विज्ञान

क्या हमारे दिमाग पर भी असर करती है जरूरत से ज्यादा गर्मी, जने क्या कहता है हमारा शोध

Tulsi Rao
18 Jun 2022 11:09 AM GMT
क्या हमारे दिमाग पर भी असर करती है जरूरत से ज्यादा गर्मी, जने क्या कहता है हमारा शोध
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल भारत में गर्मी (Summer in India) ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. उत्तर भारत में पिछले 25 दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही है. तापमान लगातार 40 डिग्री से ऊपर है. गर्मी ने अपने तेवर मार्च से ही दिखाने शुरू कर दिए थे. इस साल भारत में पिछले 122 सालों में सबसे गर्म मार्च का महीना रहा. अप्रैल और मई में ही कई रिकॉर्ड टूटे. ग्रीष्म लहर (Heat Waves) का भी खासा असर देखने को मिला. पिछले तीन महीने से पड़ रही भीषण गर्मी का असर दिमाग पर भी होता है. शोधकार्यों ने भी इस समय समय पर बताया है कि गर्मी कैसे मस्तिष्क (Effect of Heat on Brain) को प्रभावित करती है.

बर्ताव में दिखता है असर
अभी तक उत्तर भारत में पड़ रही गर्मी से राहत के आसार नहीं हैं मानसून अपनी गति से तेज धीमा हो रहा है. कई जगह प्रीमानसून बारिश गर्मी में उमस का तड़का लगाती दिख रही है. उमस भरी गर्मी भी लोगों को खासा परेशान करती है. गर्मी से लोगों को मानसिक कार्यनिष्पादन पर असर पड़ता है .
प्रदर्शन में कमी
साल 2006 के एक अध्ययन में दर्शाया गया था कि ऑफिस के अंदर भी कार्य उत्पादकता पर गर्मी का प्रभाव पड़ता है. उस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस बात का आंकलन किया था कि प्रतिभागी कैसे ऑफिस में सामान्य काम काज करते हैं, और जब तापमान 75.2 डिग्री फेहरनहाइट या 24 डिग्री से ऊपर होता है, तब कार्यनिषपादन में लगातार कमी आती है. यह कमी केवल ऑफिस में काम करने वाले व्यस्कों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे स्कूल के बच्चे भी प्रभावित होते हैं.
शिक्षा में नतीजों पर प्रभाव
इसी तरह का एक अध्ययन साल 2018 में भी हुआ था जिसमें यह दर्शाया गया कि कैसे एक 90 डिग्री फेहरनाइट यानि 32 डिग्री वाले दिन होने वाली परीक्षा के शैक्षणिक प्रदर्शन में 14 प्रतिशथ तक कमी आ सकती है और छात्रों की पास होने की संभावना में 10.9 प्रतिशत कमी आ सकती है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आखिरी गर्मी हमारे सोचने की क्षमता और कार्य प्रदर्शन को कैसे प्रभावित करती है.
शरीर पर क्या होता है असर
गर्मी का दाब तब देखने को मिलता है जब अब हमारा शरीर खुद के स्वस्थ तापमान को कायम रखने के लिए पर्याप्त रूप से ठंडा नहीं कर पाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस अर्बाना शैम्पेन के न्यूरोसाइंटिस्ट और इलेक्ट्रिकल एंड कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर लव वार्शने का कहना है कि इससे हमारे दिमाग के संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता कम हो जाती है. बहुत ज्यादा गर्मी का सामना करने से हमारे दिमाग को होने वाले खून के बहाव के साथ ऑक्सीजन की आपूर्ति भी प्रभावित होती है जिससे बेहोश होने की स्थिति बनने लगती है.
दिमाग पर असर
ज्यादा तापमान पर दिमाग और खून के बीच का अवरोध टूट जाता है और दिमाग में अवांछनीय प्रोटीन और आयन जमा होने लगते हैं जिससे दिमाग में सूजन और उसके सामान्य कार्यों में बाधा आने लगती है और मस्तिष्क कोशिकाएं मरने लगती है. इतना ही नहीं इससे शरीर को नियंत्रित करने वाला दिमागी हिस्सा भी प्रभावित होता है जो पसीने के जरिए शरीर का तापमान नियंत्रित करता है.
शरीर में पानी की स्थिति
ज्यादा तापमान होने से पसीना अधिक आता है और शरीर में पानी की कमी होने लगती है. आगर शरीर को पर्याप्त पानी नहीं मिला तो डीहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है. शरीर में पानी की कमी का दिमाग पर सीधा असर होता है. इसी लिए गर्मी के मौसम में खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है. अधिक तापमान कीस्थिति में कुछ उपाय अपनाने से राहत मिल सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि तेज गर्मी के प्रभाव अस्थायी होते हैं और इसमें पानी पीते रहने के साथ पर्याप्त और समय पर भोजन लेना भी फायदेमंद होता है. पानी से तो दिमाग के पसीने का तंत्र अच्छा काम करता है. पंखों और एयर कंडीशनर आदि का सही तरीके सेइस्तेमाल इस तरह की समस्याओं में कारगर असर दिखाता है. कई मामलों में मस्तिष्कको शिकाएं की मृत्यु एक बड़ी समस्या बन जाती है. और दिमाग में स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है. इसलिए तेज गर्मी से बचने की हमेशा ही सलाह दी जाती है.


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