हो जाते हैं, लेकिन गर्भ के अंदर की भाव-भंगिमाएं उसके दर्द, सेहत या बेचैनी को दिखाती है.
नाद्जा रीसलैंड कहते हैं कि गर्भ से बाहर आने के 8 हफ्तों के बाद ही सामाजिक तौर पर मुस्कुराना शुरु करता है. कई बच्चे इस प्रक्रिया को सीखने में छह महीने तक का समय लेते हैं. लेकिन बच्चों के चेहरे की मांसपेशियों का व्यायाम पैदा होने से थोड़ा पहले ही शुरु हो जाता है. हालांकि गर्भ के अंदर बच्चों की आंखों से आंसू नहीं निकलते.


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